हमास आतंकियों के खिलाफ इजरायल द्वारा गाजा पर की जा रही कार्रवाई से दुनिया भर के कट्टरपंथी खफा हैं। वह चाहते हैं कि विश्व के सारे मुस्लिम देश एकजुट होकर इजरायल का बहिष्कार करें। इस संबंध में कल (11 नवंबर 2023) रियाद में एक बड़े सम्मेलन का आयोजन भी हुआ। जहाँ प्रस्ताव लाया गया कि इजरायल को अलग-थलग किया जाए।
सम्मेलन में इस्लामिक सहयोग संगठन के 57 देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। इस दौरान प्रस्ताव पेश किया गया कि वो लोग इजरायल को मिल रही सैन्य-आर्थिक मदद रोककर अलग-थलग करेंगे। कई देशों ने इसपर हामी भरी। लेकिन जब बात इस्लामिक देशों के नेता माने जाने वाले सऊदी अरब की आई तो उन्होंने इस प्रस्ताव से किनारा ही कर लिया। यानी अप्रत्यक्ष रूप से वो इजरायल से संबंध न तोड़ने के समर्थन में आ खड़े हुए।
मीडिया रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि सऊदी अरब के साथ-साथ संयुक्त अरब अमीरात और अन्य 7 मुस्लिम देश भी इस प्रस्ताव के विरोध में खड़े हुए। नतीजा ये निकला कि इजरायल के खिलाफ बुलाई बैठक में इजरायल के विरुद्ध ही प्रस्ताव पास नहीं हो सका। प्रस्ताव का विरोध करने वालों में सऊदी अरब और UAE के अलावा जॉर्डन, इजिप्ट, बहरीन, सुडान, मोरोक्को, मॉरिशानिया और द्जिबूती जैसे देश शामिल थे।
प्रस्ताव में कहा गया था कि इजरायल के साथ इस्लामिक देश सभी प्रकार के राजनयिक और आर्थिक संबंध खत्म कर लें और इजरायली उड़ानों को अरब हवाई क्षेत्र का प्रयोग न करनें दें। इसके अलावा तेल उत्पादक देश उन्हें धमकी दें कि या तो वो युद्ध बंद करें नहीं तो तेल नहीं दिया जाएगा।
हालाँकि 11 नवंबर को इस्लामिक-अरब शिखर सम्मेलन के बाद जारी आधिकारिक विज्ञप्ति में ऐसे किसी प्रस्ताव से संबंधित कोई विवरण साझा नहीं किया गया था। लेकिन, सम्मेलन में भाग लेने वाले दो प्रतिनिधियों ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि अल्जीरिया ने इज़राइल के साथ संबंधों में पूर्ण कटौती की माँग करते हुए एक प्रस्ताव पेश किया था। उन्होंने कथित तौर पर कहा कि अन्य अरब देशों ने इस माँग का विरोध किया क्योंकि उन्होंने मौजूदा संकट के बीच तेल अवीव के साथ संचार के माध्यमों को खुला रहना जरूरी बताया।
बता दें कि सऊदी अरब पहले 11 नवंबर को इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) की बैठक और 12 नवंबर को अरब लीग शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने वाला था। हालाँकि, बाद में उन्होंने 11 नवंबर को राजधानी रियाद में एक संयुक्त शिखर सम्मेलन करने का फैसला किया।
सम्मेलन की शुरुआत में सऊदी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने युद्धविराम की बात की। वहीं ईरानी राष्ट्रपति ने सम्मेलन के दौरान माँग की कि इजरायली सेना को आतंकी संगठन घोषित किया जाए। लेकिन कहा जा रहा है सऊदी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान क्षेत्रीय झगड़ों में पड़कर देश के संसाधनों को बर्बाद नहीं होते देखना चाहते। उनका मकसद विजन 2030 में है। यही वजह है कि वो अपनी विदेशी निवेश पर ज्यादा केंद्रित है।