बंगाल हिंसा पर TOI ने छापा- रेप के 21 मामलों में कोई सबूत नहीं; कलकत्ता HC के ASG ने फटकारा, कहा- जरा भी सच्चाई नहीं, माफ़ी माँगो

बंगाल हिंसा की वीभत्सता को कम कर के दिखाने की TOI की साजिश

कलकत्ता उच्च-न्यायालय के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (ASG) वाईजे दस्तूर ने बंगाल हिंसा पर एक रिपोर्ट को लेकर TOI को फटकार लगाई है। उस रिपोर्ट में ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ ने पश्चिम बंगाल में हुई हिंसा को कम कर के दिखाने का प्रयास किया था। कलकत्ता हाईकोर्ट ने ASG ने अपने पत्र में कहा है कि उस खबर में जरा सी भी सच्चाई नहीं है और TOI के संपादक को उसके लिए माफीनामा जारी करना चाहिए। साथ ही उस खबर को वापस लेने के लिए भी कहा है।

पश्चिम बंगाल में मई के पहले हफ्ते में ही हिंसा का स्तर बढ़ गया था और खासकर भाजपा कार्यकर्ताओं को जम कर निशाना बनाया जा रहा था। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सत्ताधारी तृणमूल कॉन्ग्रेस (TMC) के गुंडों पर हिंसा के आरोप लगे थे, जिसके कारण कई लोगों को बेघर होना पड़ा और कइयों ने पड़ोसी राज्यों में शरण ली। 4 जनवरी को प्रकाशित TOI की खबर का शीर्षक था, “पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हिंसा: बलात्कार और बलात्कार के प्रयास के NHRC द्वारा बताए गए 21 मामलों में कोई सबूत नहीं – CBI ने कहा”

बंगाल हिंसा पर गलत रिपोर्टिंग के लिए TOI को ASG की फटकार

इस खबर में बताया गया था कि CBI ने कलकत्ता हाईकोर्ट में ये बात कही है। साथ ही बताया गया था कि ‘राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC)’ की रिपोर्ट में जिन 64 ऐसे मामलों का जिक्र है, उनमें से 39 मामलों में रिपोर्ट दर्ज कर ली गई है और 21 मामले पश्चिम बंगाल पुलिस के पास सबूत के लिए वापस भेजे गए हैं। 4 मामलों में जाँच की बात लिखी है। खबर में ये भी लिखा है कि 2 हत्या के मामलों को भी CBI ने सबूत के लिए वापस भेजा है। कलकत्ता हाईकोर्ट में NHRC ने अपनी रिपोर्ट सबमिट की थी।

वहीं TOI को भेजे गए पत्र में ASG ने लिखा है, “3 जनवरी, 2022 को बंगाल चुनाव के बाद हुई हिंसा के मामले की सुनवाई कलकत्ता हाईकोर्ट में हुई, जिस बारे में अगले दिन TOI ने रिपोर्ट प्रकाशित की। दुर्भाग्य से, इस रिपोर्ट में CBI के हवाले से जो कहा गया है उसमें जरा सी भी सच्चाई नहीं है। उस दिन हुई सुनवाई में CBI ने ऐसा कुछ भी नहीं कहा, जैसा इस खबर में लिखा है। इस रिपोर्ट के शीर्षक, तथ्य और आँकड़े – सब पूरी तरह गलत हैं।”

साथ ही कलकत्ता उच्च-न्यायालय के ASG ने इस पर आपत्ति जताई है कि एक प्रतिष्ठित मीडिया संस्थान द्वारा एक संवेदनशील मुद्दे पर इस तरह की गलत रिपोर्टिंग की गई है। उन्होंने इसे बड़ी चिंता का विषय बताया। इस रिपोर्ट को लेकर तुरंत सार्वजनिक माफीनामा प्रकाशित करने को भी कहा है। TOI ने अपनी खबर में हत्या के मामलों को भी इनवर्टेड कॉमा में डाला था, जिससे ऐसा लगे कि ये सिर्फ आरोप हैं और ये सब हुआ नहीं है। जबकि इस तरह की हिंसा की कई तस्वीरें सोशल मीडिया में मौजूद हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया