सर्जिकल स्ट्राइक के हीरो को मणिपुर में बड़ी जिम्मेदारी, आतंकी कैम्पों को तबाह करने में एक्सपर्ट हैं नेक्टर संजेनबम: कुकी संगठन नाराज़

मणिपुर में हिंसा रोकने के लिए भारतीय सेना के जांबाज अधिकारी रहे नेक्टर संजेनबम को बड़ी जिम्मेदारी

2015 में भारत ने म्यांमार में घुस कर आतंकियों का सफाया किया था और उनके कैम्पों को नेस्तनाबूत किया था। उस सर्जिकल स्ट्राइक में अहम भूमिका निभाने वाले भारतीय सेना के अधिकारी को अब हिंसा से जूझते मणिपुर में एक बड़ी जिम्मेदारी दी गई है। रिटायर हो चुके नेक्टर संजेनबम को मणिपुर सरकार ने ये जिम्मेदारी दी है। मणिपुर हिंसा में अब तक 170 लोगों की मौत हो गई है और पिछले 3 महीने से राज्य में अशांति है। 2 महिलाओं को नग्न परेड कराए जाने वाले वीडियो के सामने आने के बाद भी खूब बवाल हुआ था।

मणिपुर सरकार ने गुरुवार (24 अगस्त, 2023) को कर्नल (रिटायर्ड) नेक्टर संजेनबम को राज्य के पुलिस विभाग में बतौर सीनियर सुपरिटेंडेंट (कॉम्बैट) तैनात किया। बता दें कि बतौर सैन्य अधिकारी वो 21 पैरा (स्पेशल फोर्सेज) में काम कर चुके हैं। उन्हें कीर्ति चक्र से भी सम्मानित किया जा चुका है, जो शांतिकाल में दिया जाने वाला वीरता का दूसरा सबसे बड़ा सम्मान है। उन्हें इस क्षेत्र में तीसरा सबसे बड़ा सम्मान शौर्य चक्र से भी सम्मानित किया जा चुका है। अब मणिपुर में वो हिंसा को रोकने में जिम्मेदारी निभाएँगे।

बताते चलें कि 28 अगस्त को मणिपुर के जॉइंट सेक्रेटरी (गृह विभाग) ने एक आदेश जारी कर के कहा कि कैबिनेट ने इस संबंध में 12 जून को ही निर्णय ले लिया था। नेक्टर संजेनबम को कीर्ति चक्र से सम्मानित करते हुए कहा गया था कि उन्होंने जून 2015 में उग्रवादियों का एक पोस्ट देखा और 2 अधिकारियों को उसे नेस्तनाबूत करने की जिम्मेदारी दी। इसके बाद ऐसा एक और पोस्ट चिह्नित किया गया। इस ऑपरेशन में उन्होंने आतंकियों को मार गिराते हुए दोनों पोस्ट को नेस्तानाबूत कर डाला।

नेक्टर संजेनबम को ‘कीर्ति चक्र’ से सम्मानित करते समय उनकी बहादुरी के बारे में बताया गया था

उन्होंने जमीन के बल लेट कर आगे बढ़ते हुए आतंकियों के बंकर में घुस कर ग्रेनेड फेंका और 4 आतंकियों को मार गिराया। फिर उन्होंने आतंकियों के कैम्प में रॉकेट लॉन्चर से हमले का आदेश दिया। उन्होंने अपनी सुरक्षा की परवाह किए बिना 20 मिनट तक ये युद्ध लड़ा, जिसके बाद आतंकियों का सफाया हो गया। चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में इस तरह बहादुरी दिखाने और सही निर्णय लेने के लिए उन्हें राष्ट्रपति के हाथों कीर्ति चक्र से नवाजा गया। उन्होंने सब कुछ योजनाबद्ध तरीके से किया था।

हालाँकि, उनकी नियुक्ति से कुकी संगठन खुश नज़र नहीं आ रहे हैं। बता दें कि मणिपुर में मैतेई समाज को ST का दर्जा दिए जाने का आदेश हाईकोर्ट ने दिया था, जिसके बाद कुकी लोग सड़क पर उतरे और दोनों वर्गों में टकराव हुआ। जहाँ मैतेई मणिपुर के मूलनिवासी माने जाते हैं, ईसाई कुकी को जनजातीय समाज का दर्जा है। कुकी संगठन KSO (कुकी स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइजेशन) ने कहा है कि ये नियुक्ति सवालिया है, क्योंकि कुकी समाज के लोगों को नज़रअंदाज़ करते हुए मैतेई अधिकारियों को जिम्मेदारी दी जा रही है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया