पालघर में मारे गए साधु तो हिन्दू थे ही नहीं: ‘The Wire’ ने शुरू किया लिंचिंग पर प्रपंच फैलाने का गन्दा खेल

'द वायर' पालघर मॉब लिंचिंग पर घृणा फैला रहा है

प्रोपेगंडा पोर्टल ‘द वायर’ ने पालघर में साधुओं की मॉब लिंचिंग को लेकर झूठ फैलाया है। इस प्रोपेगंडा पोर्टल को अमेरिकी सिद्धार्ध वरदराजन द्वारा चलाया जाता है। वैसे तो उसका फेक न्यूज़ फैलाने का पुराना इतिहास रहा है लेकिन इस बार तो उसने हद ही कर दी। पालघर में साधुओं की हत्या के बाद उसने उन साधुओं की पहचान पर ही प्रश्न खड़ा कर दिया और उनके हिन्दू होने पर भी शक जताया। और इसके दुर्भावना की हद यह है कि द वायर ने महाराष्ट्र के पालघर में जूना अखाड़े से जुड़े दो साधुओं की जघन्य मॉब लिंचिंग को लेकर भी अपना प्रोपेगेंडा नहीं छोड़ा है। ‘द वायर’ इसे लेकर भी घृणित प्रोपेगंडा फैला रहा है। जबकि ये विदित है कि ये साधु दशनामी थे और वो जूना अखाड़ा से जुड़े हुए हैं।

उसने दावा कर दिया कि ये साधु हिन्दू ही नहीं थे। प्रोपेगंडा पोर्टल ने दावा किया कि सोशल मीडिया ने उन्हें ऐसे ही साधु समझ लिया। जूना अखाड़ा के साधु हिन्दू नहीं हैं, इससे बड़ी बात क्या हो सकती है? ‘द वायर’ ने दावा किया कि ये दोनों साधु घुमन्तु प्रजाति के थे, जिसका आधार वाराणसी में है। यानी, उसने अखाड़े की पहचान छिपाने की कोशिश की, जो हिन्दू साधुओं का है।

द वायर में प्रकाशित लेख

द वायर ने यहाँ छुपाने का प्रयास किया है कि जूना अखाड़ा एक अन्वेषण हिंदू तपस्वी व्यवस्था है और किसी भी परिस्थिति में इसके बारे में कोई गलत व्याख्या नहीं की जा सकती है, जब तक कि कोई इसके प्रति दुर्भावना से प्रेरित न हो।

‘द वायर’ ने पहले तो जूना अखाड़ा को लेकर बात की थी लेकिन अगली ही रिपोर्ट में वो साधुओं को हिन्दू ही नहीं बताने लगा। अपने ही लेखों में इस तरह के विरोधाभास ‘द वायर’ जैसे मीडिया संस्थान ही रख सकते हैं। फ़रवरी 2019 में आज़मगढ़ के कन्हैया प्रभु नंदगिरि को महामंडलेश्वर बनाया गया था, जो दलित समुदाय से ताल्लुक रखते हैं।

‘द वायर’ ने अखाड़ा को ब्राह्मणवाद के प्रभाव वाला भी बता दिया था लेकिन उसे शायद ये पता नहीं कि वहाँ सभी जाति-संप्रदाय के साधु हैं। या फिर ये भी हो सकता है कि उसे सब पता हो लेकिन जनता को भ्रमित करने के लिए वो झूठ बोल रहा है। जब कुम्भ के समय दलित को महामंडलेश्वर बनाया गया था, तब ‘द वायर’ जैसे प्रपंची पोर्टलों ने इसे चुनाव से पहले दलित वोटों को लुभाने वाला उपक्रम भी करार दिया था। अब आप सोचिए, कि क्या ब्राह्मणवाद पर चलने वाला अखाड़ा दलित को महामंडलेश्वर बना देगा? ऐसा तो नहीं हो सकता।

लाशों पर प्रपंच फैलाने में लगा ‘द वायर’

बता दें कि गुरुवार (अप्रैल 16, 2020) को हुई इस घटना का वीडियो 3 दिन बाद रविवार को वायरल हुआ, जिसके बाद लोगों को सच्चाई पता चली थी। पालघर मॉब लिंचिंग का ये वीडियो दिल दहला देने वाला है। उस वीडियो को देख कर कोई भी काँप उठे। इस वीडियो में दिख रहे एक संदिग्ध व्यक्ति की पहचान को लेकर भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने जानकारी माँगी थी। पता चला है कि वो शरद पवार की पार्टी का आदमी है। उसका नाम काशीनाथ चौधरी बताया गया। लेकिन, मीडिया का एक बड़ा वर्ग इस पर चुप है।

नोट: यह अंग्रेजी में इस मूल लेख का अनुवाद है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया