रूस में पुतिन इतिहास रचने को तैयार… पाँचवी बार संभालेंगे कार्यभार: राष्ट्रपति चुनाव में कोई प्रतिद्वंदी नहीं टिका, 87% वोट से आगे

रूस राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (फोटो साभार: अल जजीरा)

रूस में राष्ट्रपति व्हादिमीर पुतिन एक बार फिर से राज्य की सत्ता संभालने के लिए तैयार हैं। ये उनका राष्ट्रपति के तौर पर पाँचवा कार्यकाल होने वाला है। वह राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के रूप में रूस की सत्ता में 1999 से ही बने हुए हैं। इस बार भी उन्हें प्रचंड बहुमत मिलता दिख रहा है। इस बार राष्ट्रपति का कार्यकाल संभालने के बाद वो रूस के 200 वर्षों के इतिहास में सबसे ज्यादा समय तक सत्ता में रहने वाले नेता बनेंगे। इससे पहले ये खिताब सिर्फ जोसेफ स्टालिन के पास था जो कि 1941 से 1953 तक सोवियत संघ के प्रधानमंत्री के रूप में भी कार्यरत था।

अभी तक आई हर मीडिया रिपोर्ट में यही बताया जा रह कि पुतिन बड़े अतंर से चुनाव जीतने जा रहे हैं। वहीं कुछ में पुतिन की जीत की घोषणा हो चुकी है। लेकिन स्थानीय मीडिया में दी जानकारी की बात करें तो रूस की न्यूज एजेंसी ताश ने बताया है कि कि पुतिन आज सुबह 7 बजे तक चुनावों में 87.32 फीसद वोट के साथ लीड कर रहे थे। वहीं कम्युनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार निकोले खारितोनोव 4.32% के साथ दूसरे नंबर पर थे। उनके बाद न्यू पीपल पार्टी के उम्मीदवार व्लादिस्लाव दावानकोव 3.79% के साथ तीसरे स्थान पर थे और सबसे आखिरी नंबर एलडीपीआर उम्मीदवार लियोनिद स्लटस्की का था जिन्हें तब तक 3.19% वोट मिले थे।

रूस में पुतिन की एक बार फिर से इतनी प्रचंड जीत का कारण यही माना जा रहा है कि उनके सामने कोई और मजबूत प्रत्याशी नहीं खड़ा हुआ है। पुतिन ने नतीजों का अंदाजा लगा खुद को वोट डालने वालों को धन्यवाद किया। अपने पहले संबोधन में उन्होंने पश्चिमी देशों में तीसरे विश्वयुद्ध की भी चेतावनी दी। उन्होंने पिछले माह फ्रांस राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रां द्वारा दिए गए बयान पर भी टिप्पणी की। जहाँ फ्रांस राष्ट्रपति ने यूक्रेम के साथ अपने सैनिकों को उतारने की संभावना से मना नहीं किया था।

उन्होंने कहा, “आज के आधुनिक दौर में कुछ भी संभव है, लेकिन अगर ऐसा होता है तो तीसरा विश्वयुद्ध ज्यादा दूर नहीं है।” उन्होंने ये भी कहा, “वैसे नाटो के सैनिक अभी भी यूक्रेन में मौजूद हैं। रूस को पता चला है कि युद्ध के मैदान में इंग्लिश और फ्रेंच भाषा बोलने वाले जवान भी मौजूद हैं। ये अच्छी बात नहीं है, खासकर उनके लिए क्योंकि वे बड़ी संख्या में यहाँ मर रहे हैं।”

बता दें कि 199 में खराब स्वास्थ्य के चलते बोरिस येल्तसिन ने सत्ता की बागडोर पुतिन को सौंपी थी तब रूस अपने अस्तित्व के लिए कई तरह की चुनौतियों का सामना कर रहा था। हालत ये थे कि पुतिन रूस को अमेरिका के नेतृत्व में नाटो संगठन का हिस्सा बनाने के लिए तैयार हो गए थे, मगर वो ऐसा कदम उठाते उससे पहले उन्हें एहसास हुआ कि ऐसा करने से तो रूस को अपेक्षित सम्मान ही नहीं मिलेगा। इस सोच के पैदा होने के बाद देश को उसका पुराना गौरव लौटाने में पुतिन ने अपने दस साल लगा दिए और दस साल बाद रूस एक बड़ी शक्ति बनकर अमेरिका के सामने खड़ा हो गया। आज रूस की स्थिति वो है कि अमेरिका को वो हर मायने में चुनौती देता है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया