3 टीचर (उलेमा), 13 आतंकी और एक मदरसा: PSA के तहत मामला दर्ज, पुलवामा हमले से भी है कनेक्शन

मदरसा में आतंकी ट्रेनिंग? (प्रतीकात्मक तस्वीर)

दक्षिण कश्मीर के शोपियाँ जिले के CBSE संबद्ध मदरसे के 3 उलेमाओं (शिक्षक) को PSA के तहत मामला दर्ज करके सोमवार (अक्टूबर 12, 2020) को गिरफ्तार किया गया। इन पर 13 आतंकियों को तैयार करने का इल्जाम है।

इस मदरसे का नाम सिराज-उल-उलूम है।  इसे कश्मीर के बड़े मदरसों में गिना जाता है। बीते कुछ समय से यह हिंसक घटनाओं और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के सिलसिले में किसी न किसी तरीके से सुर्खियों में था। 

पुलिस की नजर भी इस पर काफी दिनों से थी। इसके तार प्रतिबंधित संगठन जमात-ए-इस्लामी से जुड़े बताए जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त पुलवामा में शामिल आतंकी सज्जाद भट्ट भी इसी मदरसे का छात्र रह चुका है।

कश्मीर रेंज के आईजी विजय कुमार का कहना है कि पुलिस की काफी समय से इस स्कूल पर नजर थी। अब पुलिस की तरफ से कानूनी कार्रवाई के तहत तीन अध्यापकों पर मामला दर्ज किया गया है। 

इन तीनों की पहचान अब्दुल अहाद भट्ट, रौफ भट्ट और मोहम्मद यूसुफ वानी के रूप में हुई है। पीएसए के अलावा इनके ख़िलाफ़ शांति का उल्लंघन करने के आरोप में सीआरपीसी की धारा 107 के तहत मामला दर्ज हुआ है।

आईजीपी ने इस संबंध में बताया कि मदरसे के 5-6 अन्य शिक्षक भी निगरानी में हैं। वर्तमान में प्रत्येक व्यक्ति के ख़िलाफ़ एक्शन लिया जा रहा है। मगर, आगे आवश्यकता पड़ी तो स्कूल के ख़िलाफ़ भी कार्रवाई होगी।

मदरसे के संस्थापक मोहम्मद यूसुफ माटू ने तीन गिरफ्तारियों पर बयान दिया है। उन्होंने कहा कि इन तीनों में से कोई भी उनके मदरसे में टीचर नहीं है। माटू ने कहा कि सज्जाद जैसे पूर्व छात्रों के कारण पूरे संस्थान को दोष नहीं दिया जाना चाहिए।

मदरसे के अध्यक्ष कहना है, “हमारी इसमें कोई भूमिका नहीं है। सज्जाद, जिसे लेकर पुलिस का कहना है कि वह पुलवामा हमले में शामिल था, वह यहाँ केवल कुछ महीनों के लिए पढ़ा था। वह आतंकी बनने से पहले मेकैनिक का काम करता था। कैसे सोचा जा सकता है कि हमने उसे ऐसा बनाया है?”

यूसुफ पुलिस को चुनौती देते हैं कि वह सभी आरोपों को सिद्ध करके दिखाएँ। वह कहते हैं, “हमारा संस्थान जम्मू कश्मीर सरकार से संबद्ध है। यहाँ NCERT का पाठ्यक्रम पढ़ाया जाता है। यह ओरियंटल कॉलेज कश्मीर यूनिवर्सिटी से जुड़ा है। हम हर सवाल का जवाब देने के लिए तैयार हैं। कोई भी मीडिया समूह आ सकता है और हमारे पढ़ाने के तरीके और अन्य चीजों को जाँच सकता है। हमारे वित्तीय व पाठ्यक्रम स्रोत भी जाँचे जा सकते हैं। हम आयकर विभाग के साथ पंजीकृत हैं।”

गौरतलब है कि हाल ही में पुलिस को अपनी जाँच के दौरान मालूम चला था कि इस स्कूल से शिक्षा हासिल कर चुके 13 बच्चे आतंकवाद से जुड़े हैं जोकि इस समय अलग अलग आतंकी संगठनों में काम कर रहे है। इनमें से कई मारे भी जा चुके हैं।

इस मामले पर संबधित अधिकारियों ने बताया कि सिराज-उल-उलूस में कुलगाम, पुलवामा और अनतंनाग समेत पूरे प्रदेश से छात्र पढ़ने आते हैं। उत्तर प्रदेश, केरल और तेलंगाना के कई छात्र भी यहाँ दाखिला ले चुके हैं। सिर्फ सज्जाद भट्ट ही नहीं, इसी साल अगस्त में मारा गया अल-बदर का आतंकी जुबैर नेंगरु भी इसी मदरसे की पैदावार है।

इसके अतिरिक्त आतंकी नाजमीन डार और एजाज अहमद पाल भी यहीं से निकले हैं। पिछले दिनों जिहादी बनने वाला उत्तरी कश्मीर के बारामुला का एक युवक भी इसी संस्थान का छात्र है।

बता दें कि शोपियाँ के मदरसे से जुड़े छात्रों के आतंकी संगठनों में शामिल होने की घटना सामने आने के बाद वहाँ के कुछ अन्य धार्मिक संस्थान केंद्रीय एजेंसियों के रडार पर आ गए हैं। इलाके में आसपास कई ऐसे संस्थान बताए जा रहे हैं, जो जमात विचारधारा से प्रेरित हैं। माना जा रहा कि इन्हें पाक समर्थित संगठनों से पैसा मिलता है और एक बार बंद किए जाने के बाद इन्हें अलग नाम से संचालित किया जाने लगता है।

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इन पर नजर बनाए रखने का काम टेरर मॉनीटररिंग ग्रुप के तहत कई केंद्रीय एजेंसियाँ कर रही हैं। इनका (टेरर मॉनिटरिंग ग्रुप) उद्देश्य इस तरह की गतिविधियों के वित्तीय स्रोत को खंगालकर उस पर प्रहार करना है। इन टीमों में सीबीआई, एनआईए, ईडी, सीबीडीटी और सीबीआईसी शामिल हैं।

याद दिला दें कि पिछले वर्ष राज्य प्रशासन ने ‘फलाह-ए-आम ट्रस्ट’ से जुड़े कई स्कूलों को नोटिस जारी किया गया था और उन्हें बंद करने का आदेश दिया गया था। दरअसल FAT पहले जमात-ए-इस्लामी का ही हिस्सा हुआ करता था, लेकिन बाद में दोनों अलग हो गए। अब जमात और FAT के ग्राउंड वर्कर का डेटा तैयार करके इनकी गतिविधियों को खंगाला जा रहा है, ताकि पता लगे कि प्रतिबंध के बाद ये किन संगठनों के साथ जुड़े हुए हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया