अफ्रीका के तीसरे सबसे बड़े देश में सेना और अर्धसैनिक बलों के बीच सत्ता-युद्ध: 185 की मौत, समझें कैसे 2 जनरलों के संघर्ष में पिस रहा सूडान

सूडान में सेना और पैरामिलिट्री फोर्सेस के बीच संघर्ष (फोटो साभार- सीएनएन)

अफ्रीकी देश सूडान (Sudan) में सत्ता के लिए सेना (Military) और अर्धसैनिक बल (Paramilitary force) के बीच लड़ाई जारी है। रिपोर्टों के मुताबिक शनिवार (15 अप्रैल, 2023) से शुरू हुई लड़ाई में अब तक 185 से अधिक लोगों की मौत हो गई है जबकि 1800 से ज्यादा घायल बताए जा रहे हैं। बताया यह भी जा रहा है कि राजधानी खार्तूम समेत कई शहरों में लड़ाई की वजह से अस्पतालों को भी नुकसान पहुँचा है जिससे घायलों और बीमारों का इलाज करने में परेशानी हो रही है।

सूडान में खार्तूम,ओम्दुर्मान, बहरी और कई शहर जंग के मैदान में बदल चुके हैं। CNN के रिपोर्ट के मुताबिक, शनिवार को संघर्ष शुरू होने के बाद से सोमवार (17 अप्रैल) का दिन सबसे ज्यादा विध्वंसक रहा। स्थानीय लोगों के अनुसार छोटे से युद्ध विराम के बाद राजधानी खार्तूम में आर्मी कमांड बिल्डिंग और प्रेसिडेंशियल पैलेस जैसे स्थानों पर कब्जे के लिए लड़ाई शुरू हो गई। इतना ही नहीं खार्तूम और आसपास के इलाकों में मंडरा रहे लड़ाकू वीमानों को ग्राउंड एंटी-एयरक्राफ्ट डिफेंस के जरिए निशाना बनाया गया। बहरी में भी भारी बमबारी हुई। ज्यादातर लोग अपने घरों में ही दुबके रहे।

लड़ाई की वजह से खाने-पीने के चीजों की कमी होने लगी है। कई इलाकों में बिजली गुल है। डॉक्टर जख्मी मरीजों तक नहीं पहुँच पा रहे हैं और परिजन मरे हुए लोगों का अंतिम संस्कार नहीं कर पा रहे हैं। अस्पताल के डॉक्टरों का कहना है कि शनिवार से ही अस्पतालों पर मिसाइलों से हमला किया जा रहा है।

दो जनरलों के बीच सत्ता का संघर्ष

यह गृह युद्ध सूडान की आर्मी के जनरल अब्देल फतेह अल बुरहान (Abdel Fattah al-Burhan) और सूडानी अर्धसैनिक बल रैपिड सपोर्ट फोर्सेस (Rapid Support Forces) के प्रमुख जनरल मोहम्मद हमदान दागलो (Mohamed Hamdan Daglo) बीच चल रहा है। दोनों सूडान पर नियंत्रण पाने के लिए लड़ रहे हैं। सीएनएन के साथ बातचीत में सूडानी सेना के चीफ और RSF के जनरल ने एक दूसरे पर लड़ाई छेड़ने और आम लोगों पर हमले का आरोप लगाया है।

फोटो साभार: CNN

क्या है विवाद की जड़?

सूडान में जारी मौजूदा संघर्ष की जड़ें 2019 के विद्रोह से जुड़ी हुई हैं। दरअसल सूडान के तात्कालिक राष्ट्रपति उमर अल बशीर के खिलाफ जनता ने विद्रोह कर दिया था। जिसके बाद सेना और अर्धसैनिक बल ने मिलकर तख्ता पलट कर दिया और अल बशीर को सत्ता से बेदखल कर दिया। सेना ने प्रदर्शन कर रहे लोगों को आश्वासन दिया कि 2023 के आखिर तक हालात सुधरने के बाद चुनाव कराए जाएँगे। एक सोवरेनिटी काउंसिल बनाई गई और तब तक के लिए अबदल्ला हमडोक को प्रधानमंत्री बना दिया गया।

इसके बावजूद देश में संघर्ष थमने का नाम नहीं ले रही थी। सूडानी आर्मी के जनरल बुरहान और आरएसएफ के जनरल डगालो ने मिलकर अक्टूबर 2021 में फिर से तख्तापलट कर दिया। इस बार बुरहान सोवरेनिटी काउंसिल के अध्यक्ष बन गए और जनरल डगालो को उपाध्यक्ष बनाया गया। इसके बाद तय हुआ कि आरएसएफ का आर्मी में विलय कर दिया जाएगा। फिर सवाल उठा कि पैरामिलिट्री के आर्मी में मिला देने के बाद नई फोर्स का प्रमुख कौन होगा? इस बात को लेकर दोनों जनरलों के बीच विवाद शुरू हो गया।

बता दें कि आरएसएफ का गठन उमर अल बशीर ने साल 2013 में किया था। इसके बाद से इसका इस्तेमाल सरकार के खिलाफ होने वाले विरोध प्रदर्शनों को कुचलने के लिए किया जाता था। देखते-देखते जनरल डगालो ने इसे एक शक्तिशाली संगठन बना दिया।

सूडान का इतिहास

सूडान 1956 में आजाद हुआ। आजादी के बाद से ही सूडान में सेना वर्चस्व रहा है। सूडान ने अब तक कई गृह युद्धझेले हैं। यहाँ सेना बार-बार तख्तापलट करती रही है। अस्थिरता की वजह से देश में कई विद्रोही गुट बनते रहे और देश में स्थिरता नहीं आ सकी। दशकों के गृहयुद्ध के बाद 2011 में दक्षिण सूडान (South Sudan) सूडान से अलग हो गया। एक जनमत संग्रह के बाद यह अलग देश बना था।

यूरोप और अमेरिका ने की सीज़फायर की अपील

इस बीच संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने सूडानी सशस्त्र बलों और रैपिड सपोर्ट फोर्सेज के जनरलों से लड़ाई खत्म करने की अपील की है। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने दोनों कमांडर जनरल से अलग-अलग बात की और संघर्ष खत्म करने के लिए बातचीत को आगे आने के लिए कहा। उन्होंने देश में मानवीय सहायता पहुँचाने की भी इजाजत माँगी। यूरोप के देशों ने भी बातचीत के जरिए मसले का हल निकालने की अपील की है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया