9 साल पहले कॉन्ग्रेस सरकार में हुई बच्चे की मौत, मीडिया गिरोह ने उदाहरण देकर फैलाया प्रोपेगेंडा

स्क्रॉल, हिंदू, TNM जैसे 'बड़े' संस्थानों की स्तंभकार डॉ नज़मा का प्रोपगेंडा

नागरिकता संशोधन कानून के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन पर बैठे लोगों की मंशा जगजाहिर होने के बाद मीडिया गिरोह अब इनके बचाव में खुल कर उतर गया है। सोशल मीडिया पर मोदी सरकार के प्रति प्रोपगेंडा साधने के लिए झूठी अफवाहें खुलेआम फैलाई जा रही हैं और बड़े-बड़े मीडिया संस्थान अपने अजेंडे के लिए इसका उपयोग भी कर रहे हैं। क्योंकि, यहाँ उनका मकसद कुछ भी करके मोदी सरकार को और उनके समर्थकों को सवालों के घेरे में घेरना है। इसी तरह की कोशिश वामपंथी मीडिया की स्तंभकार डॉ नजमा ने की है।

दरअसल, अभी दो दिन पहले शाहीन बाग प्रदर्शन के कारण एक नवजात की मौत की खबर आई। जिसे देखकर काफी लोग आहत हुए। मगर बच्ची की माँ ने इस पर सामान्य प्रतिक्रिया दी। जिसे सुनने के बाद काफी लोगों ने उसकी आलोचना की और एक सामान्य व्यक्ति की तरह ऑपइंडिया अंग्रेजी की संपादक नुपुर शर्मा ने भी उस पर ट्वीट किया। उन्होंने पूछा कि आखिर वो कैसी माँ है, जो अपने बच्चे की जान जाने के बाद भी सामान्य है। उन्होंने कहा कि वो इस घटना को सुनने के बाद अवाक हो चुकी हैं।

अब इस ट्वीट पर डॉ नजमा नामक ‘बुद्धिजीवी’ ने रिप्लाई किया। उन्होंने ऑपइंडिया संपादक के प्रति कुँठा निकालने के लिए लिखा,” नुपुर तुम तो तब भी चुप थी जब 2 महीने का नजरूल इस्लाम पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधा न पाने के कारण असम के डिटेंशन सेंटर में मर गया था। तुम्हें बच्चे के मरने की फिक्र नहीं है, तुम्हें सिर्फ़ उस कारण से मतलब है, जिसके कारण बच्चे की मौत हुई।”

https://twitter.com/nazmaaman/status/1224691712217370629?ref_src=twsrc%5Etfw

अब हालाँकि, इससे पहले ऑपइंडिया संपादक डॉ नज़मा के आरोपों पर कोई रिप्लाई करतीं, एक यूजर ने आकर डॉ नजमा के प्रोपेगेंडे को वहीं ध्वस्त कर दिया। स्पैमिंदर भारती नामक यूजर ने डॉ नजमा के ट्वीट का जवाब देते हुए लिखा, “जिस वाकये के बारे में आप बात कर रही हो, वो साल 2011 का है। 9 साल पहले का। जब केंद्र और असम दोनों में कॉन्ग्रेस सरकार थी। मगर उस समय तुमने बोलना जरूरी नहीं समझा और इतने वक्त तक चुप रहीं। अब तुम अपना पॉलिटिकल प्रोपेगेंडा साधने के लिए बच्चे की मौत से जुड़े मामले को 9 साल बाद इस्तेमाल कर रही हो, इससे तुम्हारे बारे बहुत कुछ पता चलता है।”

https://twitter.com/attomeybharti/status/1224785426197573632?ref_src=twsrc%5Etfw

यहाँ बता दें कि डॉ नजमा के ट्विटर अकॉउंट के अनुसार वो द स्क्रॉल, हिंदू, टीएनएम जैसे बड़े वामपंथी मीडिया संस्थानों की स्तंभकार हैं। जहाँ बतौर ‘बुद्धिजीवी’ अक्सर उनके विचार प्रकाशित होते हैं। मगर, ये शर्म की बात है कि ऑपइंडिया संपादक को घेरने के लिए और प्रदर्शन के बचाव में वो शाहीन बाग के बच्चे की मौत को जस्टिफाई करने पर उतरती हैं और एक 9 साल पुराना केस का उल्लेख करके ये साबित करने की कोशिश करती हैं कि शाहीन बाग में बच्चे की मौत एक कारण से हुई।

https://twitter.com/nazmaaman/status/1224910087942295553?ref_src=twsrc%5Etfw

दरअसल, इस मामले के संबंध में डॉ नजमा ने एक ट्वीट किया था। जिससे उनकी ‘सेकुलर’ छवि का भी पता चला और ये भी मालूम चला कि वामपंथी मीडिया के लिए लिखते-लिखते वे कितनी कुतर्की बन चुकी हैं। जो इस पूरी घटना में महिला को उसकी जाति पर और बच्चे की मौत को एक परंपरा के रूप में आँकती हैं।

वो एक यूजर के ट्वीट का जवाब देते हुए बच्चे की मौत पर लिखती हैं, “उसका सरनेम चौधरी है। जो कि अधिकतर जाट होते हैं। हैरानी नहीं है कि अगर वो अपने बच्चों की मौत पर इतने आराम से बोल रही है। क्योंकि कन्या भ्रूण हत्या इनकी परंपरा है।” हालाँकि यह जानना भी जरूरी है कि अपना बेवकूफी भरा ये ट्वीट डॉ नजमा डिलीट कर चुकी हैं। लेकिन यूजर ने उनके इस ट्वीट का स्क्रीनशॉट लेकर उनके नाम के आगे लगे ‘डॉ’ उपाधि पर सवाल उठाए हैं।

https://twitter.com/ipunamchoudhary/status/1224744436212436993?ref_src=twsrc%5Etfw
ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया