पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की स्थिति के बारे में बात करते हुए गुरुवार को UNPO (यूनाईटिड नेशन एंड पीपुल्स ऑर्गानाइजेशन) के महासचिव राल्फ बुनचे ने यूरोपीय संघ से पाकिस्तान को धार्मिक स्वतंत्रता का हनन करने वाले देशों की सूची में डालने के लिए गुहार लगाई।
उन्होंने जेनेवा में बैठक के दौरान ये आग्रह पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की बुरी स्थिति को लेकर किया। इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि पाकिस्तान में धार्मिक स्वतंत्रता का मुद्दा काफी समय से उठता आ रहा है और ये बहुत ही महत्तवपूर्ण हैं। उन्होंने एएनआई से बातचीत में बताया, “आज मैं पाकिस्तान में (खासकर सिंध में) धार्मिक स्वतंत्रता के बारे में बोल रहा था। मैंने इस बात पर प्रकाश डाला कि पाकिस्तान में धर्म की स्वतंत्रता का बहुत महत्वपूर्ण और लंबा मुद्दा रहा है।”
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक राफेल ने कहा, “पिछले साल नबंवर में अमेरिकी गृह विभाग ने पाकिस्तान को धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियमों के तहत विशेष चिंता वाले देश के रूप में नामित किया था। जो इसे धार्मिक स्वतंत्रता के लिहाज से भयानक देशों की श्रेणी में शामिल करता है। इसलिए पाकिस्तान में धार्मिक अतिवाद से पैदा होने वाले उत्पीड़न को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं। “
https://twitter.com/ANI/status/1172262929443409920?ref_src=twsrc%5Etfwगौरतलब है कि इस बैठक में पाकिस्तान की उसके मुल्क में अल्पसंख्यकों पर जुल्म करने के लिए अंतराष्ट्रीय स्तर पर निंदा की गई। स्पष्ट रूप से बताया गया कि इस्लामाबाद में भी धार्मिक अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ कभी हिंसा, नरसंहार, असाधारण हत्या, अपहरण, बलात्कार, धर्म परिवर्तन जैसे मामलों के रूप में भेदभाव होता हैं। जिनमें पाकिस्तानी हिंदू, ईसाई, सिख, अहमदिया और शिया उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों में से एक हैं। इसके अलावा बुनचे ने इस बैठक में यूरोपियन संघ पर भी सवाल उठाए और कहा कि पाकिस्तान से जुड़े इस मामले में वह इस दिशा में काम नहीं कर रहे हैं, बल्कि वो किसी और ही राह पर जा रहे हैं। उनके मुताबिक यूरोपीय संघ पाकिस्तान को लेन-देन करने का मौक़ा दे रहा है।
महासचिव बुनचे ने इस बैठक के बाद उम्मीद जताते हुए ये भी कहा, “UNPO को आशा है कि यूरोपीय संघ इस मामले में अमेरिका से एक कदम आगे बढ़कर पाक को अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता मानकों के भारी उल्लंघनकर्ता के रूप में मान्यता देगा। साथ ही कार्रवाई कर यह सुनिश्चित करेगा कि उसे सामान्य हालात में दी जाने वाली आर्थिक मदद पर अंकुश लगाया जा सके।”