Editors Guild के शेखर गुप्ता को नहीं पता तेलंगाना-आंध्र में अंतर, Times Of India ने भी चलाई वही खबर

शेखर गुप्ता (फाइल फोटो)

अपने आप को देश में पत्रकारिता, अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता से लेकर राजनीति और देश में पढ़ने-लिखने से जुड़ी हर चीज़ का चौधरी मानने वाले सम्पादकों के समूह एडिटर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया ने आंध्र सरकार की आलोचना करने में बहुत बड़ी बेवकूफ़ी कर दी- आंध्र प्रदेश को तेलंगाना और आंध्र के मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी को तेलंगाना का मुख्यमंत्री बता दिया। यही नहीं, देश के सबसे ज़्यादा छपने और पढ़े जाने वाले अख़बारों में से एक होने का दम भरने वाले Times Of India ने भी वही गलत खबर आगे बढ़ा दी- यानि देश के सबसे बड़े तोपची सम्पादकों, और ‘सबसे बड़े’ अंग्रेजी समाचारपत्र को चलाने वालों को या तो देश के मुख्यमंत्रियों के बारे में भी ठीक से जानकारी नहीं है, और या फिर एडिटर्स गिल्ड ने गलती की तो की, टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने ‘मालिक साहब’ लोगों से आई खबर को छापने से पहले पढ़ने तक की ज़हमत नहीं उठाई।

दो टीवी चैनलों पर अघोषित प्रतिबंध का आरोप

एडिटर्स गिल्ड ने अपने पत्र/बयान में आंध्र के मुख्यमंत्री जगन रेड्डी पर दो तेलुगुभाषी टीवी चैनलों TV5 और ABN पर अघोषित प्रतिबंध का आरोप लगाया था। माना जाता है कि दोनों चैनल राज्य सरकार सरकार की आलोचना करने वाले थे। एडिटर्स गिल्ड ने इसे प्रेस की आज़ादी के खिलाफ बताया और आंध्र प्रदेश सरकार से इस मामले पर स्पष्टीकरण की माँग की। उन्होंने पूछा कि क्या सरकार ने इन दोनों चैनलों के प्रसारण को रोकने वाला कोई आदेश दिया था, और अगर दिया था तो गिल्ड ने उसे हटाने की माँग की।

यहाँ तक तो बात सही थी, लेकिन गिल्ड ने गड़बड़ यह कर दी कि मूल बयान में आंध्र की जगह तेलंगाना लिख दिया, और उसी का सीएम जगन को बनाकर आलोचना शुरू कर दी।

इस बयान को गिल्ड के अध्यक्ष और द प्रिंट के सम्पादक शेखर गुप्ता के नाम से जारी किया गया है।

Times Of India ने भी बिना पढ़े बढ़ाया आगे?

यह अपने आप में इतनी बड़ी कोई बात न होती, लेकिन इसके बाद Times Of India ने जब उसी, इतनी ‘basic सी’ गलती को जस-का-तस दोहरा दिया तो यही चीज़ एक बड़ी भूल बन गई।

‘ये भी ‘tyranny of distance’ है क्या?’

Editors Guild पर तंज़ कसते हुए रिपब्लिक टीवी की दक्षिण भारत ब्यूरो प्रमुख पूजा प्रसन्ना ने कहा कि आंध्र और तेलंगाना के मुख्यमंत्रियों का नाम न पता होना अक्षम्य है। उन्होंने साथ ही तन्ज़ कसा कि क्या यह भी ‘tyranny of distance’ के चलते हुए है। गौरतलब है कि जब लिबरल गैंग को इस बात पर घेरा गया था कि वह दादरी मॉब लिंचिंग को लेकर असहिष्णुता का पुलिंदा गढ़ने में जुटा है, जबकि बंगाल में बशीरहाट दंगों जैसी इस्लामी भीड़ की दर्जनों घटनाओं पर उसका ध्यान नहीं जाता, तो लिबरल गैंग के पत्रकारों ने इस ‘tyranny of distance’ के पीछे छिपने की कोशिश की थी। बहाना दिया था कि चूँकि बंगाल और अन्य कई राज्य उनके चैनलों के दिल्ली स्थित मुख्यालयों से दूर पड़ते हैं, इसलिए वहाँ की खबरें ठीक से कवर नहीं हो पातीं। यह मज़हबी भेदभाव या सेलेक्टिवनेस नहीं, दूरी की मजबूरी (‘tyranny of distance’) है।

https://twitter.com/PoojaPrasanna4/status/1176810933244399616?ref_src=twsrc%5Etfw

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया