पाक एजेंट राशिद अहमद को UP ATS ने वाराणसी से किया गिरफ्तार, भारतीय सैन्य ठिकानों की भेजी कई तस्वीरें

ISI एजेंट राशिद अहमद

उत्तर प्रदेश एटीएस ने रविवार (जनवरी 20, 2019) को सेना इंटेलिजेंस की मदद से वाराणसी में बड़ी कार्रवाई करते हुए ISI एजेंट को गिरफ्तार किया। एजेंट की पहचान 23 वर्षीय राशिद अहमद के रूप में हुई। जानकारी के मुताबिक राशिद सेना के साथ सीआरपीएफ के ठिकानों और कई अन्य जगहों की तस्वीरें पाकिस्तान भेज रहा था। वह पाकिस्तान में बैठे ISI हैंडलर के साथ सीधे संपर्क में था।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 8वीं पास ISI एजेंट राशिद अहमद चंदौली के मुगलसराय का रहने वाला है। जो साल 2018 में कराची में रहने वाली अपनी मौसी के यहाँ गया था। इसके बाद ही वह ISI के संपर्क में आया। मार्च 2019 से उसने देश के महत्वपूर्ण स्थानों और सैन्य ठिकानों की तस्वीरें ISI को भेजना शुरू किया। जिसके बदले पाकिस्तान ने उसे गिफ्ट और पैसे दिए। कहा जा रहा है कि राशिद सेना के साथ सीआरपीएफ के ठिकानों की रेकी भी कर चुका है। साथ ही दो बार पाकिस्तान जाकर इस काम की ट्रेनिंग भी ले चुका है।

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भारत के सिम से पाकिस्तान चला रहा एजेंडा?

एटीएस के अनुसार 2018 में जब राशिद पाकिस्तान में था, तब ISI ने उससे संपर्क किया। ISI ने राशिद से दो भारतीय सिम खरीद कर उसका ओटीपी माँगा। इसके बाद ओटीपी लेकर पाकिस्तान में बैठे आईएसआई एजेंटों ने उस नंबर पर व्हाट्सएप चालू किया और राशिद को सिम कार्ड तोड़ देने का हुक्म दिया।

बताया जा रहा है कि अब उसी भारतीय सिम कार्ड के व्हाट्सएप पर पाकिस्तानी सेना और ISI अपना एजेंडा चला रही है और तमाम भारतीय लोगों को जोड़कर भड़काऊ सामग्री भेजने का काम कर रही है। व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़े लोग उसे भारतीय नंबर समझते हैं, लेकिन हकीकत में उसका ऑपरेटर पाकिस्तान में बैठा है।

दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार एटीएस के सूत्र बताते है कि राशिद पाकिस्तानी सेना के इशारे पर जोधपुर में सेना के मूवमेंट की जानकारी देने में लगा था। वह इन दिनों वाराणसी कैंट तथा सीआरपीएफ अमेठी की जानकारी दे रहा था। वह लगातार व्हाट्सएप पर फोटो भेज रहा था। जिसके लिए उसे पैसे मिल रहे थे।

बता दें आरोपित के पास पेटीएम के माध्यम से 5 हजार रुपए तथा एक मोबाइल फोन बरामद हुआ है और पुलिस ने उसे आईपीसी की धारा 123 के अंतर्गत हिरासत में लिया है।

राशिद कैसे पहुँचा कराची?

खबरों के मुताबिक, माता-पिता के तलाक के बाद राशिद चंदौली में अपने नाना और मामा के साथ रहता था। 8 वीं तक यहाँ उसने दर्जी के रूप में और मेडिकल स्टोर में काम किया। लेकिन बाद में पोस्टर चिपकाने का काम शुरू कर दिया। साल 2017 में पहली बार कराची जाने के समय उसे अपनी कजन से प्यार हो गया। और साल 2018 में जब दूसरी बार वो कराची गया तो उसकी मुलाकात ISI एजेंटों से हुई। जिसके बाद भारत आकर राशिद ने उनके लिए काम कर शुरू किया।

किन जगहों की राशिद ने भेजी तस्वीर

जानकारी के अनुसार, राशिद ने जिन जगहों की तस्वीर ISI को भेजी, उसमें काशी विश्वनाथ मंदिर, एयरफोर्स सिलेक्शन बोर्ड, ज्ञानवापी मस्जिद, संकटमोचन मंदिर, आगरा किला, नैनी ब्रिज, प्रयागराज का अर्धकुम्भ मेला, चंदौली और अमेठी के सीआरपीएफ कैंप, गोरखपुर रेलवे स्टेशन, सोनभद्र का रेनुकूट थर्मल पॉवर प्लांट, इंडिया गेट, अजमेर शरीफ, नागपुर रेलवे स्टेशन जैसी जगहों के नाम शामिल हैं। इनके अलावा उसने अभी हाल ही में लखनऊ में हुए सीएए/एनआरसी के ख़िलाफ़ हुए आंदोलनों की तस्वीर और बीएचयू की तस्वीर भी पाकिस्तान भेजी थी। जिसके बदले उसे पाकिस्तान में बैठे ऑपरेटर आसिम और अहमद से मई 2019 में हरे-सफेद रंग की टीशर्ट गिफ्ट में मिली थी और साथ ही 5000 रुपए की राशि भी।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया