‘मुझे मेरे तेंदुओं के साथ एयरलिफ्ट करा दो’: यूक्रेन के ‘जगुआर कुमार’ ने भारत सरकार से लगाई गुहार, 2022 में लौटने से कर दिया था इनकार

भारत आना चाहते हैं जगुआर कुमार (तस्वीर साभार: टाइम्स ऑफ इंडिया)

साल 2022 में युद्धग्रस्त यूक्रेन से अपने पालतू पैंथरों को छोड़कर जाने से मना करने वाले तेलुगु डॉक्टर गिरी कुमार पाटिल एक बार फिर से चर्चा में हैं। उन्होंने भारत सरकार से अपील की है कि उन्हें एक नया पासपोर्ट दिलाने में मदद की जाए और उन्हें व उनके पालतू जानवरों को भारत लाया जाए। 

दरअसल, पाटिल कुछ समय पहले पोलैंड शिफ्ट हुए थे। लेकिन वहाँ पोलैंड की राजधानी वारसॉ में उनका पासपोर्ट खो गया। टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, डॉ गिरी कुमार पाटिल ने उन्हें पोलैंड से फोन करके बताया कि वो पोलैंड नौकरी की तलाश में गए थे। उन्होंने अपने दो बड़े बाघ- एक पैंथर और अमूर तेंदुआ यूक्रेन में केयरटेकर के पास छोड़ दिए थे और खुद पोलैंड में जाकर हॉस्टल में रहते थे। उनका कहना है कि वहाँ जाकर उनका पासपोर्ट खो गया।

इसके बाद उन्होंने पोलैंड में भारतीय दूतावास में संपर्क किया। जहाँ अधिकारियों ने उनसे कुछ दस्तावेज माँगे जिसे डॉक्टर ने फरवरी में जमा करवा दिया। मगर अब तक पासपोर्ट बनाने का काम चल ही रहा है। डॉ गिरी जब भी पासपोर्ट का ऑनलाइन स्टेटस देखते हैं पता चलता है अभी डॉक्यूमेंट्स का रिव्यू चल रहा है।

उन्होंने दिल्ली में अधिकारियों  से इस मामले में हस्तक्षेप करने को कहा है। उन्होंने बताया, “मैंने दिल्ली में अधिकारियों से अनुरोध किया है कि वो मुझे मेरा नया पासपोर्ट दिलाने में मदद करें ताकि मैं यूक्रेन जाकर अपने विशाल तेंदुओं की देखरेख कर पाऊँ। वह बहुत समय से बंदिश में हैं। अगर मुझे नया पासपोर्ट मिलता है तो यूक्रेन में मेरे घर से 30 किलोमीटर दूर एक जगह है जहाँ से मैं अपनी बिल्लियों को सुरक्षित जगहों पर पहुँचा सकता हूँ।”

कुमार कहते हैं, “यूक्रेन में स्थिति बद्तर होती जा रही है। अगर युद्ध जारी रहता है तो मेरे पालतू जानवर बड़ी मुश्किल में पड़ जाएँगे।” उन्होंने कहा, “मेरी बहुत मदद हो जाएगी अगर भारत सरकार मुझे और मेरी बिल्लियों को भारत ले आए और उन्हें चिड़ियाघर में जगह दे दे। मैं तब उनसे मिल पाऊँगा और तसल्ली से भी रह पाऊँगा कि मेरे पालतू जानवर सुरक्षित हैं।”

बता दें कि साल 2022 में युद्धग्रस्त यूक्रेन से भारतीयों को वापस लाने के लिए भारत सरकार ने ऑपरेशन गंगा अभियान चलाया था। हालाँकि उस समय जगुआर रखने वाले डॉक्टर ने अपने पालतू तेंदुओं को छोड़कर भारत आने से मना कर दिया था। बताया जाता है कि जानवरों से प्रेम के कारण उन्होंने बंगाल टाइगर या एशियाई बाघ को पालने की कोशिश की थी, लेकिन वहाँ के अधिकारियों ने उन्हें इसकी अनुमति नहीं दी। इसके बाद उन्होंने जगुआर पालने का लाइसेंस लेकर इन जंगली जानवरों को अपना पालतू बना लिया। उनका दावा था कि उनके पास मौजूद जगुआर की यह प्रजाति दुनिया की दुर्लभतम प्रजाति है और इनकी संख्या दुनिया भर में सिर्फ 21 है, जिनमें एक उनके पास है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया