‘फेक TRP’ मामले में इंडिया टुडे समूह के सीएफओ को समन: जाँच के लिए ED ने बुलाया मुंबई

अरुण पुरी, राहुल कँवल, राजदीप सरदेसाई

मुंबई पुलिस द्वारा रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ़ अर्णब गोस्वामी और अन्य कर्मचारियों को निशाना बनाए जाने के बीच फेक टीआरपी मामले में अहम मोड़ आया है। सूत्रों के मुताबिक़ फ़र्ज़ी टीआरपी मामले में पूछताछ के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इंडिया टुडे के सीएफ़ओ को समन भेजा है। 

सूत्रों द्वारा ऑपइंडिया को दी गई जानकारी के मुताबिक़ जॉइंट डायरेक्टर कार्यालय ने इंडिया टुडे समूह के सीएफ़ओ को समन भेजा है। फ़र्ज़ी टीआरपी घोटाला मामले में समूह के सीएफ़ओ को दिल्ली से मुंबई के लिए समन भेजा गया है, जिन्हें सोमवार को पेश होना है। इस मामले में ऑपइंडिया ने इंडिया टुडे के न्यूज़ डायरेक्टर राहुल कँवल से संपर्क करके उनका पक्ष जानने का प्रयास किया लेकिन उनकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।    

पूरे मामले में यह पड़ाव तब सामने आया है जब मुंबई पुलिस रिपब्लिक टीवी पर फ़र्ज़ी टीआरपी मामले में शामिल होने का आरोप लगा रही थी। जबकि हंसा रिसर्च की रिपोर्ट के आधार पर दर्ज की गई एफ़आईआर में इंडिया टुडे का नाम शामिल था। मामले से जुड़ी एक और अहम बात ये है कि मुंबई पुलिस ने अभी तक इंडिया टुडे समूह को न तो समन भेजा है और न ही समूह के खिलाफ़ जाँच शुरू की है।  

ईडी ने टीआरपी मामले में दर्ज की ECIR

ईडी ने फ़र्ज़ी टीआरपी मामले में एन्फोर्समेंट केस इनफार्मेशन रिपोर्ट (ECIR) दर्ज की है जो कि पुलिस की एफ़आईआर के समानांतर होती है। ईडी मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े आरोपों की जाँच कर रहा है और रिपोर्ट्स में यह बात भी सामने आई थी कि एफ़आईआर में जितने चैनल्स का नाम शामिल है सभी की जाँच होगी। मूल एफ़आईआर में शामिल किए गए नामों के अलावा (जिसमें रिपब्लिक का नाम शामिल नहीं है) मुंबई पुलिस की पड़ताल भी जाँच के दायरे में आ सकती है। ईडी इस मामले से जुड़ने वाली दूसरी केन्द्रीय एजेंसी है, इसके पहले सीबीआई ने इस मामले में एफ़आईआर दर्ज की थी। 

ईडी का खुलासा: मुंबई पुलिस ने नहीं किया था BARC के आँकड़ों का परीक्षण

दिसंबर 2020 में ईडी ने हंसा रिसर्च के अधिकारियों को समन भेजा था, जिसकी एफ़आईआर के आधार पर असल जाँच शुरू की गई थी। 

इस दौरान ऑपइंडिया ने ख़बर प्रकाशित की थी जिसके मुताबिक़ हंसा रिसर्च ने ईडी की पूछताछ में इंडिया टुडे का ज़िक्र किया था न कि रिपब्लिक टीवी का। इसके बाद जब BARC के दो अधिकारियों को समन भेजा गया था, पहला विजिलेंस विभाग से और दूसरा आईटी विभाग से। दोनों को इस तथ्य के आधार पर गिरफ्तार किया गया था कि मुंबई पुलिस ने BARC के आँकड़ों (raw data) के लिए समन नहीं भेजा था। आँकड़ों का मतलब लगाए गए बार-ओ-मीटर से मिलने वाली जानकारी और यही जाँच की शुरुआत का केंद्र भी था। आरोपों के अनुसार मुंबई पुलिस ने इन आँकड़ों का परीक्षण नहीं किया था। 

एक तरफ मुंबई पुलिस ने BARC के आँकड़ों का परीक्षण नहीं किया था और दूसरी तरफ एफ़आईआर के 48 घंटों के भीतर उसी मुंबई पुलिस ने प्रेस वार्ता की थी। जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि रिपब्लिक टीवी टीआरपी घोटाला मामले में शामिल है। हंसा रिसर्च की रिपोर्ट में रिपब्लिक टीवी का नाम कहीं मौजूद नहीं था। 

फ़र्ज़ी टीआरपी मामला

8 अक्टूबर को मुंबई पुलिस कमीश्नर परमबीर सिंह द्वारा की गई प्रेस वार्ता में उन्होंने कहा था कि तमाम चैनल अपनी टीआरपी बढ़ाने के लिए गैरकानूनी तरीकों का इस्तेमाल करते हैं। रिपब्लिक टीवी इसमें मुख्य आरोपित है। यह शिकायत हंसा रिसर्च ने की थी जो BARC के लिए टीआरपी रिकॉर्ड करने वाली डिवाइस को रेगुलेट करती है। 

शुरूआती एफ़आईआर में रिपब्लिक टीवी का नाम नहीं मौजूद था बल्कि इंडिया टुडे को मुख्य आरोपित बताया गया था। इसके बाद ऐसे कई सबूत सामने आए थे जिससे यह पता चला कि मुंबई पुलिस ने तमाम लोगों को रिपब्लिक टीवी के खिलाफ़ बोलने के लिए उकसाया था। हंसा समूह ने यह शिकायत भी की थी कि मुंबई पुलिस उसके कर्मचारियों को रिपब्लिक टीवी के खिलाफ़ बयान देने के लिए धमका रही है।    

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया