महिला जासूस, हनीट्रैप… चीन के खतरनाक इरादे: ब्रिटेन की खुफिया सेवा MI6 के पूर्व निदेशक निगेल इंकस्टर की आपबीती

ब्रिटेन की खुफिया सेवा MI6 के पूर्व निदेशक निगेल इंकस्टर की आपबीती (साभार-एशिया टाइम्स)

चीन (China) का खुफिया राज्य लंबे समय से अत्यधिक सक्रिय रहा है। चीन के बारे में माना जाता है कि पूरी दुनिया में उसके जासूस (Spy) हैं। उसने अपनी कई महिला जासूसों को दूसरे देशों के प्रमुख नेताओं, अधिकारियों को हनी ट्रैप (Honeytrap) में फँसाकर खुफिया जानकारी हासिल करने के लिए तैनात किया हुआ है। इस बीच ब्रिटेन (Britain) की खुफिया सेवा MI6 के पूर्व निदेशक निगेल इंकस्टर (Nigel Inkster) ने चीन को ‘खुफिया राज्य’ बताया है। उन्होंने कहा कि ब्रिटेन को राज्य सुरक्षा मंत्रालय (MSS), चीन की गुप्त पुलिस एजेंसी या सैन्य खुफिया विभाग से अधिक सावधान रहना होगा। 

बता दें कि चीन के सुरक्षा विभाग को राज्य सुरक्षा मंत्रालय (MSS) कहा जाता है। यह विभाग साल 1983 में स्थापित किया गया था। विभाग काउंटर-इंटेलिजेंस, विदेशी इंटेलिजेंस के साथ-साथ घरेलू और विदेशी धरती पर खुफिया तंत्र द्वारा जानकारी जुटाने, निगरानी रखने और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जिम्मेदार है।

निगेल इंकस्टर कहते हैं, “हमें यह गलती नहीं करनी चाहिए, जैसा कि पिछले महीने एक अखबार ने यह सोचकर किया था कि ‘चीन आज वास्तव में पुराने जमाने की जासूसी में दिलचस्पी नहीं रखता है’। इसकी खुफिया सेवाएँ अत्यधिक सक्रिय हैं और भर्ती के लिए कई अलग-अलग तरीकों का इस्तेमाल करती हैं।”

उन्होंने कहा, “चीन अक्सर जिसे मैं ‘आइसबर्ग ऑपरेशन’ (‘iceberg operations’) कहता हूँ, उसमें शामिल होता है। हालाँकि इसे खुले तौर पर स्वीकार नहीं करता है, लेकिन जो दिखाई दे रहा है वह बड़ी तस्वीर का केवल एक अंश मात्र है। मुझे पता है क्योंकि मैं इस तरह के एक ऑपरेशन का टारगेट रहा हूँ। 2018 में, जब मैं कॉमन्स फॉरेन अफेयर्स कमेटी का सलाहकार था, एक ब्रिटिश प्रोफेसर ने सुझाव दिया कि यूरोपीय संघ/चीन (EU/China) संबंधों में जो मुझे अनुभव है, उससे मैं लेक्चर देकर अच्छा पैसा कमा सकता हूँ। क्या मैं चीनी विश्वविद्यालय में उनके दोस्तों से मिलना चाहूँगा? प्रोफेसर खुद एक पार्टी स्कूल में लेक्चर देते हैं जहाँ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) अधिकारी प्रशिक्षित होते हैं।”

निगेल इंकस्टर ने बताया कि उन्होंने शंघाई इंटरनेशनल स्टडीज यूनिवर्सिटी के साथ ईमेल का आदान-प्रदान किया। जिसके बाद उन्हें इससे संबंधित एक थिंकटैंक, शंघाई इंस्टीट्यूट फॉर यूरोपियन स्टडीज (SIES) को भेज दिया। फिर उन्हें जल्द ही शहर के लिए उड़ान भरने के लिए एक फुल पेमेंट वाला प्रस्ताव मिला। चूँकि वो पहले से ही शेन्ज़ेन में एक सम्मेलन में बोलने वाले था, तो वह प्रस्ताव के बारे में और बात करने के लिए वहाँ मिलने के लिए सहमत हुए। ईमेल में कहा गया कि ‘सुखद संयोग’ से इसके दो लोग सप्ताह के बाद बिजनेस के लिए पास के ग्वांगझोउ में मिलेंगे।

वह आगे कहते हैं, “यह पता लगाना मुश्किल नहीं था कि यह एक खुफिया दृष्टिकोण था। उन्होंने मुझे होटल में मिलने के बजाय, एक कैफे में बुलाया। वो दो लोग थे। जिसमें से शेन छोटा था, लेकिन उसी ने मेरे से बात की। शेन का अपना प्रवाह उद्देश्य के लिए उपयुक्त नहीं था, इसलिए हमने चीनी भाषा में बात की। फिर वे गुआंगझोउ में बिजनेस करने की अपनी कहानी भूल गए। यह भी स्पष्ट था कि जैसे-जैसे मैं लेक्चर देने के लिए सक्षम हो रहा था, वैसे-वैसे मैंने अपनी ग्राउंड बदली और वे भी अपने मूल हितों से दूर हो गए। वे एक प्रिंटेड ‘प्रोजेक्ट प्रस्ताव’ लाए थे और तुरंत पेमेंट सेक्शन में चले गए। इसके बाद हम संपर्क में रहने के आश्वासन के साथ अलग हो गए।”

निगेल इंकस्टर ने बताया कि इसके बाद उनके पास कई ईमेल आए। जिसमें पूछा गया कि वो उनसे कब मिल सकते हैं? क्या वो उस लेक्चर पर सलाह देने में मदद कर सकते हैं जो शेन यूके/चीन संबंधों पर दे रहे थे? (यह देखने के लिए कि टारगेट कितनी दूर जा सकता है, कुछ सामान्य अनुरोध के साथ शुरू करना एक सामान्य रणनीति है।) वह कहते हैं, “मैंने पत्राचार को समाप्त होने दिया। लेकिन मुझे यकीन है कि जिस क्षण मैं चीन में कदम रखूँगा और मिस्टर शेन मेरे सामने आएँगे। मैं वापस नहीं आ पाऊँगा।” उन्होंने कहा कि यह आश्चर्य की बात नहीं थी कि उनका खुफिया दृष्टिकोण एक ब्रिटिश अकादमिक द्वारा स्थापित किया गया था। उन्होंने कहा कि उनके विश्वविद्यालय काफी समय से टारगेट पर हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया