मुंबई पुलिस का नया आरोप: BARC ने टाइम्स नाउ की रेटिंग घटाकर अर्णब के चैनल को बनाया नंबर-1, रिपब्लिक ने दिया तगड़ा जवाब

मुंबई पुलिस का रिपब्लिक पर नया आरोप

टीआरपी हेरफेर मामले में अब मुंबई पुलिस ने रेटिंग एजेंसी BARC के पूर्व अधिकारियों पर रिपब्लिक टीवी के साथ मिलीभगत करने का नया आरोप लगाया है।

मुंबई पुलिस ने आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोप लगाया कि BARC के पूर्व सीईओ पार्थो दासगुप्ता के कार्यकाल के दौरान TRP का फर्जीवाड़ा किया गया और अन्य इंग्लिश टीवी समाचार चैनलों की रेटिंग जानबूझकर नीचे गिरा कर रिपब्लिक टीवी को नंबर 1 बनाया गया। बता दें दास इस मामले में गिरफ्तार किए जा चुके है।

पुलिस ने कहा कि BARC ने टाइम्स नाउ की रेटिंग को नीचे लाने के लिए व्यूअरशिप और टीआरपी डेटा में हेरफेर किया, जोकि पहले एक नंबर वन अंग्रेजी न्यूज चैनल था, जब अर्णब गोस्वामी इसे हेड कर रहे थे। इसके बाद अर्णब ने अपना खुद का चैनल रिपब्लिक टीवी लॉन्च किया।

BARC पर गंभीर आरोप लगाते हुए मुंबई पुलिस ने कहा कि रेटिंग्स को पहले से ही निर्धारित कर दिया गया था और इसे अचीव करने के लिए दर्शकों के डेटा में हेरफेर किया गया था। पुलिस ने आरोप लगाया कि BARC के शीर्ष अधिकारियों द्वारा मामले में गुटबंदी की गई थी। मुंबई पुलिस ने यह भी आरोप लगाया कि डेटा, आउटलाइडर विधि, मेटा नियम और चैनल ऑडियंस नियंत्रण में हेरफेर करने के लिए तीन तरीकों को नियोजित किया गया था।

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मुंबई पुलिस ने एक मेल के हवाला देते हुए कहा कि, BARC द्वारा टाइम्स नाउ और सीएनएन न्यूज 18 के नंबर बदल दिए गए थे, जिसके परिणामस्वरूप टाइम्स रेटिंग्स में बदलाव हुए थे। उन्होंने दावा किया कि रिपब्लिक को नंबर 1 पर लेने के लिए टाइम्स नाउ को जानबूझकर नंबर 2 बनाया गया।

गौरतलब है कि टीआरपी में हेरफेर मामले में यह नया खुलासा है, जहाँ मुंबई पुलिस मामले में दर्ज ओरिजिनल एफआईआर को पूरी तरह से अनदेखा कर रही है। बता दें यह एफआईआर हंसा रिसर्च द्वारा दायर की गई थी। जोकि निजी कंपनी है और BARC के बार-ओ-मीटर का प्रबंधन करती है, साथ ही टेलीविजन दर्शकों की संख्या को मापती है।

इस एफआईआर में उल्लेख किया गया था कि इंडिया टुडे अपने चैनल को देखने के लिए स्थापित टीआरपी को बढ़ावा देने के लिए मीटर के साथ घरों को रिश्वत दे रहा था। लेकिन इस मामले पर मुंबई पुलिस ने रिपब्लिक टीवी पर आरोप लगाया था और इंडिया टुडे टीवी के खिलाफ कार्रवाई करने से इनकार कर दिया था।

वहीं मुंबई पुलिस द्वारा चैनल पर आरोप लगाए जाने के बाद रिपब्लिक टीवी ने एक बयान जारी कर लगाए गए सभी आरोपों का खंडन किया और कहा कि BARC ने उन्हें दो बार ईमेल लिखकर कहा था कि रिपब्लिक टीवी पर किसी भी हेरफेर का कोई सवाल ही नहीं है। पुलिस के आरोपों को निराधार बताते हुए बयान में यह भी कहा गया कि जिस फोरेंसिक रिपोर्ट का मुंबई पुलिस उल्लेख कर रही है वह जुलाई 2020 से है, और चैनल को BARC के ईमेल नवंबर और दिसंबर 2020 में आए हैं।

रिपब्लिक ने यह भी बताया कि BARC में पिछले डिस्पेंशन के बाद चैनल की रेटिंग बढ़ गई। चैनल ने पूछा, “2020 का आधा साल बीतने के बाद दर्शकों की संख्या में वृद्धि हुई है। क्या मुंबई पुलिस के पास इसके लिए कोई स्पष्टीकरण है? या इसमें रिपब्लिक टीवी की दर्शकों की संख्या बढ़ाने के लिए BARC की गलती है?”

उन्होंने यह भी कहा, “जुलाई 2020 में सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद लगातार उसकी खबर चलाने पर रिपब्लिक भारत नंबर 1 हिंदी समाचार चैनल बन गया था, जब BARC में नया डिस्पेंसन खत्म हो गया था। क्या मुंबई पुलिस का दावा है कि BARC में नया डिस्पेंस रिपब्लिक टीवी के साथ हाथ मिला रहा है? ”

साथ ही रिपब्लिक ने कई दावे करते हुए मुंबई पुलिस के आरोपों को हास्यास्पद बताया है। और कहा है कि इस जाँच का कुल मकसद रिपब्लिक टीवी को टारगेट करना था।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया