बाल न ढकने पर महिलाओं को 74 कोड़े, बाल खोल कर निकलने की अनुमति नहीं: शरिया से चलने वाले ईरान में महिलाएँ दिखा रहीं ताकत, अमेरिकी प्रतिबंधों से भी जूझ रहा मुल्क

ईरान में शरिया के तहत महिलाओं पर दशकों से लगे हैं कई प्रतिबंध (फोटो साभार: Reuters/AFP)

रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद पिछले कुछ हफ्तों में अगर कोई देश मीडिया का समय और ध्यान खींचने में कामयाब हुआ है, तो वह ईरान है। ‘शंघाई सहयोग संगठन’ में शामिल होने का ईरान का निर्णय हो या फिर बहरीन पर क्षेत्रीय दावे की बात हो, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ईरान वो देश है जो ताज़ा चर्चा और विवाद का केंद्र बना हुआ है। ईरान में इन दिनों हिजाब पर हंगामा बरपा हुआ है। महिलाएँ ईरान सरकार के ख़िलाफ़ अपना विरोध जता रही हैं।

इससे पश्चिम एशिया में सामाजिक और राजनीतिक अशांति का माहौल है। मामला कुछ यूँ है कि 22 साल की लड़की महसा अमिनी की पुलिस हिरासत में मौत हो गई। ‘नैतिक पुलिस (Moral Police)’ ने महसा को हिजाब ठीक से न पहनने के जुर्म में हिरासत में लिया था। लेकिन, पुलिस हिरासत में उसकी मौत हो गई, जिसके बाद लोगों का ग़ुस्सा भड़क गया। विरोध प्रदर्शन ईरान की राजधानी तेहरान से शुरू हो कर देश के अलग-अलग हिस्सों में फैल गया।

इस पूरे शासन विरोधी प्रदर्शन में ईरानी महिलाएँ सबसे आगे रही हैं। ईरान पश्चिमी एशिया में एक इस्लामी मुल्क है। इस्लामी मुल्क होने के नाते ईरान में कठोर शरिया क़ानून लागू है। इस क़ानून के अंतर्गत देश में 7 साल से बड़ी किसी भी लड़की या महिला को बाल खोलकर बाहर निकलने की अनुमति नहीं है। ईरान में हिजाब पहनना 1979 की ‘इस्लामी क्रांति’ के बाद से ही अनिवार्य कर दिया गया था। 7 साल से ऊपर की आयु वाली सभी महिलाओं को सार्वजनिक रूप से ढीले-ढाले कपड़े और एक हेडस्कार्फ़ पहनना आवश्यक है।

1983 में संसद ने फैसला किया कि जो महिलाएँ सार्वजनिक रूप से अपने बालों को नहीं ढकती हैं, उन्हें 74 कोड़े मारने की सजा दी जाएगी। 1995 में नियम बना कि बिना सिर ढके बाहर निकलने वाली महिलाओं को 60 दिनों तक की कैद भी हो सकती है। हाल ही में 5 जुलाई को ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने देश हिजाब क़ानून को सख्त बनाया था, जिसमें महिलाओं को गर्दन और कंधो को ठीक से ढकने की बात की गई थी।

हिजाब आंदोलन से ईरान सरकार घबराई हुई दिख रही है। नैतिक पुलिस के चीफ़ को प्रदर्शन के तीसरे दिन ही पद से हटा दिया गया। किसी इस्लामी मुल्क में महिलाओं के प्रदर्शन के बाद सरकार का यह कदम उठाना बहुत बड़ी बात है। अमेरिकी आर्थिक प्रतिबंध और ग्लोबल सप्लाई चेन (Global Supply Chain) में रुकावट के कारण ईरान गम्भीर आर्थिक उथल-पुथल से गुजर रहा है। ऐसे में आंतरिक अशांति ईरान के लिए दोहरी चुनौती उत्पन्न कर रही है।

ईरानी सुरक्षा बल इस विरोध प्रदर्शन को बल पूर्वक कुचलने की कोशिश कर रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो अभी तक 83 लोगे से ज़्यादा की मौत हो चुकी है। इस कारण से दुनिया भर में ईरान के धार्मिक शासन के ख़िलाफ़ और अधिक विरोध शुरू हो गया है। यह ईरान के लिए अच्छें संकेत नहीं है। गुरुवार (29 सितंबर, 2022) को ईरान के राष्ट्रपति, इब्राहिम रईसी का पहला बयान दिया जिसमें उन्होंने कहा कि महसा अमिनी की मौत से सभी प्रभावित हुए है।

उन्होंने कहा कि सभी जानना चाहते है की उसकी मौत कैसे हुई लेकिन कुछ लोग विरोध के आड़ में अराजकता फैलाने की कोशिश कर रहे है। ईरान के’ इस्लामिक रेवलूशनेरी गॉर्ड कॉर्प्स’ ने अभी तक 500 से ज़्यादा पत्रकार, सेलब्रेटी और जो लोग भी इस प्रोटेस्ट में शामिल हैं – उनको गिरफ़्तार कर चुकी है। ऐसी पुलिस कार्रवाई लोकतांत्रिक लोकाचार के ख़िलाफ़ है। ऐसे मानवधिकारों का उल्लंघन किसी भी सभ्य समाज को शोभा नहीं देता।

ईरान का हिज़्बुल्लाह और हमास जैसे उग्रवादी संगठनों का सहयोग करना, बहरीन जैसे मुल्क पर अपना क्षेत्रीय दावा करना और छद्म युद्धों (Proxy Wars) से पश्चिमी एशिया को अशांत करना, ईरान के अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय हितों के लिए ठीक नहीं है। आर्थिक स्थिरता और ईरान परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए ईरान में आंतरिक स्थिरता का होना बहुत ज़रूरी है। ऐसे में ईरान को हिजाब विरोध को समझदारी के साथ नियंत्रित करते हुए एक तर्कसंगत राज्य का परिचय देना चाहिए। यही समय और परिस्थिति की माँग है।