हिंद महासागर की निगहबानी INS इंफाल के हवाले: जानिए पूर्वोत्तर से क्यों जुड़ा है नाम, कितना विध्वंसक है नौसेना का यह जंगी जहाज

नौसेना के जंगी जहाजों के बेड़े में शामिल हुआ INS इंफाल (फोटो साभार: bhaskar.com)

भारतीय नौसेना के इतिहास में मंगलवार (26 दिसंबर 2023) का दिन INS इंफाल (INS Imphal) के नाम रहा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) की मौजूदगी में मुंबई के नेवल डॉकयार्ड पर उन्नत तकनीक से युक्त इस बड़े एवं विध्वंसक जंगी जहाज को कमीशन किया गया।

इस तरह यह जंगी जहाज अब नौसेना में अपनी सेवा देगा। स्टील्थ गाइडेड मिसाइल डेस्ट्रॉयर INS इंफाल के भारतीय नौसेना में शामिल होने से इसके बेड़े की ताकत और बढ़ जाएगी। स्टील्थ गाइडेड मिसाइल डेस्ट्रॉयर से मतलब है कि ये गुप्त तरीके से लक्ष्य को भेदने वाली मिसाइलों से लैस है।

क्यों पड़ा INS इंफाल नाम

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, “आईएनएस इम्फाल को अब तक का सबसे बड़ा और सबसे उन्नत विध्वंसक है। इसका नाम पहली बार उत्तर-पूर्व के एक शहर इंफाल के नाम पर रखा गया है।” इस जंगी विध्वंसक को ये नाम देश के स्वतंत्रता संग्राम में मणिपुर के बलिदान और योगदान को सच्ची श्रद्धांजलि देने के लिए दिया गया है।

बताते चलें कि 1891 का एंग्लो-मणिपुर युद्ध हो या नेताजी सुभाष चंद्र बोस के 14 अप्रैल 1944 को मोइरांग में पहली बार आईएनए ध्वज फहराना की घटना हो, मणिपुरवासियों ने इनमें अहम योगदान दिया। यही नहीं, ब्रिटिश और शाही जापानी सेनाओं के बीच हुई इंफाल की भयानक जंग में दोनों तरफ भारतीय थे। इस लड़ाई ने बर्मा अभियान का रुख मोड़ दिया और द्वितीय विश्व युद्ध के नतीजों और नई विश्व व्यवस्था को आकार दिया।

विशाखापत्तनम श्रेणी का तीसरा विध्वंसक

आईएनएस इंफाल (पेनांट डी68) प्रोजेक्ट 15बी के चार युद्धपोतों में से तीसरा है। प्रोजेक्ट 15बी मिलकर विशाखापत्तनम श्रेणी के स्टील्थ-गाइडेड मिसाइल विध्वंसक जहाज बनाते हैं। ये जहाज प्रोजेक्ट 15बी (विशाखापत्तनम क्लास), प्रोजेक्ट 15ए (कोलकाता क्लास) और प्रोजेक्ट 15 (दिल्ली क्लास) की सीरीज में नया देसी विध्वंसक है।

आईएनएस इंफाल की बात की जाए तो दिल्ली और कोलकाता श्रेणी के स्वदेशी विध्वंसक जहाजों की श्रृंखला में ये सबसे हालिया है। इसे भारतीय नौसेना ने डिजाइन किया है और भारत में ही इसका निर्माण किया है। इस तरह ये पूरी तरह से स्वदेशी है। यहाँ हम जानेंगे कि आखिर विशाखापत्तनम श्रेणी के जहाजों की क्या खासियत होती है।

क्या है प्रोजेक्ट 15बी

भारतीय नौसेना ने साल 2014 और 2016 के बीच ’15A’ कोडनाम वाले प्रोजेक्ट के तहत कोलकाता श्रेणी के तीन गाइडेड मिसाइल विध्वंसक को कमीशन किया। कोलकाता श्रेणी में आईएनएस कोलकाता, आईएनएस कोच्चि और आईएनएस चेन्नई शामिल थे। ये जहाज़ अपने पहले के दिल्ली श्रेणी के जहाजों से एक कदम आगे थे। इनमें आईएनएस दिल्ली, आईएनएस मैसूर और आईएनएस मुंबई शामिल थे।

ये प्रोजेक्ट 15 के तहत बनाए गए थे और 1997 और 2001 के बीच कमीशन किए गए थे। भारत के प्रमुख सार्वजनिक रक्षा उपक्रमों (PSUs) में से एक, मझगाँव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएसएल) ने इन सभी जहाजों का निर्माण किया है। जहाजों की श्रेणी से मतलब समान टन भार, इस्तेमाल के तरीके, क्षमताओं और हथियारों के साथ निर्मित जहाजों के समूह से है।

किसने बनाया INS इंफाल

इंफाल अत्याधुनिक जंगी जहाज है। इसे भारतीय नौसेना के युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो (डब्ल्यूडीबी) ने डिजाइन किया। इसके बाद मझगाँव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड, मुंबई ने इसका निर्माण किया है।

