गोधरा में हिंदुओं को जलाना Milli Gazette के लिए ‘जायज’, इसके फाउंडर जफरूल इस्लाम को केजरीवाल ने दिया था ओहदा

'मिली गैजेट' ने गोधरा हत्याकांड को ठहराया जायज (फाइल फोटो)

हिन्दू देवी-देवताओं का मजाक उड़ाने वाले स्टैंडअप कॉमेडियन मुनव्वर फारुकी के बचाव में मीडिया का एक हिस्सा इतना पागल हो गया है कि अब गोधरा में रामभक्तों को ट्रेन में ज़िंदा जलाए जाने वाली घटना का भी समर्थन कर रहा है। ये करतूत ‘मिली गैजेट’ नाम के एक मीडिया संस्थान ने की है, जिसके संस्थापक डॉक्टर जफरुल इस्लाम खान दिल्ली सरकार की ‘दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग’ के अध्यक्ष रह चुके हैं। वो फ़िलहाल इस वेबसाइट के ‘संस्थापक संपादक’ के पद पर भी हैं।

असल में ये सब आनंद रंगनाथन के एक ट्वीट से शुरू हुआ, जिसमें उन्होंने कहा कि इजरायल में यहूदी एक वेब सीरीज को काफी पसंद कर रहे हैं, जिसमें अडोल्फ हिटलर के ‘मानवीय पक्ष’ को दिखाया गया है। उसके ‘शाकाहार’ और ‘कुत्तों के प्रति प्यार’ को भी इसमें दर्शाया गया है। उन्होंने लिखा कि इस वेब सीरीज का नाम ‘The Empire’ रखा जाना था, लेकिन फिर किसी ने इसका नाम ‘The Reich’ रखना पसंद किया। उन्होंने लिखा कि अगर आप यहूदी हैं तो इस वेब सीरीज को ज़रूर देखें।

इसके बाद JNU के प्रोफेसर आनंद रंगनाथन ने लिखा, “मुनव्वर फारुकी के लिए 59 हिन्दू पुरुषों-महिलाओं-बच्चों-शिशुओं को को गोधरा में ज़िंदा जलाया जाना ऑशविच कैंप में नाजियों द्वारा यहूदियों के नरसंहार के समान ही है। अगर वो सोचते हैं कि ऐसी घटनाओं का अमानवीयकरण करना मजाक-मस्ती है, तो फिर आप एक मानसिक पागल हैं। आपको मेडिकल मदद की ज़रूरत है।” ज़फरुल इस्लाम द्वारा संचालित ‘मिली गैजेट’ ने इसी ट्वीट पर प्रतिक्रिया दी।

मीडिया संस्थान ने संवेदनहीनता का परिचय देते हुए लिखा, “क्या मुनव्वर फारुकी ने इस तरह की टिप्पणी की कि अगर उनकी कार के नीचे एक कुत्ता भी आ जाता है तो वो दुःखी हो जाते हैं। इससे ज्यादा अमानवीयकरण क्या हो सकता है? क्या गोधरा और ऑशविच समान हैं? वाऊ, यहूदी ट्रेन में ठेले वालों और लोगों पर हमले कर रहे थे। साथ ही वो रेलवे स्टेशनों पर हमले कर के एक धार्मिक इमारत को गिराए जाने का जश्न मना रहे थे?” लोगों ने ‘मिली गैजेट’ से पूछा कि क्या हिन्दुओं को ज़िंदा जलाया जाना उसके लिए एक दुःख भरी घटना नहीं है?

ज़फरुल इस्लाम हैं ‘मिली गैजेट’ के संस्थापक-संपादक

दिल्ली के पूर्व मंत्री कपिल मिश्रा ने मीडिया संस्थान के बयान की आलोचना करते हुए लिखा, “59 मासूम, जिनसे 27 महिलाएं और 10 छोटे बच्चे थे, उनकी हत्या को सही साबित किया जा रहा हैं इस मिल्ली गैजेट का संपादक जफरुल इस्लाम जिसको दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग का अध्यक्ष बनाया गया।” लोगों ने मीडिया संस्थान को हिन्दूफोबिक करार दिया। लोगों ने पूछा कि मुस्लिम भीड़ द्वारा हिन्दुओं को ज़िंदा जलाए जाने की घटना को वो जायज क्यों ठहरा रहा है?

गौरतलब है कि 28 अप्रैल को जफरुल इस्लाम ने ट्वीट कर कहा था कि कट्टर हिन्दुओं को शुक्र मनाना चाहिए कि भारत के समुदाय विशेष ने अरब जगत से कट्टर हिन्दुओं द्वारा हो रहे ‘घृणा के दुष्प्रचार, लिंचिंग और दंगों’ को लेकर कोई शिकायत नहीं की है और जिस दिन ऐसा हो जाएगा, उस दिन अरब के लोग एक आँधी लेकर आएँगे, एक तूफ़ान खड़ा कर देंगे। जफरुल खान के समर्थन में 8 मई को 20 मौलवियों और नेताओं ने एक संयुक्त बयान जारी करते हुए उनके खिलाफ दर्ज देशद्रोह के मुकदमे को वापस लेने की माँग की थी।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया