जम्मू-कश्मीर में पत्थरबाजी एक बड़ी समस्या है। आतंकियों के विरुद्ध कार्रवाई करने में इस कारण सुरक्षा बलों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। पत्थरबाजों से सख्ती से निपटने की नीति को देखते हुए हालाँकि पिछले दो वर्षों के आँकड़े थोड़े सुकून देने वाले हैं। 2017 के मुकाबले 2018 में पत्थरबाजों की गिरफ्तारी में भारी बढ़ोतरी हुई है जबकि इन घटनाओं में बहुत मामूली वृद्धि देखने को मिली। जानकारी के अनुसार 2017 में 1412 पत्थरबाजी की घटनाएँ हुईं जबकि इस दौरान 2388 पत्थरबाजों की गिरफ्तार किया गया। वहीं 2018 में पत्थरबाजी की 1458 घटनाएँ (पिछले वर्ष की तुलना में सिर्फ 46 ज्यादा) हुईं जबकि इस मामले में 3797 पत्थरबाजों को गिरफ्तार (पिछले वर्ष की तुलना में 1409 ज्यादा) किया गया।
साल | पत्थरबाजी की घटनाएँ | पत्थरबाजों की गिरफ्तारी |
2017 | 1412 | 2388 |
2018 | 1458 | 3797 |
प्रतिशत की बात करें तो एक तरफ जहाँ सिर्फ 3.25% पत्थरबाजी की घटनाओं में वृद्धि हुई है, वहीं पत्थरबाजों की गिरफ्तारी में 59% का इजाफा हुआ है। इस बात की जानकारी गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने राज्यसभा में पूछे गए सवाल के जवाब में दी। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष 2018 में 3797 पत्थरबाजों की गिरफ्तारी हुई थी जिसमें से 65 को जेल भेजा गया था। जबकि 2017 में 2388 पत्थरबाजों को गिरफ्तार किया गया था और 63 को जेल भेजा गया था।
https://twitter.com/timesofindia/status/1145552610507841536?ref_src=twsrc%5Etfwराज्यसभा में गृह राज्य मंत्री के जवाब से इस बात का भी पता चला कि पिछले वर्षों के मुकाबले 2018 में सुरक्षाबल से मुठभेड़ में स्थानीय आतंकी ज्यादा मारे गए।
आँकड़ों के अनुसार 2018 में सुरक्षाबलों ने कुल 257 आतंकी मारे। इनमें 146 कश्मीरी थे, जबकि 111 आतंकी दूसरे मुल्क के थे। जबकि 2016 और 2017 में ये आँकड़े उलटे देखने को मिले थे। इन वर्षों में सुरक्षाबल द्वारा दूसरे मुल्कों के आतंकी ज्यादा मारे गए थे और स्थानीय कम।
साल | कुल मारे गए आतंकी | स्थानीय आतंकी | विदेशी आतंकी |
2018 | 257 | 146 | 111 |
2017 | 213 | 86 | 127 |
2016 | 150 | 64 | 86 |
टाइम्स ऑफ इंडिया की छपी रिपोर्ट के अनुसार 2017 में सुरक्षाबलों ने 86 स्थानीय आतंकियों के मुकाबले 127 बाहरी आतंकी का सफाया किया था जबकि 2016 में 86 बाहरी आतंकियों के मुकाबले 64 स्थानीय आतंकियों को मारा था।