इंफाल को बनाने में सार्वजनिक और प्राइवेट क्षेत्र की कई कंपनियों का सहयोग मिला। इनमें कई एमएसएमई और डीआरडीओ भी शामिल थे। इसकी क्षमता अधिक होने के साथ ही इसमें स्वदेशी सामानों को सबसे अधिक इस्तेमाल किया किया है।

कितनी क्षमता कैसे है काम करता

INS इंफाल की लंबाई 163 मीटर है। इसकी डिसप्लेसमेंट क्षमता 7400 टन की है। इसे भारत में बनाए गए बेहतरीन युद्धपोतों में गिना जा रहा है। यह हथियारों के मामले में ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान की मजबूती का सबूत भी है। इंफाल गाइडेड मिसाइल विध्वंसक होने के नाते सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों, एंटी शिप मिसाइलों और टॉरपीडो सहित अत्याधुनिक हथियारों और सेंसर से सुसज्जित है।

INS इंफाल 30 समुद्री मील (56 किमी/घंटा) से अधिक की रफ्तार तक समुद्र में दौड़ सकता है। नौसेना के INS जंगी जहाज की ऊँचाई 57 फीट और लंबाई 535 फीट है। ये 42 दिन तक आराम से समुद्र रह सकता है। इसमें 300 नौसैनिक रह सकते हैं। इसमें ऐसे सेंसर लगे हैं, जो आसानी से दुश्मन के हथियारों का पता कर सकते हैं, लेकिन दुश्मन को ये नहीं दिखते।

कौन सी मिसाइलें है तैनात

इस जंगी जहाज में लगा लगभग 75 फीसदी सामान उच्च स्वदेशी सामग्री है। यह जहाज स्वदेशी जहाज निर्माण की पहचान है और दुनिया के सबसे तकनीकी रूप से उन्नत युद्धपोतों में से एक है। इसमें मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली बीईएल, बैंगलोर की बनाई मिसाइलें हैं तो सतह से सतह पर मार करने वाली एयरोस्पेस, नई दिल्ली की बनाई ब्रह्मोस मिसाइलें है।

लार्सन एंड टुब्रो कंपनी मुंबई की बनाई स्वदेशी टॉरपीडो ट्यूब लॉन्चर भी शामिल हैं तो उसी की बनाई पनडुब्बी रोधी स्वदेशी रॉकेट लांचर भी है। इसमें बीएचईएल, हरिद्वार की बनाई 76 मिमी सुपर रैपिड गन माउंट भी है।

कब रखी गई थी नींव

INS इंफाल की आधारशिला 19 मई 2017 को रखी गई थी और जहाज को 20 अप्रैल 2019 को पानी में उतारा गया था। जहाज 28 अप्रैल 2023 को अपने पहले समुद्री परीक्षण के लिए रवाना हुआ था और तब से परीक्षणों की लंबी यात्रा से गुजर चुका है। 20 अक्टूबर 2023 को इसे भारतीय नौसेना को सौंपा सौंपा गया था।

उसके बाद इस शिप ने नवंबर 2023 में सुपरसोनिक ब्रह्मोस मिसाइल (Brahmos missile) को कामयाबी के साथ टेस्ट फायर किया था। यह पहला अवसर था जब नौसेना में शामिल किए जाने से पहले किसी देशी जंगी जहाज से ब्रह्मोस का टेस्ट फायर किया गया। इससे जंग के लिए तैयार रहने की नौसेना की काबिलियत के अलावा स्वदेशी हथियारों और प्लेटफॉर्म पर भरोसे को भी बल मिला।

बंदरगाह और समुद्र में केवल छह महीने की रिकॉर्ड समय सीमा में इसकी डिलीवरी हुई। इंफाल के निर्माण और उसके परीक्षणों में लगा समय किसी भी स्वदेशी विध्वंसक के लिए सबसे कम है। इंफाल की डिलीवरी भारत सरकार और भारतीय नौसेना के ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान का सुबूत है। INS इंफाल से हिंद महासागर क्षेत्र में देश की समुद्री ताकत में इजाफा होगा।

नौ सेना का जंगी जहाजी बेड़ा

भारतीय नौसेना के पास अभी 132 जंगी जहाज हैं। इनमें 11 गाइडेड मिसाइल डेस्ट्रॉयर हैं। ये तीन अलग-अलग क्लास यानी को कोलकाता क्लास, दिल्ली क्लास और राजपूत क्लास के हैं। मौजूदा वक्त में ऐसे कम से कम 67 जहाज बनाए जा रहे हैं।

इनमें से 65 जहाद भारत के शिपयार्ड्स में बनाए जा रहे हैं। नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने हाल में कहा था, “हम चाहते हैं कि साल 2035 तक नौसेना के पास 170-175 शिप हो जाएँ।”

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया