‘नरेंद्र मोदी का उत्साह और विदेश नीति के प्रति जुनून आखिरी बार नेहरू में देखा गया था’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)

अमेरिका के थिंक टैंक माने जाने वाले हडसन इंस्टीट्यूट में ‘इंडिया इनिशिएटिव’ की चीफ़ और भारतीय-अमेरिकी लेखिका अपर्णा पांडे का मानना है कि जो इच्छाशक्ति और विज़न विदेश नीति के प्रति नरेंद मोदी ने प्रधानमंत्री रहते हुए दिखाई है, वो आख़िरी बार देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु में नज़र आई थी।

नई दिल्ली में आयोजित रायसीना डायलॉग के चतुर्थ संस्करण के दौरान फर्स्टपोस्ट को दिए गए एक इंटरव्यू में अपर्णा पाण्डे ने नरेंद्र मोदी की विदेश नीतियों सहित भारत-पाकिस्तान सम्बन्धों पर भी चर्चा की।

नरेंद्र मोदी के कारण आज देश की छवि सुधरी है

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में विदेश नीति के प्रश्न पर अपर्णा पाण्डे ने कहा, “मेरा मानना ​​है कि हमारी विदेश नीति वर्षों से सततता पर जोर देती आई है, लेकिन नरेंद्र मोदी ने इसमें उत्साह और जुनून झोंकने का काम किया है। आखिरी बार विदेश नीति के प्रति इस प्रकार का जुनून पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू में देखा गया था, जो कि यह मानते थे कि जितना अधिक भारत दुनिया के देशों से जुड़ा रहेगा, उतना ही उसे फायदा होगा। भारत को बस इसके बारे में जानने के लिए लोगों की आवश्यकता थी।”

देश में वर्तमान व्यापार और निवेश पर अपर्णा ने कहा, “मोदी चाहते हैं कि दुनिया को पता चले कि हमारे पास क्षमता है। हमारे पास सुरक्षा प्रदान करने के लिए सेना है। हम दुनिया से सेवाएँ सिर्फ माँग ही नहीं रहे हैं बल्कि हम सेवाएँ प्रदान भी कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत को एक बड़े बाजार, एक बड़े देश, एक मित्र और सहयोगी के रूप में पेश करते हैं, जिसके साथ कोई भी व्यवसाय कर सकता है।”

मोदी के कार्यकाल में GST है बड़ा सुधार

अपनी बात आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा, “हालाँकि, नरेंद्र मोदी की समस्याएँ जस की तस हैं। अगर आप चाहते हैं कि कोई देश में आए और निवेश करे, तो आपको इसे पूरी तरह से खोलना होगा। इस तरह से मोदी के कार्यकाल में GST, दिवालिया कानून (इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड) जैसे बेहतरीन सुधार तो हुए हैं लेकिन ‘भूमि, मज़दूर और पूँजी’ जैसे व्यवसाय के तीन महत्वपूर्ण मुद्दों पर अधिक गहराई से ख़ास परिवर्तन देखने को नहीं मिला है।”

उन्होंने कहा कि भारत देश में एक दूसरी बड़ी समस्या सैन्य है, जिसे कम से कम दो दशक पहले आधुनिकीकरण की आवश्यकता थी। भारतीय सेना का निर्माण आज के लिए नहीं बल्कि 2050 के लिए होना चाहिए। अपर्णा ने बताया कि हमारे देश का दुर्भाग्य है कि यहाँ पर हमारी खरीद प्रक्रिया और निर्णय लेने की प्रक्रिया धीमी होने के साथ जटिल और राजनीतिक भी हैं।

पाकिस्तान हमेशा भारत देश की समझौते की नीति का विरोध करता आया है

पाकिस्तान के साथ भारत के सम्बन्धों पर पर अपर्णा ने कहा कि यह बातचीत किसी भी मोड़ पर पहुँचती नहीं दिखती है। भारत ने हमेशा समझौते की बात की है, चाहे शिमला समझौता हो या फिर 1960 का सिन्धु जल समझौता हो या फिर 1988 का नाभिकीय सुविधाओं का समझौता रहा हो, पाकिस्तान हमेशा समझौते की नीति का विरोध करता है। पाकिस्तान कारगिल जैसे पीठ में चाक़ू घोंपने वाले काम कर चुका है। भारत ने फिर भी हमेशा समझौते की राह पकड़ी लेकिन फिर भी मुंबई हमले जैसे हादसे हुए। मोदी जी ने ASEAN आसियान देशों के साथ दोस्ती को मजबूत किया है।

रायसीना संवाद 2019

रायसीना डायलॉग भारत का प्रमुख वार्षिक भू-राजनीतिक और भू-स्थानिक सम्मेलन है, जिसमें विभिन्न राष्ट्रों के हितधारक, राजनेता, पत्रकार उच्चाधिकारी तथा उद्योग एवं व्यापार जगत से सम्बंधित प्रतिनिधि एक मंच पर अपने विचार साझा करते हैं। रायसीना डायलॉग का चौथा संस्करण मंगलवार (जनवरी 8, 2019) को शुरू हुआ। इसमें 93 देशों के वक्ताओं ने भाग लिया। यह भारत सरकार के विदेश मंत्रालय तथा आब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ORF) की संयुक्त पहल है। रायसीना डायलॉग का मुख्य उद्देश्य एशियाई एकीकरण एवं शेष विश्व के साथ एशिया के बेहतर समन्वय की संभावनाओं तथा अवसरों की तलाश करना है। वर्ष 2019 के रायसीना सम्मेलन का मुख्य विषय (Theme) था: “A World Reorder : New Geometries; Fluid Partnership; Uncertain Outcomes”

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया