शार्ली एब्दो फिर प्रकाशित किया पैगम्बर मोहम्मद का कार्टून, कहा- ‘हम झुकेंगे नहीं, हम कभी हार नहीं मानेंगे’

शार्ली एब्दो ने पैगंबर मोहम्मद के कार्टून को फिर छापने पर कहा - हार नहीं मानेंगे

2015 में इस्लामिक आतंकवादियों के हमले का शिकार होने के बाद फ्रेंच व्यंग्य साप्ताहिक शार्ली एब्दो (Charlie Hebdo) ने मंगलवार (सितम्बर 01, 2020) को कहा कि वह पैगंबर मोहम्मद के कथित विवादास्पद कार्टूनों पर हुए हमले पर इस सप्ताह के अंत में होने जा रहे मुकदमे की शुरुआत में ही एक बार फिर पैगम्बर मुहम्मद पर कार्टून प्रकाशित करेगा। मैगजीन के डायरेक्टर लौरेंट रिस सौरीस्यू ने लेटेस्ट एडिशन में कार्टून को फिर से छापने को लेकर लिखा, “हम कभी झुकेंगे नहीं, हम कभी हार नहीं मानेंगे।”

इसकी संपादकीय टीम ने इसे आवश्यक बताते हुए लिखा कि अब कार्टून को पुनः प्रकाशित करने का सही समय है, क्योंकि ट्रायल शुरू हो रहा है। पत्रिका का कहना है कि उन्हें 2015 से ही पैगम्बर मोहम्मद पर और भी कैरिकॉर्ड्स को प्रिंट करने का निवेदन आता रहा है।

सम्पादकों का कहना है कि इसके बावजूद हमने हमेशा ऐसा करने से इनकार किया है, इसलिए नहीं कि यह निषिद्ध है – कानून हमें ऐसा करने की अनुमति देता है – लेकिन क्योंकि ऐसा करने के लिए एक अच्छे कारण की आवश्यकता थी, एक कारण, जिसका कोई मकसद हो।

गौरतलब है कि इस मामले में पेरिस में बुधवार से ट्रायल शुरू हो रहा है। मैगजीन के हालिया संस्करण में कवर पेज पर दर्जनभर कार्टून प्रकाशित किए गए हैं। कवर पेज के बीच में पैगंबर मोहम्मद का कार्टून भी मौजूद है जिसे जीन काबूट ने बनाया था। 2015 में हुए आतंकी हमले में उनकी जान चली गई थी। पत्रिका के फ्रंट पेज की हेडलाइन है, “यह सब, बस उसी के लिए।”

शार्ली एब्दो के इस फैसले ने ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ की बहस को एकबार फिर जीवित कर दिया है। एक ओर जहाँ कुछ लोग इसे फ्री स्पीच का लीडर कह रहे हैं तो वहीं, दूसरी ओर कुछ लोगों का मानना है कि शार्ली एब्दो ने लाइन क्रॉस की थी।

फ्रांस के पेरिस में जनवरी 7, 2015 में 2 इस्लामिक बंदूकधारी भाइयों ने व्यंग्य-पत्रिका ‘शार्ली एब्दो’ के दफ्तर पर हमला बोल दिया था। इस हमले में कम से कम 12 लोगों के मरने की खबर आई थी जबकि काफी लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे। पत्रिका के संपादक स्टीफन चारबोनियर की भी हमले में मौत हो गई थी। बंदूकधारी हमलावर इस मैगजीन में छपे पैगंबर मुहम्मद के कार्टून से नाराज थे। पत्रिका काफी समय अपने कथित ‘इस्लाम विरोधी’ सामग्री की वजह से कट्टरपंथियों के निशाने पर थी।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया