‘हत्या आतंकी करते हैं, BBC उनका पाप धोने आ जाता है’: जम्मू-कश्मीर में हमले को ‘चरमपंथी’ बताने पर बिफरे नेटिजन्स

आतंकी हमले को चरमपंथी बता रहा बीबीसी

जम्मू-कश्मीर में एक पूर्व विशेष पुलिस अधिकारी (एसपीओ) के घर पर हमला कर आतंकियों ने उनकी हत्या कर दी। इस खबर को लेकर सोमवार (28 जून 2021) को ब्रिटेन की राष्ट्रीय प्रसारण समाचार सेवा (बीबीसी) ‘खेल’ किया। उसने इसे ‘चरमपंथी’ हमला बताते हुए इसे जस्टिफाई करने की कोशिश की। ‘चरमपंथी’ का अर्थ ‘कट्टरवादी’ से होता है, जो कि ‘आतंकवादी’ से अलग है।

बीबीसी की रिपोर्ट

रविवार (27 जून 2021) को आतंकवादियों ने पूर्व विशेष पुलिस अधिकारी (एसपीओ) की पुलवामा के हरिपरिगाम गाँव स्थित घर में घुसकर गोली मारकर हत्या कर दी थी। आतंकवादियों के हमले में एसपीओ फैयाज अहमद भट की पत्नी राजा बेगम और बेटी राफिया की भी मौत हो गई।

इस मामले में बीबीसी ने अपने इस्लाम समर्थक और हिंदू विरोधी पूर्वाग्रह को जाहिर किया। उसने बर्बर आतंकवादियों को चरमपंथी करार दिया। बस फिर क्या था सोशल मीडिया पर नेटिजन्स बीबीसी से इस कदर नाराज हुए कि उन्होंने चैनल को आईना दिखाया कि सत्य को सत्य कहने की जरूरत है, भले ही वो सुनने में कड़वा लगे। आतंकी को आतंकी ही कहा जाना चाहिए, चरमपंथी नहीं।

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लोगों ने बीबीसी को बताया कि चरमपंथी और आतंकवादी दोनों किस तरह से अलग हैं। लोगों ने यह भी सवाल किया कि क्या बीबीसी इस बात को मानता है कि न्यूयॉर्क में 9/11 के आतंकी हमले के अपराधी आतंकवादी नहीं चरमपंथी थे।

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नेटिज़न्स ने यह भी बताया कि कैसे बीबीसी आमतौर पर इस तरह की आतंकी गतिविधियों को कम आँक कर इस पर अपनी सफाई पेश करता है।

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बीबीसी पहले भी इस तरह के कार्य करता रहा है। उसने अपने हिंदू विरोधी पूर्वाग्रह को छिपाने की कभी कोशिश नहीं की। देश की राजधानी दिल्ली में फरवरी 2020 में हुए हिंदू विरोधी दंगों के दौरान भी बीबीसी ने ऐसा ही किया था। उसने विजुअल्स का इस्तेमाल करते हुए अपने नैरेटिव के अनुसार दिल्ली पुलिस के खिलाफ एकतरफा न्यूज दिखाई थी। उसने दिल्ली पुलिस के कॉन्स्टेबल रतन लाल और आईबी कर्मचारी अंकित शर्मा की मौत समेत पुलिसकर्मियों पर हुए हमले को दिखाने की कभी जहमत नहीं उठाई। आम आदमी पार्टी के नेता ताहिर हुसैन के नेतृत्व वाली इस्लामी भीड़ पर आईबी के अधिकारी अंकित शर्मा की हत्या का आरोप है।

बीबीसी ने इसी साल फरवरी 2021 में किसान आंदोलन में हिंदुओं और सिखों के बीच फूट डालने के लिए ब्रिटिश लेखक को प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराया था। इतना ही नहीं, बीबीसी ने फिलिस्तीन के आतंकी संगठन हमास को भी अपने विचारों के लिए प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराया था। इसको लेकर उसकी काफी आलोचना भी हुई थी। चैनल के जरिए बीबीसी ने बर्बर आतंकी संगठन को पीड़ित साबित करने की कोशिश की थी। इसके अलावा, बीबीसी पर भारत के प्रति नस्लवादी होने के आरोप भी लगते रहे हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया