पेशावर में फिर सिखों पर हमला: दो पगड़ीधारियों को दिनदहाड़े दुकान में घुसकर मारी गई गोली, शहर में बचे हैं अब सिर्फ 500 ‘अल्पसंख्यक’ परिवार

पेशावर में दो सिखों की दिनदहाड़े हत्या, दुकान में घुसकर मारी गोली (साभार-इंडियन एक्सप्रेस)

पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के पेशावर शहर में रविवार (15 मई, 2022) को दो सिखों की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई। मृतकों की पहचान दुकानदार रंजीत सिंह (42) और कुलजीत सिंह (38) के रूप में की गई है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, वे सरबंद इलाके के बट्टा ताल चौक पर अपनी दुकानों पर बैठे थे, तभी दो अज्ञात लोग मोटरसाइकिल पर आए और उन पर गोलियों चला दी।

पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (PSGPC) के सदस्य सतवंत सिंह ने इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “यह टार्गेटेड हत्याओं का मामला प्रतीत होता है। दोनों पगड़ीधारी सिख थे जो अपनी दुकानों पर बैठे थे। हत्यारे बाइक पर आए और फायरिंग करने लगे।”

रिपोर्ट के अनुसार, पेशावर में पिछले आठ महीने में अल्पसंख्यक सिख समुदाय के खिलाफ यह दूसरी घटना है। पिछले साल सितंबर में, पेशावर में एक सिख दुकानदार सतवंत सिंह की उनके पारम्परिक दवाखाने में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस हत्याकांड में इस्लामिक स्टेट के अफगानिस्तान मॉड्यूल इस्लामिक स्टेट खुरासान ने जिम्मेदारी ली थी।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, रविवार को हुई हत्याओं के बाद पेशावर में स्थानीय सिख समुदाय ने ग्रांड ट्रंक रोड को जाम कर दिया और सरकार से न्याय और सुरक्षा की माँग को लेकर प्रदर्शन मार्च निकाला। उन्होंने दोनों मृतकों के परिवारों को उचित मुआवजा देने की भी माँग की।

द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए, एक स्थानीय गुरुद्वारा सेवादार एवं शिक्षक, बलबीर सिंह ने कहा, “बस बहुत हो गया और अब पेशावर में बसे स्थानीय सिख समुदाय के पास इस तरह की टार्गेटेड हत्याओं को सहन करने के लिए धैर्य नहीं बचा है।”

बलबीर ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि पेशावर में लगभग 500 सिख परिवार बसे हुए थे जो ज्यादातर मसाले, किराना और दवाओं के दुकान चलाते हैं।” उन्होंने आगे अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा, “पेशावर में यहाँ किसी भी सिख परिवार की किसी से कोई व्यक्तिगत दुश्मनी या द्वेष नहीं है। हम सभी गरीब लोग हैं जो रोज सुबह काम पर जाते हैं लेकिन हम और हमारा परिवार इसी डर में रहते हैं कि शाम को हम जिंदा घर लौटेंगे या नहीं। हत्यारे आते हैं, हमारी दुकानों में घुस जाते हैं, हमारे सिर पर बंदूकें रखते हैं और बस गोली मार देते हैं।”

उन्होंने आगे कहा, “यहाँ कानून व्यवस्था का कोई डर नहीं है। सिखों को सिर्फ इसलिए गोली मार दी जाती है क्योंकि वे धार्मिक अल्पसंख्यक हैं। सिखों का यह उत्पीड़न बंद होना चाहिए। पाकिस्तान में रहने वाला प्रत्येक सिख अपने देश से बहुत प्यार करता है, हमें पाकिस्तानी होने पर गर्व है लेकिन फिर भी हमारे लोगों को हर दूसरे दिन बिना किसी डर के गोली मार दी जा रही है। हमें पाकिस्तान से मोहब्बत है पर हम यहाँ अमन से रहना चाहते हैं।”

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (PSGPC) के अध्यक्ष, अमीर सिंह ने भी कहा कि पाकिस्तान में सिर्फ 15,000-20,000 सिख बचे हैं, जिनमें से लगभग 500 परिवार अकेले पेशावर में रहते हैं।

उन्होंने कहा, “हमारे दोनों भाई जिनकी आज हत्या कर दी गई है, वे आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों से थे और किराने की छोटी-छोटी दुकानें चलाकर अपनी आजीविका चलाते थे। वे अपनी दुकानों पर बैठे थे कि तभी मोटरसाइकिल पर सवार दो लोगों ने अंदर घुसकर उनके सिर में गोली मार दी। पाकिस्तान हमारी मातृभूमि है, हर किसी की तरह हम भी अपने देश से प्यार करते हैं।”

वहीं रिपोर्ट के अनुसार कहा जा रहा है कि स्थानीय सिख समुदाय के सदस्यों ने नाम न छापने का अनुरोध करते हुए कहा कि 2014 के बाद से खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में कम से कम 10 ऐसी घटनाएँ हुई हैं जब अज्ञात आरोपितों ने आकर सिखों को निशाना बनाया, जबकि उनमें से कुछ घायल हो गए, वहीं कई अन्य की जान चली गई।

उन्होंने आगे इस मामले में बात करते हुए कहा, “2016 में डॉ सोरन सिंह, 2018 में चरणजीत सिंह, 2020 में रविंदर सिंह और 2021 में सतवंत सिंह… ये लिस्ट बहुत लम्बी है। सिख अल्पसंख्यक समूह के सदस्यों को पाकिस्तान में सताया जा रहा है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो रही है और उन्हें कोई डर नहीं है।”

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया