BBC ने दिया मंच, राणा अयूब ने बुर्के पर फैलाया झूठ; भगवाधारियों को बताया- ‘आतंकी’

राणा अयूब का हिजाब विवाद पर प्रोपगेंडा

वित्तीय धोखाधड़ी कर पकड़ी गईं वाशिंगटन पोस्ट की स्तंभकार राणा अयूब ने हाल में बीबीसी वर्ल्ड न्यूज से बुर्का विवाद को लेकर बात की। अपने इंटरव्यू में अयूब ने शैक्षणिक संस्थानों में न सिर्फ लड़कियों के हिजाब पहनने के मसले पर झूठ बोला बल्कि जय श्री राम कहने वालों को ‘हिंदू आतंकी’ कहा।

अयूब ने आर्टिकल 25 का हवाला देकर इस दौरान ये तो बता दिया कि कैसे देश में हर नागरिक को अपने मजहब का अभ्यास करने का अधिकार है, लेकिन ये बताना भूल गईं कि हर शैक्षणिक संस्थान के पास भी अपने नियम बनाने का अधिकार है जिसमें ड्रेस कोड का निर्धारण आता है और जिसे हर छात्र को फॉलो करना होता है।

राणा अयूब के इस इंटरव्यू के दौरान जब एंकर ने अयूब को टोंका कि उन्हें बीजेपी प्रवक्ता से ड्रेस कोड के बारे में पता चला है कि कोई छात्र धार्मिक चिह्नों को शैक्षणिक संस्थानों में नहीं पहन सकते। अयूब ने ये सुन इस विषय पर झूठ बोला और एंकर को बताया कि लड़कियाँ तो लंबे समय से हिजाब पहनती थीं।

राणा अयूब का झूठ

उन्होंने कहा, “ये लड़कियाँ बहुत लंबे समय से हिजाब पहन रही हैं। यह पहली बार नहीं है। तो फिर अचानक क्यों कर्नाटक के एक शैक्षिक परिसर में भगवा झंडा फहराने वाले हिंदू आतंकवादी का समूह आ गया?”

टीवी इंटरव्यू पर दावा किया गया कि पीएफआई नेता की बेटी मुस्कान खान को लेकर दावा हुआ कि युवाओं ने बुर्काधारी लड़की को रोका था, जबकि हकीकत ये है कि ये पूरा प्रदर्शन दिसंबर 2021 से शुरू हो गया था और छात्राओं ने इस प्रदर्शन को पीएफआई के छात्र संगठन से परामर्श के बाद शुरू किया था। सबसे जरूरी बात इन छात्राओं को किसी अन्य पुरुषों ने नहीं कॉलेज परिसर में घुसने से मना किया बल्कि कॉलेज प्रशासन ने ही इन्हें मना किया था।

एक अन्य बात जो गौर देने वाली बात वो ये कि राज्य में मुस्लिम लड़कियाँ जिस परिधान के लिए सड़कों पर उतरी हैं उसे हिजाब नहीं बुर्का कहते हैं जो कि हिजाब से बिलकुल अलग है। हिजाब में केवल सिर ढका जाता है लेकिन यहाँ तो सिर से लेकर एड़ी ढकने के लिए प्रोटेस्ट हो रहा है, जिसे देख कर ही पता चल रहा है कि वो बुर्का कैसे अन्य छात्रों से मुस्लिम छात्राओं को अलग दिखाएगा।

अयूब से जब एंकर ने उनके प्रोपगेंडे पर सवाल किया तो वो भड़क गईं और जेएनयू की कुलपति की नियुक्ति पर सवाल उठा दिए। दावा किया कि नई कुलपति शांतिश्री ट्विटर पर मुस्लिमों और इसाइयों को टारगेट करती रही हैं। वहीं पंडित का दावा है कि उनका कोई ट्विटर हैंडल ही नहीं है।

हिंदुओं के साथ होती हिंसा से किया किनारा

अपने इस इंटरव्यू में अयूब ने मुस्लिमों के साथ होती हिंसा, उनकी लिंचिंग, उन्हें नमाज न पढ़ने देने के मुद्दे को बढ़-चढ़ कर उठाया लेकिन ये नहीं बता पाईं कि कैसे मुस्लिम सार्वजनिक स्थल घेरकर नमाज पढ़ने का काम करते थे और कैसे देश में हिंदुओं के ख़िलाफ़ तमाम अपराध होते हैं। बात चाहे गुजरात के किशन भरवाड की हो या झारखंड के रुपेश पांडे की, अयूब ने अपने इंटरव्यू में हर हिंदू के साथ हुई बर्बरता को एक सिरे से नजरअंदाज कर दिया।

झूठ पर 4 मिनट कायम नहीं रह पाईं राणा अयूब

इतना ही नहीं, अयूब ने अपने इंटरव्यू में इतने झूठ बोले कि वो खुद आँकड़ों में कन्फ्यूज हो गईं कि उन्होंने शुरू में कहा था कि 100 हिंदुओं ने एक मुस्लिम लड़की को घेरा और इंटरव्यू के आखिर में वो बोलती नजर आईं कि ये संख्या 200 थी। अयूब बोलीं, “ये वो भारत नहीं है जिस पर हमें कभी गर्व होता था। ये दक्षिणपंथी आतंकियों का भारत है।”

धोखाधड़ी करने पर जब्त हुई 1.77 करोड़ रुपए की संपत्ति

यहाँ बता दें कि विदेशी प्लेटफॉर्म पर झूठ फैलाने वाली राणा अयूब अपने ही देश में वित्तीय धोखाधड़ी करने के कारण चर्चा में हैं। हाल में 1.77 करोड़ रुपए की संपत्ति ईडी द्वारा जब्त की गई। कथिततौर पर ये सारा पैसा उन्होंने कीटो पर फंड इकट्ठा करने का नाम पर एकत्रित किया था। मगर, सारे पैसे का इस्तेमाल किए बिना उन पैसों को अयूब ने अपने अकॉउंट में रखे रखा। जब विवाद बढ़ा तो अयूब ने खुद को बेगुनाह बताया।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया