कर्नाटक में PFI के कई ठिकानों पर रेड, कट्टरपंथी इस्लामी संगठन के पूर्व चेयरमैन की जमानत याचिका खारिज

कर्नाटक के मंगलुरु में पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया (PFI) के कई ठिकानों पर छापेमारी (फाइल फोटो)

कर्नाटक के मंगलुरु (Mangaluru, Karnataka) में गुरुवार (13 अक्टूबर 2022) को पुलिस द्वारा एक बार फिर पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के ठिकानों पर छापेमारी की सूचना है। बताया जा रहा है कि इस दौरान अब तक 5 संदिग्धों को हिरासत में लिया गया है। छापेमारी मंगलुरु के कई अलग-अलग गाँवों में चल रही है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 5 साल के लिए प्रतिबंधित PFI से जुड़े लोगों की सूचना पुलिस को मिली थी। इसके लिए टीमों का गठन करके गुरुवार (13 अक्टूबर) पुलिस ने मंगलुरु के अलावा सुरताकल, उल्लाल सहित एक साथ कई जगहों पर छापेमारी करनी शुरू कर दी। दबिश सुबह के समय तब दी गई जब कई लोग सो रहे थे। खबर लिखे जाने तक दबिश जारी थी और हिरासत में लिए गए संदिग्धों से पूछताछ की जा रही थी।

PFI के पूर्व चेयरमैन की जमानत याचिका ख़ारिज

एक अन्य मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने PFI के पूर्व चेयरमैन अबू बकर की जमानत याचिका ख़ारिज कर दी है। लाइव लॉ के मुताबिक, अबू बकर ने खराब सेहत के आधार पर उच्च न्यायालय से जमानत माँगी थी। 70 साल के अबू बकर ने खुद को कैंसर, पार्किंसन, डायबिटीज आदि बीमारियों से पीड़ित बताया था।

जस्टिस अनूप कुमार मेहंदीरत्ता की अदालत में NIA के वकील अक्षय मलिक ने अबू बकर की याचिका का विरोध किया। आखिरकार अदालत ने मामले को पहले ट्रायल कोर्ट के स्पेशल जज के सामने पेश करने का निर्देश देेते हुए अर्जी ख़ारिज कर दी। अबू बकर 22 सितम्बर 2022 से NIA की हिरासत में है।

एक अन्य मामले में सुरक्षा एजेंसियों द्वारा PFI से जुड़े होने के आरोप में गिरफ्तार 9 लोगों ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका देकर अपनी हिरासत को अवैध बताया है। इन आरोपितों के नाम शेख गुलफाम हुसैन, अब्दुल्लाह, मोहसिन खान, मोहम्मद शोएब, अब्दुल रब, हबीब असगर जामाली, वारिस खान, मोहम्मद जाबिर और सलाहुद्दीन हैं।

जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस अमित शर्मा की अदालत की खंडपीठ ने आरोपितों के वकीलों से अपने दावों के समर्थन में ठोस सबूत पेश करने को कहा है। इस मामले की अगली सुनवाई 21 नवम्बर 2022 को तय की गई है।

गौरतलब है कि 28 सितम्बर 2022 को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने PFI के साथ इसके 8 अन्य सहयोगी संगठनों पर 5 साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया था। इस संगठन पर न सिर्फ आतंकियों से साठ-गाँठ करने, बल्कि विदेशों से अवैध फंडिंग जुटाने और देश में अस्थिरता फैलाने की साजिश का आरोप था। कई हिन्दूवादी नेताओं की हत्या में भी इस संगठन से जुड़े लोगों की हाथ है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया