जिस ‘पत्रकार’ के लिए PM मोदी की हत्या की साजिश ‘छोटे-मोटे बम धमाके’ की कोशिश, उसने ज्वाइन किया अलजजीरा: पहले ही एपिसोड में परोसी हिंदू घृणा

श्रीनिवासन जैन (फोटो साभार: श्रीनिवासन/X)

NDTV के विवादित न्यूज एंकर श्रीनिवासन जैन ने कतर के मीडिया संस्थान अलजजीरा को ज्वाइन कर लिया है। कल यानी 14 मार्च को उन्होंने अपने एक्स पर एक ट्वीट शेयर करके इसकी जानकारी दी। इस ट्वीट में उन्होंने उस रिपोर्ट की क्लिप लगाई हुई थी जो उन्होंने अलजजीरा के लिए की। ये रिपोर्ट उन्होंने अयोध्या में रामजन्मभूमि के वक्त की थी।

श्रीनिवासन जैन ने इस रिपोर्ट में पूर्ण रूप से अलजजीरा को वही बिंदु निकालकर दिए जो अलजजीरा चाहता था। उन्होंने भारत में हिंदुत्व के प्रति जागृत होते लोगों को नकारात्मक रूप से पेश करने का प्रयास किया है। साथ ही ये दिखाया कि भारत अब सेकुलर राष्ट्र के अलावा बहुसंख्यक आबादी का राष्ट्र हो गया है। यहाँ एक बड़ा धार्मिक इवेंट, जो कि पॉलिटिकल भी है क्योंकि यहाँ देश के प्रधानमंत्री आ रहे हैं।

उन्होंने इस बात पर भी गौर करवाया कि ये मंदिर एक मजहबी ढाँचे को तोड़कर बना है जिसे हिंदू कार्यकर्ताओं ने तोड़ा था। इसके अलावा श्रीनिवासन ने मीडिया को भी दिखाया कि जो मीडिया 1990 में हिंदू कार्यकर्ताओं द्वारा तोड़े गए ढाँचे पर रिपोर्ट दिखा रही था वो अब उसी जगह खड़े हुए मंदिर के बनने से खुश है और उसे उत्साह के साथ दिखा भी रहा है।

2023 में दिया था NDTV से इस्तीफा

गौरतलब है कि अलजजीरा ज्वाइन करने वाले श्रीनिवासन ने पिछले साल जनवरी में एनडीटीवी से अपना इस्तीफा दिया था। श्रीनिवासन लगभग 30 सालों से कथित पत्रकारिता संस्थान एनडीटीवी के लिए सेवाएँ दे रहे थे। इस्तीफे से पहले वह एनडीटीवी 24×7 चैनल में ग्रुप एडिटर की जिम्मेदारी निभा रहे थे।

श्रीनिवासन जैन ने एक ट्वीट के जरिए अपने फैसले का ऐलान किया था। उन्होंने लिखा था, “एनडीटीवी पर लगभग तीन दशक से चला आ रहा सिलसिला आज समाप्त हो गया। इस्तीफा देने का फैसला आसान नहीं था, लेकिन… जो है यही है। बाकी बातें बाद में।”

विवादों से घिरी श्रीनिवासन की पत्रकारिता

बता दें कि वर्ष 1995 से NDTV के साथ काम कर रहे श्रीनिवासन जैन अपने करियर के दौरान लगातार विवादों में घिरे रहे। जुलाई 2022 में उन्होंने तथाकथित फैक्ट-चेकर मोहम्मद ज़ुबैर को अपना मित्र बताते हुए उसके जमानत के लिए ₹50,000 का मुचलका भरा था। कोरोना काल में उन्होंने कोवैक्सीन को लेकर झूठ फैलाया था। इसके अलावा उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश करने वाली लश्कर-ए-तैयबा की आतंकवादी इशरत जहाँ के जुर्म को कमतर बतलाने का प्रयास किया था। उन्होंने दावा किया था कि इशरत जहाँ गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री को मारने नहीं आई थी बल्कि छोटा-मोटा बम धमाका करने आई थी।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया