मुआवज़ा देने के लिए खुद ‘आपदा’ बने राहुल गाँधी: लहलहाते खेत कटवाकर की रैली

कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी (फाइल फोटो)

आमतौर पर किसी प्राकृतिक आपदा के कारण खेतों में फसलों को हुए नुकसान पर सरकार मुआवज़ा देती है। लेकिन राहुल गाँधी ने गुरुवार (7 मार्च 2019) को रैली करने के लिए जगह खाली करवाने के लिए पहले खेतों में खड़ी फसल को कटवाया फिर किसानों को उसका मुआवज़ा दिया उसके बाद रैली की।

चुनाव का मौसम आ चुका है। हालाँकि अभी तक चुनाव की तारीखों की घोषणा नहीं हुई है, मगर राजनीतिक पार्टियाँ चुनावी रैलियों में जुट गई हैं। गुरुवार को पंजाब सरकार की तरफ से पंजाब के मोगा में रैली शो का आयोजन किया गया था, जिसमें कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने भाषण दिया था।

यहाँ पर गौर करने वाली बात ये है कि इस रैली के लिए मैदान तैयार करने के लिए किसानों की तकरीबन 100 एकड़ गेहूँ की खड़ी तैयार फसल को काटकर नष्ट कर दिया गया। हैरानी और ताज़्जुब की बात तो ये भी है कि हमेशा किसान कर्ज माफी और किसानों को लेकर अपनी राजनीतिक रोटियाँ सेंकने वाली कॉन्ग्रेस पार्टी ने अपनी रैली के लिए उन्हीं किसानों की फसलें कटवा दीं और राज्य सरकार से मुआवज़ा भी दिलवाया।

साधारण सी बात है कि कॉन्ग्रेस पार्टी की तरफ से इस रैली का आयोजन किसी और स्थान पर किया जा सकता था। इसके लिए किसानों की खड़ी फसल को काटकर वहाँ पर मैदान तैयार करके रैली करने का क्या मतलब बनता है? प्रशासन का कहना है कि उसने इसके लिए किसानों को 40,000 प्रति एकड़ के हिसाब से मुआवजा भी दे दिया है। पर मुआवजा तो किसी प्राकृतिक आपदा से हुए नुकसान की भरपाई के लिए होता है। लेकिन राहुल गाँधी खुद ही आपदा और आपदा प्रबंधक दोनों बन बैठे। चूँकि पंजाब में कॉन्ग्रेस की सरकार है, इसका यह मतलब कतई नहीं है कि पार्टी की रैली के लिए सरकारी फंड का इस तरह से दुरुपयोग किया जाए। सरकारी फंड का इस्तेमाल तो विशेष परिस्थितियों के लिए किया जाता है। वैसे कॉन्ग्रेस ने ऐसा करके ये तो दिखा ही दिया कि वह किसानों के कितने बड़े शुभचिंतक हैं।

इस मामले पर विपक्षी पार्टी शिरोमणि अकाली दल ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। बता दें कि शिरोमणि अकाली दल ने कॉन्ग्रेस की रैली में सरकारी फंड के दुरुपयोग की जांच करवाने की माँग की है। पार्टी प्रवक्ता डॉ दलजीत चीमा ने मुख्य सचिव को लिखे पत्र में कहा है कि सरकारी खजाने को इस तरह लूटने की इजाजत नहीं दी जा सकती है। पत्र की कॉपी केंद्रीय और पंजाब चुनाव आयोग को भी भेजी गई है। इसमें माँग की गई है कि कर्ज माफी समागम की आड़ में राहुल की रैली करवाने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए। इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा है कि खर्च की गई रकम सरकारी खजाने में जमा करवाई जाए।

इधर पंजाबी एकता पार्टी प्रधान सुखपाल खैरा ने भी सवाल खड़े किए हैं और साथ ही आम आदमी पार्टी ने भी सरकारी खजाने का बेहिसाब दुरुपयोग करने पर राहुल गाँधी की निंदा की है। तो अब ऐसे में अब आगे देखना ये होगा कि पंजाब सरकार और राहुल गाँधी किस तरह से अपने आपको सही साबित करने की कोशिश करते हैं, क्योंकि ये बात तो तय है कि वो इसे गलत कभी नहींं मानेंगे।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया