‘जम्मू कश्मीर में शांति बनाए रखने के लिए उमर अब्दुल्लाह को हिरासत में रखना जरूरी’

उमर अब्दुल्लाह

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्‍यमंत्री उमर अब्दुल्लाह की रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई उनकी बहन सारा अब्दुल्लाह पायलट की याचिका पर आज जम्मू कश्मीर प्रशासन ने अपना पक्ष रखा। जम्मू कश्मीर प्रशासन ने पिछले 7 महीने से राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाह को हिरासत में रखे जाने को जरुरी बताया।

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सारा अब्दुल्लाह पायलट की इस याचिका में उमर को जम्मू-कश्मीर नागरिक सुरक्षा कानून (जेके-पीएसए) के तहत हिरासत में लिए जाने को चुनौती दी गई है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने कोर्ट से कहा है कि कोर्ट उमर अब्दुल्लाह को हिरासत में रखे जाने के निर्णय की समीक्षा नहीं कर सकता।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता जम्मू कश्मीर प्रशासन की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरुण मिश्रा और इंदिरा बनर्जी वाली पीठ के सामने पेश हुए। तुषार मेहता ने कोर्ट से कहा की उमर अब्दुल्लाह के “पूर्व की घटनाओं से नजदीकी जुड़ाव” रहे हैं, इसलिए उन्हें लम्बे समय से हिरासत में रखा गया है।

उमर अब्दुल्लाह की हिरासत के निर्णय का बचाव करते हुए जम्मू कश्मीर प्रशासन ने जम्मू कश्मीर और लद्दाख की पाकिस्तान से भौगोलिक समीपता को भी एक कारण बताया।

जम्मू-कश्मीर पब्लिक सुरक्षा कानून, 1978 के तहत नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला पर मामला दर्ज किया गया है। जिस पर उनकी बहन सारा अब्दुल्लाह पायलट ने 10 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए अपने भाई उमर अब्दुल्ला को जेके-पीएसए-1978 के तहत हिरासत में रखे जाने को अवैध बताया था।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जहाँ जवाब दाखिल किया जेके प्रशासन की तरफ से वहीं अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने शीर्ष अदालत के एक पूर्व फैसले का उल्लेख करते हुए कहा कि हिरासत में रखने के मामले में याचिकाकर्ता को पहले उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाना चाहिए।

याद रहे कि इस कानून के तहत 6 महीने से 2 साल तक शख्‍स को हिरासत में रखा जा सकता है। पीएसए को राज्य में पूर्व मुख्यमंत्री स्व. शेख मोहम्मद अब्दुल्ला ने साल 1978 में लागू किया था।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया