स्लोवाकिया में इस्लाम पूर्ण रूप से प्रतिबंधित, मस्जिदें असंवैधानिक; श्रीलंका ने लगाया बुर्का पर बैन

स्लोवाकिया (प्रतीकात्मक तस्वीर)

आज के समय में इस्लाम तेजी से दुनिया में अपने पैर पसार रहा है। यह धर्म ना सिर्फ इस्लामिक देशों में, बल्कि भारत जैसे हिंदू प्रधान देश में भी मुस्लिमों की जनसंख्या तेजी से बढ़ती हुई देखी जा रही है। ऐसे में, यूरोप में एक देश ऐसा भी है, जहाँ इस्लाम को पूर्ण रूप से प्रतिबंधित कर दिया गया है। यूरोप में स्थित स्लोवाकिया (Slovak Republic) नामक देश में मुस्लिमों को कोई अधिकार नहीं दिया गया है।

रिपोर्ट्स के अनुसार, इस देश की पार्लियामेंट ने ही इस्लाम पर बैन लगा दिया है। ख़ास बात यह है कि स्लोवाक नेशनल पार्टी (एसएनएस) के इस विधेयक को पक्ष और विपक्ष ने मिलकर दो-तिहाई बहुमत से पारित किया था। यानी अब वहाँ कोई भी नागरिक खुद को मुस्लिम रजिस्टर नहीं करा सकता और स्लोवाकिया में धर्म की लिस्ट में अब इस्लाम का नाम नहीं आएगा।

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उनका मानना था कि बढ़ते हुए इस्लामिक कट्टरपंथ और चरमपंथ के पीछे इस्लाम की वह शिक्षा है, जो मस्जिदों और मदरसों के जरिए लोगों के बीच पहुँचकर समाज में नफरत पैदा कर रही है।

2016 में इस्लाम धर्म को स्वीकार न करने वाला स्लोवाकिया दुनिया का पहला देश बन चुका था। यह देश मानता है कि इस्लाम असंवैधानिक है। उस समय स्लोवाकिया के प्रधानमंत्री रॉबर्ट फीको ने बयान दिया था कि वो इस्लाम को धर्म नहीं मानते और इसीलिए स्लोवाकिया में इस्लाम के लिए कोई जगह नहीं। इसी के साथ उन्होंने अपने देश में किसी भी मुस्लिम को शरण देने से भी इंकार कर दिया था।

इस प्रकार स्लोवाकिया देश सिर्फ अपनी बॉर्डर में सिर्फ ईसाई माइग्रेंट्स को ही आने की इजाजत देता है। यानी, अगर देश की सीमा पार करने की कोशिश कोई मुस्लिम करता है, तो उसे भगा दिया जाता है। इससे साफ़ है कि ये देश मुस्लिमों को सीमा में नहीं आने देना चाहता।

2016 के बाद से ही, स्लोवाक-कानून ने इस्लाम को राजकीय मान्यता प्राप्त धर्म बनना असंभव कर दिया था। जिससे यह देश यूरोप के सभी देशों में इस्लाम के खिलाफ सबसे कठोर कानूनों वाला देश बन गया है। हाल ही के कुछ समय में यूरोप भर में हुए सिलसिलेवार इस्लामी आतंकी हमलों के बाद इस महाद्वीप में मुस्लिम विरोधी भावना घर कर गई है, जिसके चलते वहाँ पर नए अप्रवासी विरोधी दलों का भी जन्म हो रहा है।

ज्ञात हो कि भारत जैसे देश में आज भी नागरिकता संशोधन (CAA) जैसे कानून बहस का विषय बने हुए हैं, जिसमें कि विदेशों से आने वाले हिन्दू शरणार्थियों को नागरिकता देने की बात कही गई है। बावजूद इसके इसे एक विशेष धर्म के खिलाफ बताने की पूरी योजनाएँ शाहीन बाग़ जैसे विरोध प्रदर्शनों के द्वारा बनाई जा रही हैं।

बता दें कि कुछ पिछले साल ही श्री लंका सरकार ने चेहरा ढँकने वाले बुर्क़ा का प्रयोग बैन कर दिया था। एक इमरजेंसी क़ानून के माध्यम से इस नियम को लागू करते हुए सरकार ने कहा कि किसी भी प्रकार से ऐसी चीजों का सार्वजनिक तौर पर उपयोग प्रतिबंधित रहेगा, जिससे व्यक्ति की पहचान छुपती हो। आपको बता दें कि श्री लंका के अलावा कैमरून, मोरक्को, चाड, ऑस्ट्रिया, बुल्गारिया, गाबोन, फ़्रांस, बेल्जियम, डेनमार्क और उत्तर पश्चिम चीन के मुस्लिम बहुल प्रांत शिनजियांग में बुर्क़ा पहनने पर प्रतिबंध है।

इस्लामिक चरमपंथियों के बढ़ते भय और लगातार बढ़ते प्रवासी संकट के बीच इस देश के राजनेताओं और विधाई शक्तियों ने इस्लाम धर्म के प्रति रुख में बदलाव लाया है। वर्ष 2016 में स्लोवाकिया के प्रधानमंत्री रॉबर्ट फिको की सरकार ने स्पष्ट रूप से कहा था कि स्लोवाकिया में इस्लाम के लिए कोई जगह नहीं है।

वर्तमान में, स्लोवाकिया एकमात्र ऐसा यूरोपियन यूनियन (EU) सदस्य राज्य है, जहाँ कोई भी वैध आधिकारिक मस्जिद नहीं है। बताया जाता है कि इस देश में मुस्लिम समुदाय किराए के घरों या फिर अस्थायी प्रार्थना घरों में ही मिलते हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया