‘वो खुद बिकनी पहनती थी’: भारत की मुस्लिम पत्रकार ने महिला की हत्या कर नग्न शव का परेड निकालने वाले हमास आतंकियों का किया बचाव, कोरोना के लिए किया था ‘अल्लाह का शुक्रिया’

खुद को पूर्व पत्रकार बताने वाली इरेना अकबर ने शानी लौक के हत्यारों का बचाव किया (फोटो साभार: दोनों के इंस्टाग्राम हैंडल)

इजरायल का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें हमास आतंकी ‘अल्लाहु अकबर’ का नारा लगाते हुए एक महिला के नग्न शव के साथ ट्रक में खुलेआम जश्न मनाते हुए परेड निकाल रहे हैं। वीडियो में महिला के शव पर थूकते हुए आतंकियों को देखा जा सकता है। शव के साथ भी अमानवीय व्यवहार किया गया। उक्त मृतका की पहचान जर्मनी की शानी लौक के रूप में हुई है, जो इजरायल में एक म्यूजिक फेस्टिवल में हिस्सा लेने गई थी। उनकी माँ ने भावुक अपील करते हुए कहा है कि कम से कम उनकी बेटी का शव लौटा दिया जाए।

जहाँ एक तरफ पूरी दुनिया इस घटना की निंदा कर रही है, खुद को पूर्व पत्रकार बताने वाली इरेना अकबर ने हमास के उन आतंकियों का बचाव किया है जिसने जर्मन महिला की हत्या की। उन्होंने इस्लाम का बचाव करते हुए लिखा कि इसमें किसी महिला पर हमला करना युद्ध का नियम नहीं है, इसीलिए ये निंदनीय है। ये अलग बात है कि इस्लामी आक्रांताओं के हमलों से लेकर ISIS के दौर तक, महिलाओं को सेक्स स्लेव बनाए जाने का लंबा इतिहास रहा है।

‘इंडियन एक्सप्रेस’ में काम कर चुकीं इरेना अकबर ने अजीब सा तर्क देते हुए कहा कि महिला का शव पूरी तरह नग्न नहीं था, क्योंकि उसके शरीर के ऊपरी और निचले हिस्से ढँके हुए थे। सवाल ये है कि क्या अब इस पर बहस की जाएगी कि महिला कितनी नग्न थी, ऐसी घटना में संवेदनहीनता का परिचय देकर कितना नग्न किया गया था इसका प्रतिशत निकाला जाएगा? इरेना अकबर का आगे का तर्क, या यूँ कहें कि कुतर्क और भी ज़्यादा संवदेनहीन नजर आता है।

वो लिखती हैं कि शानी लौक का इंस्टाग्राम हैंडल देखने पर पता चलता है कि वो अक्सर बिकनी व ‘शरीर दिखाने वाले अन्य वस्त्र’ पहनती थीं, इसीलिए ये संभव हो सकता है कि जब उनकी हत्या की गई तब वो इन्हीं कपड़ों में हों। इतना लिखने के बाद बड़ी बेशर्मी से इरेना अकबर ने लिखा कि वो मृतका का अपमान नहीं करना चाहतीं, न ही उन्हें नीचा दिखाने का उनका कोई इरादा है। उन्होंने इंस्टाग्राम हैंडल को ‘सबूत’ बताते हुए दवा किया कि वो ‘तर्क’ दे रही हैं।

इसके बाद इरेना अकबर ने हमास आतंकियों को क्लीन-चिट देते हुए संभावना जता दी कि महिला को उनलोगों ने नग्न नहीं किया था। सोचिए, यहाँ ये चर्चा नहीं की जा रही है कि एक निर्दोष महिला की हत्या क्यों की गई, बल्कि इस पर बचाव किया जा रहा है आतंकियों का कि उन्होंने महिला को नग्न किया या नहीं, कितने कपड़े उतारे। फिर उलटा उन्होंने इस्लाम का हवाला देकर आतंकियों को सलाह दे डाली कि उन्हें एक कपड़े से महिला का शरीर ढँक देना चाहिए था।

उन्होंने उल्टा उन ‘गैर-मुस्लिमों’ से ही सवाल कर डाला कि जब वो ईरान की पुरानी तस्वीरें शेयर कर के बिकनी पहनने को ही महिलाओं की स्वतंत्रता मानते हैं तो फिर उन्हें एक महिला को नग्न किए जाने से दिक्कत क्यों है? इरेना अकबर ने शानी लौक की इंस्टाग्राम वाली तस्वीर शेयर की। साथ ही उनकी लाश की नग्न तस्वीर को एडिट कर कवर कर दिया और इस्लाम में ‘मृतक के सम्मान’ का हवाला दिया। यानी, ‘अल्लाहु अकबर’ चिल्लाते हुए हत्या और महिला को नग्न परेड कराना ठीक है उनके हिसाब से, नहीं एक तस्वीर को एडिट कर शरीर ढँक देने से वो आतंकियों का बचाव कर के भी ‘महान’ बन गईं?

याद कीजिए, ये वही इरेना अकबर है जिन्होंने  कोविड-19 महामारी के लिए खुदा का शुक्रिया किया था और यह दावा किया था कि यदि कोरोनावायरस नहीं होता तो भारतीय मुसलमान डिटेन्शन कैंप में होते। इरेना अकबर ने कहा था, “यदि कोरोनावायरस नहीं होता तो भारतीय मुसलमान डिटेन्शन कैंप में होते। हालाँकि मैं वायरस की शुक्रगुजार नहीं हूँ जिसने मेरी आंटी की जान ली, जिसने मेरे अब्बू को आईसीयू में पहुँचा दिया और कई घरों में ट्रेजेडी का कारण बन गया। मैं इस तथ्य पर बात कर रही हूँ कि जब ‘फासीवादी’ अपने प्लान बना रहे थे तब अल्लाह ने अपना प्लान बना दिया।“

इरेना अकबर हमेशा से ही ऑनलाइन मंचों पर घृणास्पद बयान देने के लिए जानी जाती रही है। फरवरी 2020 में अकबर ने दलितों पर यह आरोप लगाया था कि उन्होंने गुजरात दंगों के दौरान मुस्लिमों का गैंगरेप और उनकी हत्या की थी। अकबर हिंदुओं के द्वारा चलाए जा रहे व्यापार के बहिष्कार की बात भी कर चुकी है। उसने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा जामिया के पक्ष में आवाज न उठाने पर घोर निराशा भी व्यक्त की थी।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया