चीन के महत्वाकांक्षी BRI प्रोजेक्ट को समर्थन देने से भारत ने फिर किया इनकार, देश की अखंडता का दिया हवाला: प्रोजेक्ट में चाइना-पाकिस्तान इकॉनोमिक कॉरिडोर भी शामिल

पीएम मोदी और शी जिनपिंग (साभार: लल्लनटॉप)

शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक के बीच भारत ने एक बार चीन की महत्वाकांक्षी परियोजना बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) से खुद को अलग कर लिया है। हालाँकि, चीन और रूस ने इस परियोजना का समर्थन किया है। SCO के सभी 8 सदस्यों में अकेला भारत है, जिसने चीन की इस परियोजना का समर्थन नहीं किया है।

बताते चलें कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) द्वारा शुरू की कई इस परियोजना का भारत शुरू से विरोध करता रहा है। इस परियोजना के तहत बनने वाली सड़क पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरता है। इसके साथ इसमें और भी कई तरह की रणनीतिक समस्याएँ हैं।

दरअसल, 4 जुलाई 2023 को SCO देशों के राष्ट्राध्यक्षों की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठक हुई। सम्मेलन के अंत में घोषणापत्र (New Delhi declaration) जारी किया गया। इसमें बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI Project) का समर्थन करने वाला एक पैराग्राफ शामिल किया गया था। इसके बाद भारत ने इस पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया।

साल 2023 के SCO घोषणापत्र में BRI को लेकर लिखा है, ‘चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) को कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान समर्थन करते हैं। इसमें यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन (बेलारूस, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान का आर्थिक संघ) और BRI को जोड़ने का प्रयास भी शामिल है।’

यह पहली बार नहीं है कि भारत ने ऐसा किया है। इससे पहले साल 2022 में उज्बेकिस्तान के समरकंद में हुई SCO की बैठक के बाद घोषणा पत्र में चीनी प्रोजेक्ट का समर्थन करने वाला एक पैराग्राफ शामिल था। उस दौरान भी भारत ने उस पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया था।

समकरंद घोषणा पत्र में BRI को लेकर वही बातें कही गई थीं, जो इस बार भी कही गई है। उस घोषणा पत्र में कहा गया था, ‘कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान चीन की बेल्ट एंड रोड पहल (बीआरआई) के लिए अपना समर्थन देते हैं और इसे संयुक्त रूप से लागू करने के लिए चल रहे काम पर नजर बनाए हैं जिसमें यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन और BRI को जोड़ने का प्रयास शामिल है।’

भारत हमेशा से चीन के BRI प्रोजेक्ट का विरोध करता रहा है। इस परियोजना के जरिए चीन एशिया, मध्य-पूर्व, अफ्रीका और यूरोप से जमीन और समुद्र के जरिए संपर्क बढ़ाने के लिए कई परियोजनाओं पर काम कर रहा है। इसमें पाकिस्तान में चाइना-पाकिस्तान इकॉनोमिक कॉरिडोर भी शामिल है, जिसको लेकर भारत आपत्ति जाहिर करता है। भारत का कहना है कि यह भारत की क्षेत्रीय अखंडता और और संप्रभुता का उल्लंघन करता है।

बताते चलें कि SCO को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार (4 जुलाई 2023) को कहा था कि बेहतर सम्पर्क आपसी व्यापार ही नहीं, आपसी विश्वास भी बढ़ाता है, लेकिन इन प्रयासों में एससीओ चार्टर के मूल सिद्धांतों, विशेष रूप से सदस्य देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करना बहुत ही जरूरी है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया