शेखर गुप्ता के ‘दी प्रिंट’ ने फैलाया झूठ, स्वास्थ्य मंत्रालय ने सही करते हुए कहा: सत्य से बहुत दूर है यह खबर

स्वास्थ्य मंत्रालय ने 'दी प्रिंट' की रिपोर्ट को फेक और खुरापात से भरा हुआ बताया है

स्वास्थ्य मंत्रालय ने शेखर गुप्ता की वेबसाइट ‘दी प्रिंट’ द्वारा प्रकाशित एक फर्जी, मनगढ़ंत रिपोर्ट को फेक और खुराफात से भरा हुआ बताते हुए कहा है कि यह रिपोर्ट सत्य से बहुत दूर है।

https://twitter.com/MoHFW_INDIA/status/1295719177290997766?ref_src=twsrc%5Etfw

दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार (15 अगस्त) को कहा कि लड़कियों की शादी की उपयुक्त उम्र क्या होनी चाहिए, इस बारे में सरकार विचार कर रही है और इस सिलसिले में एक समिति भी गठित की गई है। जिसने शेखर गुप्ता के दी प्रिंट को फेक और मनगढ़ंत खबर प्रकाशित करने का मौका दे दिया।

दी प्रिंट ने आज मंगलवार (अगस्त 18, 2020) को एक रिपोर्ट प्रकाशित करते हुए दावा किया कि महिलाओं की विवाह की उम्र को लेकर मंत्रालय और अधिकारियों के बीच विवाद है और इसके साथ ही कुछ बेहद काल्पनिक तथ्यों को मंत्रालय के हवाले से रख दिया है।

लेकिन मंत्रालय ने शेखर गुप्ता की वेबसाइट दी प्रिंट के इस काल्पनिक दावे का खंडन किया है और स्पष्ट किया है कि वे वास्तव में इस प्रस्ताव का समर्थन करते हैं, जिसे लेकर शेखर गुप्ता के पोर्टल ने फर्जी खबर प्रकाशित की है। मंत्रालय ने लड़कियों के लिए शादी की उम्र बढ़ाने के प्रस्ताव का समर्थन करने का अपना कारण भी बताया।

हालाँकि, ‘दी प्रिंट’ ने बेहद चालाकी से इसी रिपोर्ट में दावा किया है कि उन्होंने इसके लिए स्वास्थ्य मंत्रालय की प्रवक्ता मनीषा वर्मा से बात करने की कोशिश की लेकिन रिपोर्ट प्रकाशित होने तक उनसे बात नहीं हो पाई। लेकिन, शायद इसका मतलब यह नहीं था कि यदि किसी मंत्रालय से आधिकारिक बयान मिलने में देरी हो जाए तो काल्पनिक खबर को बेबुनियाद आधारों पर ‘सूत्रों के हवाले से’ प्रकाशित कर दिया जाए।

‘दी प्रिंट’ ने काल्पनिक सूत्रों के हवाले से इस रिपोर्ट में कहा है कि पिछले साल तक सरकार पुरुषों और महिलाओं के बीच समानता लाने के लिए पुरुषों की शादी की उम्र को 21 की वर्तमान सीमा से 18 तक कम करने की ओर जोर दे रही थी। इसके साथ ही दी प्रिंट के ‘दूसरे सूत्रों’ ने उन्हें बताया कि अधिकारियों ने सरकार को यही करने की सलाह देते हुए कहा कि महिलाओं की उम्र बढाने की जगह पुरुषों की उम्रसीमा बढ़ने पर विचार करना चाहिए।

दी प्रिंट ने इस रिपोर्ट में कहा है कि अधिकारियों ने तर्क देते हुए उन्हें बताया कि लड़कियाँ 21 से पहले यौन रूप से सक्रिय हो जाती हैं और यदि सरकार शादी की उम्र बढ़ाती है, तो उनमें से कई अपने प्रजनन या यौन अधिकारों के लिए औपचारिक स्वास्थ्य प्रणाली का लाभ नहीं उठा सकेंगी।

‘सूत्रों’ द्वारा दी प्रिंट के पत्रकारों को दिए गए एक अन्य बयान में अधिकारियों ने कहा कि यदि लड़कियों के विवाह की उम्र 18 से 21 कर दी जाती है तो इससे बाल विवाह के भी केस सामने आएँगे।

प्रिंट ने कहा है कि अधिकारियों ने बताया है कि ‘अभी बाल विवाह मान्य नहीं हैं लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में कहा था कि नाबालिग पत्नी के साथ सेक्स करना बलात्कार है – इसलिए, हम ऐसी स्थिति में हैं, जहाँ 18 साल से कम उम्र की लड़की के साथ शादी अवैध नहीं है, लेकिन उसके साथ सेक्स करना अपराध है।

मंत्रालय ने इस पर स्पष्टीकरण देते हुए और दी प्रिंट की इस रिपोर्ट को फेक बताते हुए कमेटी को भेजा गए अपने नजरिए को रखा है, जिसमें मंत्रालय ने कहा है कि लड़कियों की विवाह की उम्र बढ़ाने के पीछे का मकसद उन्हें आर्थिक, वैचारिक और मानसिक रूप से परिपक्व होने देना है। मंत्रालय ने कहा है कि लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाना उन्हें अपने हर प्रकार के फैसले लेने का अधिकार भी देगा।

ख़ास बात यह है कि दी प्रिंट ने इस स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा फेक ठहराई गई इस रिपोर्ट के बीचों-बीच ‘गुड जर्नलिज्म मैटर्स’ का हवाला देते हुए अच्छी पत्रकारिता को जिन्दा रखने के लिए लोगों से उन्हें दान देने की भी अपील की है –

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया