मजदूर पति ने लाचार पत्नी के लिए बना डाला रिमोट कंट्रोल बेड, राष्ट्रपति ने अवॉर्ड देकर किया सम्मानित

रिमोट कंट्रोल टॉयलेट बेड के साथ एस सरावना मुथु (साभार-BCCL)

तमिलनाडु के 42 वर्षीय मजदूर एस सरावना मुथु ने अपनी बीमार पत्नी की देखभाल के लिए एक ऐसी चीज का आविष्कार कर दिया, जिसकी हर तरफ चर्चा हो रही है। इस काम के लिए उन्हें नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन की तरफ से पुरस्कृत किया गया है। मुथु को ये अवॉर्ड 5 मार्च को गुजरात में राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के हाथों मिला। बता दें कि लोहे का काम करने वाले एस सरावना मुथु ने अपनी बीमार पत्नी के लिए उसके बिस्तर को और अधिक आरामदायक बनाने के लिए रिमोट से चलने वाला टॉयलेट बेड बना दिया।

मुथु ने जो बनाया, उसकी कहानी साल 2014 से शुरू होती है। उस वर्ष मुथु की पत्नी की सर्जरी हुई थी, जिसकी वजह से उन्हें दो महीने बेड रेस्ट पर रहना पड़ा था। इस दौरान उन्हें बिस्तर पर काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। उन्हें उठकर वॉशरुम जाने के लिए काफी परेशानी उठानी पड़ती थी। अपनी पत्नी का ये दर्द सरावना से देखा नहीं गया। उन्होंने पत्नी के लिए कुछ करने की ठान ली और फिर उन्होंने अपनी पत्नी के लिए एक रिमोट कंट्रोल टॉयलेट बेड बना डाला।

टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए मुथु ने बताया कि उन्हें बेड रेस्ट पर रहने वाले मरीजों की पीड़ा समझ में आ रही थी, कि वे कैसे हर चीज के लिए दूसरों के ऊपर निर्भर रहते हैं, यहाँ तक कि उनकी देखभाल करने वालों को भी परेशानी होती है। कई मामलों में तो मरीज की प्राइवेसी भी खतरे में पड़ जाती है। मरीजों की प्राइवेसी को ध्यान में रखते हुए और उनकी परेशानियों को कम करने के लिए मुथु ने रिमोट कंट्रोल बेड बनाने का फैसला किया।

अपने आविष्कार के साथ मुथु (दाएँ से तीसरे) – फोटो साभार: BCCL

मुथु ने फ्लश टैंक, सेप्टिक टैंक से लैस एक रिमोट कंट्रोल बेड बनाया है। रिमोट कंट्रोल बेड में तीन बटन हैं। एक बटन से बेड का बेस खुलता है, जबकि दूसरे से क्लोज़ेट खुलता है। वहीं तीसरा बटन टॉयलेट के फ्लश के लिए लगाया गया है।

मुथु ने इस बारे में बात करते हुए बताया कि इसे बनाने में शुरुआती दौर में उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। मुथु इस उपलब्धि का श्रेय पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम को देते हैं। उनका कहना है कि अब्दुल कलाम ने ही उन्हें इसके लिए प्रेरित किया और उनसे मिलने के बाद ही उनके इस विचार को एक दिशा मिली। अब्दुल कलाम ही वो शख्स थे, जिन्होंने मुथु को उनके आविष्कार के लिए नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन में अप्लाई करने को कहा था।

वैसे देखा जाए तो मुथु ने इस आविष्कार से न केवल पुरस्कार जीता, बल्कि अपनी बीमार पत्नी की सुविधा के लिए इतनी बड़ी बात सोचकर लोगों का दिल भी जीत लिया। देखने में यह सिर्फ एक बेड है लेकिन जो परिवार ऐसे हालातों से गुजरते हैं, उनके लिए यह वरदान साबित हो सकता है। तभी तो मुथु को अब तक 385 ऐसे बेड बनाने के ऑर्डर मिल चुके हैं लेकिन संसाधनों की कमी के कारण उन्होंने सिर्फ एक ही बेड की डिलीवरी की है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया