जिस ‘सैटेनिक वर्सेज’ के लिए सलमान रुश्दी पर हुआ हमला, उसकी सेल में उछाल: अमेजन के चार्ट में TOP पर, भारत में भी बैन के बाद बढ़ी थी डिमांड

सलमान रुश्दी की 'द सैटेनिक वर्सेज' की बिक्री में उछाल (फोटो साभार: फ्री प्रेस जर्नल)

न्यूयॉर्क में लेखक सलमान रुश्दी (Salman Rushdie) पर हुए जानलेवा हमले के बाद जहाँ कट्टरपंथी जश्न मनाने में जुटे रहे। वहीं दूसरी ओर रुश्दी की किताब ‘द सैटेनिक वर्सेज (The Satanic Verses)’ अमेजन पर तेजी से बिकने लगी। बताया जा रहा है कि रुश्दी की उस किताब को पढ़ने के लिए लोग इतने उत्सुक हैं कि अमेजन पर ये टॉप लिस्ट वाली किताबों में शामिल हो गई है।

द इंडिपेंडेंट की खबर के अनुसार, सलमान रुश्दी का यह उपन्यास सोमवार (15 अगस्त 2022) को अमेजन के समकालीन साहित्य और कथा वाले चार्ट (Contemporary Literature and Fiction Chart) में सबसे ऊपर रहा। वहीं सेंसरशिप और पॉलिटिक्स वाले चार्ट में भी ये किताब दूसरे स्थान पर थी।

कुल मिलाकर बताएँ तो ई-कॉमर्स साइट पर सोमवार को ये 18वीं बेस्ट सेलिंग किताब थी। इसके अलावा इस किताब का किंडल ई-बुक वर्जन भी धड़ाधड़ पढ़ा जा रहा है। अमेजन के चाट में किंडल बेस्टसेलर्स में यह किताब 23वें नंबर पर रही।

बता दें कि अमेजन का बेस्टसेलर चार्ट हर घंटे अपडेट होता है। इसी से लोग किताबों की बिक्री का स्पष्ट अंदाजा लगा पाते हैं। लेकिन इसके अलावा जो सामान्य बुकस्टोर वाले हैं वो भी कह रहे हैं कि घटना के बाद लोग सलमान रुश्दी की किताबों को पढ़ रहे हैं। न्यूयॉर्क के स्ट्रैंड बुकस्टोर ने बताया कि उन्होंने रुश्दी की किताबों की बिक्री में अचानक उछाल देखा है।

कट्टरपंथी हमले के बाद लोगों ने न केवल सैटेनिक वर्सेज को पढ़ने में उत्साह दिखाया, बल्कि रुश्दी के अन्य उपन्यास जैसे मिडनाइट चिल्ड्रन आदि भी पढ़ने शुरू किए। जोसेफ एंटोन जैसा उनके संस्मरण , जिसमें उन्होंने बताया था कि कैसे उन्होंने अपने जीवन का एक दशक पुलिस सुरक्षा में गुजारा, वो भी धार्मिक अहिष्णुता और उत्पीड़न सूची (Religious Intolerance And Persecution List) में टॉप 4 पर है।

1988 में लिखी गई थी ‘द सैटेनिक वर्सेज’

उल्लेखनीय है कि सलमान रुश्दी ने द सैटेनिक वर्सेज को 1988 में लिखा था। कथिततौर पर ये किताब पैगंबर मोहम्मद के बारे में थी। इसके बाजार में आने के बाद कट्टरपंथी भड़क गए थे। ईरान के सुप्रीम लीडर अयोतुल्लाह खमनेई ने उनके खिलाफ फतवा जारी किया था और रुश्दी का सिर कलम करके लाने वाले को 3 मिलियन डॉलर ईनाम देने को कहा था। इसके बाद रुश्दी बच-बच कर विदेशों में ही रहे। लेकिन 33 साल बाद जब शुक्रवार को उन पर हमला हुआ तो कट्टरपंथियों खूब जश्न मनाते दिखे। वे लोग यहाँ तक पूछ रहे थे, “कमीना जिंदा है अब तक या मर गया?”

भारत में ‘द सैटेनिक वर्सेज’ की हुई थी रिकॉर्ड बिक्री: आरिफ मोहम्मद खान

इस किताब का विश्व भर के कट्टरपंथियों ने विरोध किया था। भारत में यह सबसे पहले बैन हुई थी। इस संबंध में केरल राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने जानकारी भी दी थी। उन्होंने बताया था कि कैसे भारत ने इस किताब को बैन किया और उसके बाद पाकिस्तान जैसे देशों में इसका विरोध हुआ, लेकिन तीन महीने बाद उन्हें बताया गया कि भारत में किताब बैन के बावजूद एक किताब जब्त नहीं हुई थी, उलटा इसकी रिकॉर्ड बिक्री दर्ज की गई थी।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया