ऊँचाई से पत्थर और हथियार फेंक रहे थे चीनी, फिर भी चौकी स्थापित की और अंत तक डटे रहे: कर्नल संतोष बाबू को ‘महावीर चक्र’

कर्नल संतोष बाबू को मरणोपरांत मिला 'महावीर चक्र' (फाइल फोटो)

चीन के साथ गलवान घाटी युद्ध में बलिदान हुए कर्नल संतोष बाबू को मरणोपरांत ‘महावीर चक्र’ से सम्मानित किया गया। उनकी पत्नी और माँ ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से ये सम्मान प्राप्त किया। कर्नल बिकुमाला संतोष बाबू को ‘शत्रु से मुकाबला करते हुए असाधारण वीरता के प्रदर्शन’ के लिए ये सम्मान मिला। वो ‘बिहार रेजिमेंट’ की 16वीं बटालियन का हिस्सा थे। ‘ऑपरेशन स्नो लेपर्ड’ के दौरान पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में वो बटालियन के कमांडिंग ऑफिसर के रूप में तैनात थे।

सम्मान दिए जाने के समय उद्घोषक ने बताया, “कर्नल बिकुलाला संतोष बाबू को शत्रु का मुकाबला करने के लिए एक चौकी स्थापित करने का चुनौतीपूर्ण कार्य सौंपा गया। उन्होंने एक सशक्त योजना से दुश्मन द्वारा बाधा उत्पन्न किए जाने के बावजूद अपनी सैन्य टुकड़ी को संगठित किया और इस कार्य को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। इस चौकी पर मोर्चा संभालते समय नजदीकी ऊँचाइयों से भारी मात्रा में पत्थरबाजी के अल्वा शत्रु द्वारा तीक्ष्ण हथियारों से किए गए आक्रमण का भी कड़ा मुकाबला करना पड़ा।”

आगे जानकारी दी गई कि भारी संख्या में उपस्थित शत्रु सैनिकों की हिंसक और आक्रामक कार्यवाही का मुँहतोड़ जवाब देते हुए इस शूरवीर अधिकारी ने भारतीय सैन्य टुकड़ी को वापस भेजने के शत्रु के निरंतर प्रयासों को विफल कर दिया। बताया गया कि शत्रु के साथ हुई भीषण मुठभेड़ में गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद युद्ध जैसी चुनौतीपूर्व परिस्थिति में कर्नल संतोष बाबू ने अद्वितीय साहस एवं अद्भुत संयम के साथ अपने बटालियन का उत्कृष्ट नेतृत्व किया।

राष्ट्रपति भवन में हुए कार्यक्रम में जानकारी दी गई कि स्वयं से पहले राष्ट्र एवं सच्ची सेवा भावना के साथ आखिरी साँस तक मोर्चे पर डटे रह कर अपने सैनिकों में अद्भुत प्रेरणा एवं प्रोत्साहन का संचार करते हुए अंततः उन्होंने राष्ट्रसेवा में अपने प्राण न्योछावर कर दिए। इस दौरान उनकी ‘अनुकरणीय नेतृत्व क्षमता’ और ‘अद्वितीय कर्तव्यपरायणता’ का भी उदाहरण दिया गया। उनकी पत्नी बिकुमाला संतोषी और माँ बिकुमाला मंजुनाथ ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों ये सम्मान प्राप्त किया।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया