अब सऊदी अरब के स्कूलों में भी बच्चों को सिखाया जाएगा योग, मक्का-मदीना में भी योग स्टूडियो: बनेगा पाठ्यक्रम का हिस्सा

अब सऊदी अरब के स्कूलों में भी बच्चों को सिखाया जाएगा योग (प्रतीकात्मक चित्र)

इस्लामिक मुल्क सऊदी अरब में कुछ साल पहले तक योग अभ्यास को कुफ्र माना जाता था। यही नहीं सऊदी अरब में योग के बारे में सोचना भी अपराध था। लेकिन दुनिया भर में योग के बारे में दृष्टिकोण बदल रहा है। अब सऊदी अरब में भी सैकड़ों लोग योग सीख रहे हैं। इसे देखते हुए सऊदी अरब भी अपने स्कूलों में स्पोर्ट्स कैरिकुलम के रूप में योग को जगह देने जा रहा है। सऊदी योग कमिटी के अध्यक्ष नोउफ अल-मारवाई ने कहा कि 2017 में ही कॉमर्स मिनिस्ट्री ने इस कोर्स को मान्यता दे दी थी।

बता दें कि सऊदी अरब के व्यापार एवं उद्योग मंत्रालय ने नवंबर 2017 के योग को खेल गतिविधियों के रूप में मान्यता दी थी। साल 2017 के बाद ही वहाँ कोई योग सिखाना या इसे बढ़ावा देना चाहे, तो लाइसेंस लेकर अपना काम शुरू कर सकता है।

अब इस्लामी मुल्क में शिक्षा मंत्रालय के सहयोग के साथ यह सिलेबस शुरू किया जाएगा। नोउफ ने कहा कि इस कोर्स से बच्चों को स्वास्थ्य लाभ होगा। बीते दिनों योग के फायदे को लेकर सऊदी स्कूल स्पोर्ट्स फेडरेशन की बैठक भी थी। इस बैठक में स्कूलों के प्रधानाचार्यों ने हिस्सा लिया। अरब न्यूज के मुताबिक, सभी श्रेणी के स्कूलों के अधिकारियों ने अपनी राय रखी। योगा इंस्ट्रक्टर और आनंद योगा स्टूडियो के फाउंडर खालिद जमा अल जहरानी ने कहा कि स्कूल में हमें हमेशा ध्यान रखना होता है कि बच्चों का हर तरह से विकास हो। 

नोउफ अल-मारवाई ने योग के प्रति बढ़ाई जागरुकता

बता दें कि सऊदी अरब में महिलाओं के लिए योग स्टूडियो नोउफ अल-मारवाई की देन माना जाता है। मारवाई ने अपने प्रयास से सऊदी में सैकड़ों लोगों को योग सिखाया है। मारवाई की संस्था का नाम अरब योगा फाउंडेशन है। मारवाई कहती हैं कि योग को मान्यता मिलने के कुछ महीने में ही मक्का और मदीना सहित कई बड़े शहरों में योग स्टूडियो खुल गए। योग प्रशिक्षकों का नया उद्योग खड़ा हो गया।

मारवाई भारत को अपना दूसरा घर मानती हैं और योग को लेकर पूरे विश्व वो जागरूकता फैलाने के लिए वह भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आभारी हैं। मारवाई को राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया था। उन्होंने अरब न्यूज को दिए एक इंटरव्यू में भारत को अपना दूसरा घर मानने की वजह के बारे में बताते हुुए कहा कि उन्हें यहाँ के लोगों की दयालुता/ नेकी ने काफी प्रभावित किया। उन्हें यहाँ पर घर जैसा महसूस हुआ। यहीं पर उन्होंने अपनी बीमारी का इलाज करने के दौरान योगा सीखा, जिसका उन्हें काफी लाभ हुआ।

बता दें कि अरब में पहले योग को सिर्फ हिंदू धार्मिक परंपरा माना जाता था। योग करना गैर इस्लामिक माना जाता था। लेकिन अब सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने योग को खेल के रूप में मान्यता दी है। अब यह देश भर में लोकप्रिय हो रहा है।

इस्लामी मुल्क ने पाठ्यक्रम में शामिल किए रामायण-महाभारत

पिछले दिनों खबर आई थी कि सऊदी अरब ने नए पाठ्यक्रम में रामायण और महाभारत (Ramayana and Mahabharata) को शामिल किया है। सऊदी अरब के प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (Prince Mohammed bin Salman) ने ‘विजन 2030’ के तहत शिक्षा क्षेत्र के लिए अन्य देशों के इतिहास और संस्कृति के अध्ययन को जरूरी बताया। देश में नई शिक्षा नीति की घोषणा करते हुए बताया गया कि अब छात्रों को रामायण और महाभारत भी पढ़ाया जाएगा।

कुवैत में योग शिविर बंद करने पर सड़क पर उतरी महिलाएँ

एक तरफ जहाँ सऊदी अरब में स्कूल में योग सिखाने की शुरुआत हो रही है तो वहीं दूसरी तरफ कुवैत में कुछ दिनों पहले इस पर रोक लगा दिया गया। इसको लेकर काफी हंगामा भी हुआ। दरअसल यहाँ एक योग शिक्षक ने महिलाओं के लिए योग से जुड़े एक कार्यक्रम का विज्ञापन दिया, जिसे यहाँ के मुल्ला-मौलवी इसे इस्लाम का अपमान बताया। इसके बाद सरकार ने इस ‘योग रिट्रीट’ को प्रतिबंधित कर डाला। जिसके बाद इस्लामी कट्टरपंथियों के खिलाफ बड़ी संख्या में महिलाएँ सड़क पर उतरी थी।

बता दें कि अब योग को पूरी दुनिया में महत्व दिया जा रहा है। 21 जून को दुनिया भर में योग दिवस मनाया जाता है। इस मौके पर देश-विदेश में बड़े-बड़े कार्यक्रमों का आयोजन होता है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया