लंदन की मस्जिद में ‘इस्लामोफोबिया’ के नाम पर चाकू मारने वाला भी निकला मुस्लिम: कुरान पढ़ने के लिए जाना चाहता है जेल

हमला करने वाला मुख्य आरोपित होर्टन और घायल इस्लामी लीडर राफ़त

हफिंगटन पोस्ट में फरवरी में प्रकाशित ख़बर में देखा जा सकता है कि मीडिया और मस्जिद के मुखियाओं ने एक घटना को ‘इस्लामोफोबिया’ के नाम पर जघन्य अपराध बताने का प्रयास किया था। जबकि इस घटना की पूरी सच्चाई हैरान करने वाली थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ परिवर्तित व्यक्ति (मुस्लिम) जिसने लंदन स्थित मस्जिद में भीड़ के सामने इस्लामी ‘प्रेयर लीडर’ (इमाम) के गले में चाक़ू मारा था। वह खुद भी मुस्लिम ही निकला, यहाँ तक कि उसने खुद को जेल भेजे जाने का निवेदन किया है जिससे वह पूरी कुरान शुरू से लेकर अंत तक पढ़ सके। 

30 वर्षीय डेनियल होर्टन (Daniel Horton) ने यह बात स्वीकार की थी कि उसने 70 वर्षीय इमाम राफ़त मगलड (Raafat Maglad) पर चाकू से हमला किया था। यह घटना रीजेंट पार्क स्थित लंदन सेन्ट्रल मस्जिद में अंजाम दी गई थी। इस मामले की सुनवाई के दौरान यह बात सामने आई कि हमले की इस घटना के बाद राफ़त मगलड अपने दाहिने हाथ से खाना तक नहीं खा पाते हैं। इसके अलावा उस स्थान पर सार्वजनिक धार्मिक समारोहों में शामिल होने से भी डरते हैं कि उन पर किसी तरह का हमला न हो जाए। घटना के ठीक कुछ समय पहले की फुटेज में देखा जा सकता है कि लाल रंग की हुड में एक व्यक्ति घुटनों के सहारे झुक कर अजीब तरह से प्रार्थना कर रहा है।

20 फरवरी को अंजाम दी गई इस घटना के बाद पुलिस को मस्जिद की मैट पर खून के निशान और चाक़ू (जो होर्टन के पास हमले के वक्त थी) मिला था। इसके अलावा अदालत में सुनवाई के दौरान होर्टन के वकील ने इस मामले में कई दलीलें पेश की। वकील सैम ब्लोम कूपर ने अदालत में होर्टन का पक्ष रखते हुए कहा, “अब तक मेरी होर्टन से जितनी बार भी बात हुई है उसके आधार पर मैं कह सकता हूँ कि वह इस बात को लेकर स्पष्ट है कि उसे जेल की सज़ा सुनाई जाए। होर्टन चाहता है कि उसने जो अपराध किया है उसे उस बात की पूरी सज़ा मिले।” 

इसके बाद वकील ने कहा कि होर्टन कुरान को पूरे दिल से पढ़ना चाहता है। वह कुरान को समझने के लिए उसे शुरू से लेकर अंत तक पढ़ना चाहता है। इस दलील और होर्टन की मनोवैज्ञानिक स्थिति को मद्देनज़र रखते हुए अदालत ने इस मामले की सुनवाई 10 दिसंबर तक टाल दी है। इस प्रकरण में न्यायालय अगली सुनवाई तक दंड का आदेश सुना सकता है। मुस्लिम वेलफेयर चैरिटी ‘अल खोएइ’ (Al khoei) के निदेशक शौकत वर्राइच (Shaukat Warraich) ने इस मुद्दे पर चिंता जाहिर की थी। 

उन्होंने कहा था कि ऐसी घटनाओं की वजह से मस्जिदों में आने वाले आम नागरिकों में भय का माहौल पैदा हुआ है। लोग अपने परिवार के साथ ऐसी जगहों पर आते हैं लेकिन इस तरह की घटनाओं के बाद वह घर में ही बने रहना चाहते हैं। इसके बाद उन्होंने यह भी कहा कि मार्च के दौरान न्यूज़ीलैंड स्थित क्राइस्टचर्च में हुई गोलीबारी जिसमें 51 लोगों की मौत हो गई थी और कई लोग घायल हुए थे। इस घटना की वजह से भी मुस्लिम समुदाय के लोगों में भय व्याप्त है और उनके लिए समझना मुश्किल है कि क्या किया जाए।      

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया