भारत विरोधी अभियान वाले पत्रकार जुड़े आतंकी इस्लामी संस्था ‘मुस्लिम ब्रदरहुड’ से, आर्थिक नुकसान था उद्देश्य: डिसइंफोलैब का खुलासा

नूपुर शर्मा को लेकर पाकिस्तान द्वारा फर्जी खबर फैलाई गईं (प्रतीकात्मक तस्वीर)

सोशल मीडिया पर हिंदुओं को बदनाम करने के लिए एक अभियान बड़ी ही सक्रियता से चलाया जा रहा है। इसमें दावा किया जा रहा है कि भारत के हिंदू बहुसंख्यक समुदाय के लोग मुस्लिमों पर अत्याचार कर रहे हैं। देश को कमजोर करने की इस साजिश को लेकर चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। डिसइन्फोलैब ने एक रिपोर्ट में दावा किया है कि कट्टर इस्लामिक संगठन ‘मुस्लिम ब्रदरहुड’ ने भारत के आर्थिक हितों को निशाना बनाने का एक अभियान शुरू किया है। ‘मुस्लिम ब्रदरहुड अराइव्स इन इंडिया’ शीर्षक वाली रिपोर्ट के अनुसार, पिछले कुछ दिनों से ट्विटर पर शेयर किया जा रहा #BoycottIndianProducts हैशटैग भारत के खिलाफ इसी अभियान का हिस्सा था।

बता दें कि सोशल मीडिया पर #BoycottIndianProducts अभियान हाल ही में असम में अतिक्रमणकारियों के खिलाफ बेदखली अभियान के बाद शुरू किया गया था। इस अभियान के दौरान कुछ बांग्लादेशी अतिक्रमणकारी हिंसक हो गए थे और पुलिस पर हमला कर दिया था। इस घटना के लिए भारत सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए पाकिस्तान, तुर्की मिस्र और इराक सहित मध्य-पूर्व के इस्लामिक देशों के लोगों ने भारत में बने उत्पादों के बहिष्कार का अभियान शुरू किया था।

डिसइन्फोलैब के अनुसार, इस अभियान को हवा देने के लिए अल जजीरा समेत मुस्लिम ब्रदरहुड से सहानुभूति रखने वाले कई मीडिया हाउसों ने भारत विरोधी ‘समाचार लेख’ भी प्रकाशित किए थे। अधिकांश यूजर्स अरबी हैशटैग #مقاطعةالمنتجاتالهندية का उपयोग किया, लेकिन कुछ ने अंग्रेजी में भी #BoycottIndianProducts और #IndiaIsKillingMuslims जैसे टैग ट्वीट किए। खास बात ये कि इनमें से अधिकतर ट्वीट मुस्लिम देशों और जाने-माने लोगों द्वारा किए गए थे, जिनके ट्विटर हैंडल वैरीफाइड हैं।

डिसइन्फोलैब के अनुसार, असम की घटना तो एक बहाना था। इन लोगों ने भारत के खिलाफ पहले से ही योजना तैयार कर रखी थी और असम की घटना ने इसे ट्रिगर कर दिया। मुस्लिम ब्रदरहुड ने भारत के साथ-साथ उससे सहानुभूति रखने वाले सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात को भी निशाना बनाया। ऐसे अधिकांश हैंडल मुस्लिम ब्रदरहुड से संबंधित थे।

इस्लामिक विद्वानों के अंतर्राष्ट्रीय संघ के न्यासी बोर्ड के सदस्य मोहम्मद अल सगीर के अल जजीरा और मुस्लिम ब्रदरहुड के साथ संबंध हैं। वह अल जज़ीरा में फ्रांसीसी उत्पादों के बहिष्कार का आह्वान करता दिखा था। इसके अलावा, इस्तांबुल में रह रहा मिस्र का पत्रकार सामी कमल अल दीन को मिस्र की सरकार दो बार आतंकवादी के रूप में सूचीबद्ध कर चुकी है।

तालिबान और अलकायदा को कवर करने वाले पत्रकार अहमद मुअफ़्फ़ाक़ ज़िदान को मुस्लिम ब्रदरहुड और अल कायदा से संबंधों के कारण अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनएसए) ने निगरानी सूची में रखा है। इसके अलावा, अल जजीरा के अरबी न्यूज के पूर्व प्रबंध निदेशक यासिर अबू हिलाला के भी मुस्लिम ब्रदरहुड से संबंध हैं। भारत विरोधी इस अभियान को सबसे अधिक अल जजीरा ने प्रसारित किया है। बता दें कि अमेरिका अल जजीरा के कई पत्रकारों को वॉच लिस्ट में डाल चुका है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया