रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने PM मोदी को कहा- ‘माई डियर फ्रेंड’: बोले- रूसी परंपरा के कारण नहीं दे सकता जन्मदिन की बधाई, पर भारत को शुभकामनाएँ

पीएम मोदी और व्लादिमीर पुतिन (फोटो साभार: IANS)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित चीन, रूस, पाकिस्तान सहित 8 देशों के नेता उज्बेकिस्तान के समरकंद में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में भाग लेने पहुँचे हैं। इस दौरान पीएम मोदी की रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ मुलाकात हुई।

मुलाकात के दौरान पुतिन ने पीएम मोदी के जन्मदिन का भी जिक्र किया। पुतिन ने कहा कि उन्हें पता है कि कल 17 सितंबर को मित्र पीएम मोदी का जन्मदिन है, लेकिन वे इसकी बधाई नहीं दे सकते। उन्होंने कहा कि रूसी संस्कृति में जन्मदिन की अग्रिम बधाई नहीं दी जाती। उन्होंने

राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि पी भारत के समृद्धि और विकास की भी कामना की। उन्होंने कहा, “माई डियर फ्रेंड! आप कल अपना जन्मदिन मनाने वाले हैं। रूसी परंपरा के अनुसार हम एडवांस में हैप्पी बर्थडे नहीं कहते। इसलिए हम आपको जन्मदिन की शुभकामना नहीं दे सकते, लेकिन हम आपको बताना चाहते हैं कि हमें इसकी जानकारी है। हम आपको शुभकामना देना चाहते हैं। हमारे मित्र देश भारत को शुभकामनाएँ देते हैं। हम आपके नेतृत्व में भारत की समृद्धि की कामना करते हैं।”

आपसी मुलाकात के दौरान दोनों देशों के नेताओं ने द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की। पीएम मोदी ने यूक्रेन के साथ संघर्ष पर कहा, “आज का युग युद्ध का नहीं है। हमने फोन पर आपसे कई बार इस संबंध में बात की। इस मुद्दे को लोकतंत्र कूटनीति और संवाद के जरिए सुलझाने का आग्रह किया।”

यूक्रेन संकट के दौरान वहाँ फँसे भारतीय छात्रों को लेकर पीएम मोदी ने राष्ट्रपति पुतिन से कहा, “मैं आपका और यूक्रेन का आभार व्यक्त करना चाहूँगा कि संकटकाल के शुरू में जब हमारे हजारों छात्र यूक्रेन में फँसे थे, तब आपकी और यूक्रेन की मदद से हम अपने छात्रों को वहाँ से निकाल पाए।”

बता दें कि रूस में जन्मदिन की अग्रिम बधाई को अपशकुन माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति अपना जन्मदिन पहले मनाना शुरू करता है, वह असली जन्मतिथि तक जिंदा नहीं रहने का जोखिम उठाता है। रूसियों का मानना है कि जन्मदिन की पूर्व संध्या पर जन्मदिन मनाने वाला व्यक्ति बीमारियों की चपेट में सबसे पहले आ सकता है।

इसके साथ ही रूस में एक और परंपरा है। वहाँ के लोग अपना 40वाँ जन्मदिन नहीं मनाते। वे इसे दुर्भाग्य और अपशकुन मानते हैं। ईसाइयों की एक मान्यता के अनुसार, अंतिम संस्कार के 40वें दिन आत्मा पृथ्वी छोड़ देती है। 

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया