चीनी Huawei, ZTE को स्वीडन ने भी प्रतिबंध लगा कर भगाया, कहा – ‘चोरी करके अपनी सेना की ताकत बढ़ा रहा था’

Huawei और ZTE को स्वीडन से भी झटका

यूरोपीय देशों की तर्ज पर स्वीडन ने भी चीन की दूरसंचार कंपनियों हुआवे और ज़ेटीई (Huawei, ZTE) की 5-जी योजना पर प्रतिबंध लगा दिया है। ख़बरों के मुताबिक़ स्वीडन के दूरसंचार विनियामक ने मंगलवार (20 अक्टूबर 2020) को इस बारे में आदेश जारी करते हुए कहा कि उन्हें सेना और सुरक्षा एजेंसियों की तरफ से सुझाव मिला है, जिसके बाद दोनों समूहों की 5-जी इंस्टॉलेशन परियोजना और अगले महीने होने वाले स्पेक्ट्रम आवंटन पर पाबंदी लगा दी गई। 

चीन पर जासूसी और तकनीक चोरी का आरोप लगाते हुए स्वीडन के दूरसंचार विनियामक ने दूरसंचार ऑपरेटर्स को आदेश दिया कि वह इन समूहों के बनाए उपकरणों को बाहर करें। इसके अलावा साल 2025 तक यह आदेश पूरी तरह लागू हो जाना चाहिए। इसके बाद स्वीडन के दूरसंचार विनियामक ने कहा कि कुल 4 वायरलेस कैरियर्स आगामी स्पेक्ट्रम आवंटन (5-जी) में फ्रीक्वेंसी के लिए बोली लगाएँगे, इनमें से कोई भी हुआवे या ज़ेटीई का उपकरण इस्तेमाल नहीं करें। चीनी उपकरणों पर प्रतिबंध लगने के बाद स्वीडन के समूह इरिक्सन (Ericsson) और फ़िनलैंड के समूह नोकिया (Nokia) के लिए बाज़ार का दायरा कहीं ज्यादा बढ़ जाएगा। 

स्वीडन की सुरक्षा सेवा के मुखिया क्लास फ्रिबेर्ग ने कहा, “चीन हमारे देश के लिए सबसे बड़ा ख़तरा है। चीन हमारे देश से खुफ़िया जानकारी और तकनीक चुरा कर, अनुसंधान और जासूसी करके अपनी सेना की क्षमता बढ़ा रहा था और अर्थव्यवस्था को बेहतर कर रहा था। हमें भविष्य में 5-जी नेटवर्क पर काम करते हुए इन बातों का ख़ास तौर पर ध्यान रखना होगा। हम स्वीडन की सुरक्षा से किसी भी तरह का समझौता नहीं कर सकते हैं।”

अमेरिका और यूरोपीय देशों की तर्ज पर स्वीडन ने प्रतिबंधित किया चीन का 5-जी नेटवर्क

पश्चिम के कई देशों द्वारा यह कदम उठाए जाने के बाद स्वीडन ने चीन के दूरसंचार समूहों के 5 जी मॉड्यूल पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया। जिसमें अमेरिका और यूरोप के कई देश मुख्य हैं यानी स्वीडन में स्थापित होने वाले 5 जी नेटवर्क में चीनी समूहों के उपकरण पूरी तरह प्रतिबंधित होंगे। अमेरिका समेत यूरोप के कई देशों ने यह कहते हुए चीनी समूह को प्रतिबंधित किया था कि वह बीजिंग से जासूसी करते हैं। 

अमेरिका के फेडरल कम्युनिकेशन कमीशन (FCC) ने हुआवे और ज़ेटीई को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ख़तरा बताया था। ऐसा करने का एक बड़ा कारण यह भी था कि अमेरिका के बाज़ार से चीनी निर्माताओं को बाहर करना। इसके पहले मई महीने में अमेरिकी प्रशासन ने हुआवे को अमेरिकी तकनीक और सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करने से रोक लगाई थी। इस साल के जुलाई महीने में ब्रिटेन सरकार ने कहा था कि 2027 के पहले वहाँ के 5-जी नेटवर्क से हुआवे के सारे उपकरण हटा दिए जाएँगे। ब्रिटेन, यूरोप में ऐसा करने करने वाला पहला देश था। 

क्वालकॉम के साथ मिल 5-जी नेटवर्क पर काम करेगा Jio

चीनी समूह हुआवे पर इतने बड़े पैमाने पर प्रतिबंध लगने के दौरान मुकेश अंबानी के जियो ने भारत में 5 जी नेटवर्क पर काम करने के लिए क्वालकॉम के साथ समझौता किया है। अपने बयान में जियो ने कहा कि अमेरिका की रेडिसिस कॉर्प (Radisys Corp) ने क्वालकॉम के साथ मिल कर भारत में 5जी नेटवर्क की संरचना को स्थापित करने के समझौता किया है। 

इसके अलावा उन्होंने यह भी बताया कि जियो 5-जी के परीक्षण के दौरान उन्हें 1 जीबीपीएस प्रति सेकेंड की रफ़्तार मिली थी। जियो और क्वालकॉम ने यह भी कहा था कि वह भारत में 5 जी नेटवर्क के फास्ट ट्रैक विकास के लिए और बिना किसी व्यवधान के चलने वाला नेटवर्क बनाने पर काम कर रहे हैं। अमेरिका, दक्षिण कोरिया, स्विट्ज़रलैंड, ऑस्ट्रेलिया और जर्मनी जैसे कुछ ही देश हैं, जहाँ 5 जी इस्तेमाल करने वालों को 1 जीबीपीएस की रफ़्तार मिलती है। 

जियो और क्वालकॉम के साथ आने के बाद भारत को चीन के हुआवे और ज़ेटीई की आवश्यकता नहीं है और न ही इनके उपकरणों की है। यानी भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा से भी एक ख़तरा टल गया। साल 2021 तक संभावित तौर पर भारत में 5 जी नेटवर्क प्रभावी हो जाएगा।      

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया