कानून का पालन करो, हमे न हाँको: ट्विटर को मोदी सरकार की दो टूक, नए नियमों पर डिजिटल प्लेटफॉर्म/OTT को 15 दिन का वक्त

ट्विटर को मोदी सरकार की दो टूक

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के लिए बनाई गई भारत सरकार की गाइडलाइन फॉलो नहीं करने और अभिव्यक्ति की आजादी का हवाला देने पर भारत सरकार ने ट्विटर को फटकार लगाई है। सरकार ने कहा है कि भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करना भारत सरकार की जिम्मेदारी है न कि ट्विटर जैसी किसी निजी लाभकारी, विदेशी संस्था की। इस बीच केंद्र सरकार ने नए नियमों के अनुपालन पर ब्यौरा देने के लिए डिजिटल मीडिया और ओटीटी प्लेटफॉर्मों 15 दिनों का समय दिया है।

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इन्फॉर्मेशन एंड टेक्नोलॉजी मिनिस्ट्री की ओर से ट्विटर को फटकार लगाते हुए कहा गया है कि ट्विटर ने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को अपने हिसाब से हांकने का प्रयास किया। मंत्रालय ने कहा कि अपने एक्शन्स और जानबूझकर आदेश न मानकर ट्विटर भारत की कानूनी-व्यवस्था को कमजोर करने की कोशिश कर रहा है। मंत्रालय ने कहा कि ट्विटर ने रेग्युलेशंस को मानने से इनकार कर भारत में किसी आपराधिक गतिविधि के लिए एक सुरक्षित ठिकाना बनने जैसा काम किया है। 

मंत्रालय ने पूछा कि अगर ट्विटर इतना प्रतिबद्ध है तो आखिर उन्होंने खुद से ऐसा तंत्र क्यों नहीं स्थापित किया, जबकि उसके प्रतिनिधि नियमित रूप से यह दावा करके अपनी जिम्मेदारी से बचने की कोशिश करते हैं कि उनके पास कोई अधिकार नहीं है और भारत के लोगों को यूएसए हेडक्वार्टर में बात करनी होगी। मंत्रालय ने ट्विटर की प्रतिबद्धता वाले दावों को खोखला और स्वार्थी करार दिया है।

ट्विटर को ये भी कहा गया कि वह भारत से भारी मात्रा में राजस्व इकट्ठा करने के बावजूद यहाँ निगरानी के लिए एक तंत्र नहीं बनाना चाहती। मंत्रालय के बयान के मुताबिक नए नियम कई तरह के पीड़ितों को एक तंत्र देते हैं। इन्हें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से परामर्श और हर एक का सुझाव लेकर बनाया गया है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट के भी ऐसे आदेश हैं कि वो इस संबंध में सही कदम उठाएँ।

मंत्रालय ने आगे कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता भारतीय संविधान के तहत एक मौलिक अधिकार है। भारत सरकार नागरिकों के ट्विटर सहित सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सवाल पूछने और आलोचना करने के अधिकार का सम्मान करती है। सरकार निजता के अधिकार का भी सम्मान करती है।

ट्विटर को सरकार ने भारत की लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की आजादी की परंपरा की भी याद दिलाई है। सरकार ने कहा, “भारत में सदियों से लोकतांत्रिक व्यवस्था रही है और अभिव्यक्ति की आजादी रही है। भारत में फ्री स्पीच का प्रोटेक्शन करने के लिए हमें किसी निजी, मुनाफे के लिए संचालित और विदेशी संस्थान की जरूरत नहीं है। यहाँ तक कि फ्री स्पीच को रोकने का काम खुद ट्विटर और उसकी गैर-पारदर्शी नीतियों ने किया है। इसी के चलते लोगों के अकाउंट्स को सस्पेंड किया जा रहा है और बिना किसी वाजिब कारण के ही ट्वीट्स भी डिलीट किए जा रहे हैं।”

भारत की कानूनी नीति क्या हो… यह अधिकार ट्विटर का नहीं

मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि ट्विटर को इधर-उधर सिर मारना बंद करना चाहिए और भारतीय कानून का पालन करना चाहिए। कानून बनाना और नीति बनाना संप्रभु राष्ट्र का विशेषाधिकार है और ट्विटर सिर्फ एक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म है। भारत की कानूनी नीति की रूपरेखा क्या होनी चाहिए, यह तय करने में इसका कोई अधिकार नहीं होगा।

मंत्रालय ने यह भी उदाहरण दिया कि कैसे ट्विटर ने भारतीय कानून का उल्लंघन किया है और भारत के लोगों के हितों को नकारा।

– ट्विटर ने भारतीय केंद्र शासित प्रदेश के कुछ हिस्सों को चीन के हिस्से के रूप में दिखाया था और याद दिलाने के बावजूद गलतियों को सुधारने में कई दिन लग गए थे।

-ट्विटर ने संयुक्त राज्य अमेरिका में कैपिटल हिल में हिंसा के अपराधियों के खिलाफ खुद संज्ञान लेकर कार्रवाई की थी, लेकिन दिल्ली में लाल किले में इसी तरह की घटनाओं के दौरान भारत सरकार द्वारा ऐसे कंटेंट को रोकने के अनुरोध पर प्लेटफॉर्म ने त्वरित कार्रवाई से इनकार कर दिया था।

-ट्विटर की कार्रवाई न होने के कारण ने भारत और भारतीयों के खिलाफ फर्जी और हानिकारक कंटेंट बड़े पैमाने पर प्रसारित हुआ। टीके को लेकर उठे संदेह को सोशल मीडिया के माध्यम से बड़े पैमाने पर बढ़ावा दिया गया था और कंपनी ने कोई कार्रवाई नहीं की।

-WHO के निर्देशों के बावजूद B.1.617 कोविड वैरिएंट को ‘भारतीय वैरिएंट’ बताने वाले ट्वीट्स पर फर्जी का टैग नहीं लगाया गया।

इन सबको देखते हुए मंत्रालय ने कहा है कि ट्विटर केवल एक निजी कंपनी है और उसे झूठी शान से बचना और भारत के कानूनों का पालन करना चाहिए। सरकार ने यह भी कहा कि ट्विटर सहित भारत में सोशल मीडिया कंपनियों के प्रतिनिधि हमेशा सुरक्षित रहेंगे और भारत में उनकी व्यक्तिगत सुरक्षा और सुरक्षा को कोई खतरा नहीं है। सरकार ने ट्विटर के बयान को पूरी तरह से निराधार, झूठा करार देते हुए कहा कि ट्विटर खुद अपनी मूर्खता को छिपाने का प्रयास कर रहा है।

I&B मंत्रालय ने दिया 15 दिन का समय

बता दें कि सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने 25 फरवरी को ‘मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता नियम, 2021’ के तहत डिजिटल प्लेफॉर्म्स के लिए नई गाइडलाइन जारी की थी। इसे लागू करने की अंतिम तिथि 26 मई थी। हालाँकि, अधिकतर प्लेटफॉर्म इन दिशा-निर्देशों का पालन करने में विफल रहे हैं, जिसके बाद ऑनलाइन न्यूज पब्लिशर्स और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को 15 दिन का समय देकर गाइडलाइन के अनुपालन का ब्योरा माँगा गया है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया