‘कश्मीर पर हो चीन का शासन’ – The Wire से पाक NSA ने फारुख अब्दुल्ला वाली बात कही, उइगर के हालात से संतुष्ट

पाक NSA का इंटरव्यू लेते करण थापर

पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) मोइद युसूफ ने भारत की वामपंथी प्रोपेगेंडा वेबसाइट द वायर को एक साक्षात्कार दिया। साक्षात्कार में उन्होंने भारत और पाकिस्तानी सरकार से जुड़े कई मुद्दों पर अपना नज़रिया रखा लेकिन अपनी बात रखने के दौरान उन्होंने भारत विरोधी ‘पाकिस्तानी एजेंडे’ का प्रचार भी किया। 

भारत में हुए पाकिस्तान प्रायोजित हमलों से लेकर कश्मीर मसले तक, पाकिस्तान के एनएसए ने लगभग हर संवेदनशील मुद्दे पर भारत सरकार को दोषी घोषित कर दिया। इस दौरान सबसे ज़्यादा हैरान करने वाली बात यह थी कि वह मानते हैं कि ‘उइगर समुदाय के लोग उनके लिए कोई मुद्दा नहीं हैं और वह इस मुद्दे पर चीन के रवैये से संतुष्ट हैं।’ उन्होंने कहा, “मैं बतौर पाकिस्तानी अधिकारी आपको इस बात से अवगत कराना चाहता हूँ कि हम इस बारे में सब कुछ जानते हैं और उइगरों से हमारा सरोकार शून्य फ़ीसदी है।”

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पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोइद युसूफ ने अपनी बात की शुरुआत फारुख अब्दुल्ला के बयान का उल्लेख करते हुए की। मोइद ने कहा कि उन्होंने फारुख अब्दुल्ला का द वायर को दिया हुआ साक्षात्कार देखा था, जिसमें उन्होंने कहा था, “कश्मीरी खुद को भारतीय नहीं मानते हैं, कश्मीरी भारत से नफरत करते हैं।”

इसके बाद मोइद ने फारुख अब्दुल्ला के साक्षात्कार के दूसरे हिस्से का उल्लेख करते हुए कहा, “फारुख अब्दुल्ला ने यहाँ तक कहा कि वह भारत का हिस्सा नहीं बने रहना चाहते हैं और न ही भारत सरकार के शासन में आना चाहते हैं। इससे बेहतर कश्मीर चीन के दायरे में आ जाए यानी उनके मुताबिक़ कश्मीर पर चीन का शासन होना चाहिए।”

फिर भारत सरकार पर गम्भीर आरोप लगाते हुए पाकिस्तानी एनएसए ने कहा कि भारत संयुक्त राष्ट्र के ‘चार्टर’ का उल्लंघन करता है। इतना ही नहीं, भारत ने पिछले कुछ सालों में अन्तरराष्ट्रीय सीमा विवाद से जुड़े हर मसले को एकतरफ़ा नीति (unilaterally) के आधार पर ही हल किया है। उन्होंने चीन में उइगर समुदाय के लोगों पर हो रहे अत्याचार के सवाल को दोबारा नज़रअंदाज़ करते हुए कहा, 

“पाकिस्तानी सिर्फ उन सीमा संबंधी मामलों पर बात करता है, जिन पर वह दावा करता है। चीन और पाकिस्तान के संबंध बहुत अच्छे हैं और उइगर हमारे लिए नॉन इशू (कोई मसला नहीं है) है। चीन और पाकिस्तान के बीच रिश्ते पूरी तरह पारदर्शी नीति पर टिके हुए हैं और हम वहाँ मौजूद उइगर समुदाय के लोगों के हालातों से पूरी तरह वाक़िफ़ हैं।” 

जबकि फ़ाइनेंशियल टाइम्स को दिए साक्षात्कार में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने ठीक इसके उलट बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि चीन में उइगरों के साथ क्या हो रहा है, वह इस बारे में कुछ नहीं जानते हैं, इसलिए वह इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकते हैं। उनका स्पष्ट तौर पर कहना था कि हम उइगर समुदाय के लोगों को लेकर चीन के रवैये से अनभिज्ञ हैं, इसलिए उनका इस पर कोई मत नहीं है। 

इसके बाद एक बार फिर हास्यास्पद दावा करते हुए पाकिस्तानी एनएसए ने कहा कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री और पाकिस्तानी सेना प्रमुख शांति वार्ता को प्राथमिकता देते हैं। वह चाहते हैं कि दोनों देशों के बीच संवाद के माध्यम और सशक्त हों, जिससे संबंधों में सुधार हो।

मुंबई में हुए 26/11 के आतंकवादी हमलों में पाकिस्तान की भूमिका और पाकिस्तानी सरकार के सतही रवैये को लेकर पूछे गए सवाल पर भी मोइद युसूफ की प्रतिक्रिया निराधार थी। इस मुद्दे से जुड़े सवालों पर उन्होंने पाकिस्तानी में हुए हमलों के लिए भारत को ज़िम्मेदार ठहरा दिया और साथ ही भारत सरकार पर आतंकवादी संगठनों की फंडिंग का आरोप लगाया।

इतनी बड़ी बात करते हुए उन्होंने इस मुद्दे पर एक भी शब्द नहीं कहा कि पाकिस्तान की सरकार ने घटना को अंजाम देने वाले आतंकियों पर क्यों एक्शन क्यों नहीं लिया। घटना का षड्यंत्र रचने वालों को पाकिस्तानी सरकार बचाने पर क्यों तुली हुई है, इस पर भी उन्होंने चुप्पी ही साधी। 

साक्षात्कार के अंत में पाकिस्तान और भारत के रिश्ते सामान्य होने की बात पर भी मोइद युसूफ ने तमाम विचित्र दावे किए। उन्होंने सबसे पहले कहा कि घाटी से भारतीय सेना हटाई जाए जबकि साक्षात्कार की शुरुआत में उन्होंने कहा था कि इस मसले पर पाकिस्तान का सीधे तौर पर कोई संबंध नहीं है। फिर भी उनके मुताबिक़ भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत के लिए घाटी से भारतीय सेना हटाई जानी चाहिए।

मोइद युसूफ के अनुसार कश्मीर में नरसंहार हो रहा है और भारत सरकार को ऐसा नहीं करना चाहिए। लेकिन चीन में उइगर समुदाय के लोगों के साथ जो कुछ हो रहा है वह सामान्य है, लाखों करोड़ों उइगर चीन के डिटेंशन कैम्प में बंद हैं और अत्याचार झेल रहे हैं, वह पाकिस्तान के अनुसार कोई मुद्दा नहीं है।   

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया