सऊदी अरब में 3 देवियों की मूर्ति-पूजा, आराधना को बढ़ावा देने पर बवाल: कुछ कह रहे – यही है अरब का असली इतिहास, विरोध में कट्टरपंथी

सऊदी अरब में मूर्ति पूजा पर विवाद (चित्र साभार: Twitter & PNG tree)

सऊदी अरब का सोशल मीडिया तीन प्राचीन अरबी देवियों की आराधना को बढ़ावा देने को लेकर बँट गया है। यह तीनों देवियाँ सऊदी अरब और आसपास के अरबी जगत में प्राचीन काल में पूजी जाती थीं। यह पूरा मामला सऊदी अरब के प्रधानमंत्री और राजकुमार मोहम्मद बिन सलमान की राष्ट्रवाद और विरासत को बढ़ावा देने की विचारधारा से मेल खाता है।

इसी को लेकर एक्स (पहले ट्विटर) पर एक यूजर ने इन तीन में से एक देवी अल-उज्ज़ा की एक तस्वीर डाली है। इस तस्वीर में सऊदी अरब के म्यूजियम में अल उज्जा की मूर्ति को घेर कर कुछ लोग खड़े हैं। यूजर का कहना है कि सऊदी अरब के लोग अपने इतिहास से गहरे तौर पर जुड़े हैं चाहे वो मुस्लिम हों या नहीं लेकिन यह अरब का इतिहास है। इस यूजर ने सऊदी सरकार की तारीफ़ भी की। उसने लिखा कि सरकार प्राचीन सऊदी देवताओं का संरक्षण कर रही।

इसी ट्वीट के बाद शुरू हुई बहस में कुछ यूजर्स ने बताया कि प्राचीन समय में पूरे अरब जगत में तीन देवियों की मान्यता थी। इनके नाम ‘अल्लत (Allat)’, ‘मनत (Manat)’ और ‘अल-उज्जा (Al-Uzza)’ थे। इसे सोशल मीडिया पर लोगों ने अरब जगत में महिला सशक्तीकरण के प्रतीक के तौर पर भी बताया। यह भी बताया गया कि इन देवियों के सम्मान में छोटी बच्चियों को दफनाया जाता था। तब अरबी समाज के लिए यह कोई शर्म की बात नहीं थी।

सऊदी अरब के कुछ सोशल मीडिया यूजर्स ने सहवा (पुनर्जागरण) पर सऊदी के इस्लाम से पहले के इतिहास को तवज्जो ना देने और तीन देवियों की महत्ता को धुँधला करने का आरोप लगाया। सहवा, 1960 के बाद सऊदी अरब में आई इस्लामी राजनीतिक विचारधारा है। इसमें सऊदी समेत मिस्र जैसे अरब देशों के कई मुस्लिम बुद्धिजीवी शामिल थे।

सोशल मीडिया पर एक यूजर का कहना था कि सहवा ने सऊदी अरब का इतिहास लोगों के दिमाग से भुला दिया। इसने इतिहास, संस्कृति और विरासत से संबंधित बातों को भी तोड़ा-मरोड़ा। यूजर का कहना है कि अगर कुछ साल पहले तक आप इन देवियों की बात करते तो यह मूर्ति-पूजा और बहुदेववाद को बढ़ावा देना करार दिया जाता।

सऊदी अरब के सोशल मीडिया यूजर्स का कहना है कि मुस्लिम ब्रदरहुड और अन्य इस्लामी बुद्धिजीवियों ने सहवा के दौरान सऊदी लोगों की शिक्षा व्यवस्था को बदल दिया। बाहरी लोगों को शरण देना सऊदी की एक बड़ी भूल थी।

तीन देवियों के ऊपर छिड़ी इस बहस को कुछ सोशल मीडिया यूजर्स ने सऊदी अरब में मूर्ति पूजा को जिन्दा करने की कोशिश बताया। वर्तमान समय में सऊदी अरब में मूर्ति पूजा नहीं होती क्योंकि यह एक इस्लामिक देश है और इस्लाम में मूर्ति (बुत) की पूजा की मनाही है।

कुछ कट्टरपंथी यूजर्स का कहना है कि सऊदी सरकार राष्ट्रवाद को बढ़ावा देकर इस्लामिक पहचान को दबा रही है। कुछ यूजर्स ने इसके लिए ‘हिंदुत्व’ और यहूदियों को दोषी ठहरा दिया। उनका कहना था कि यह हिंदुत्व और यहूदियों की साजिश है कि अरब जगत को सेक्यूलर और उदार बनाया जाए।

गौरतलब है कि सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान बीते कुछ वर्षों से सहवा पर बंदिशें लगा रहे हैं और कट्टरपंथियों को हाशिये पर धकेल रहे हैं। उनके सत्ता का नियन्त्रण लेने के बाद सऊदी के समाज में तेजी से बदलाव देखने को मिले हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया