‘शाहीन बाग रिटर्न्स’: गाजीपुर में आंदोलनकारी ‘किसानों’ के बीच बँटी बिरयानी, नेटिजन्स बोले- आ गया सीजन 2

गाजीपुर में किसानों को बिरयानी और (दाएँ) शाहीन बाग़ के प्रदर्शनकारियों के बीच बिरयानी वितरण

केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में लाए गए कृषि सुधार कानूनों को लेकर जारी किसानों के विरोध प्रदर्शन के बीच टाइम्स ऑफ़ इंडिया द्वारा साझा किया गया वीडियो सोशल मीडिया पर काफी चर्चा में बना हुआ है। यह वीडियो राजधानी दिल्ली के गाजीपुर क्षेत्र का है जिसमें आंदोलन कर रहे ‘किसानों’ के बीच बिरयानी बाँटी जा रही है। टाइम्स ऑफ़ इंडिया के इस वीडियो के साथ कैप्शन भी लिखा हुआ है, “गाजीपुर में किसानों के विरोध-प्रदर्शन की जगह पर बिरयानी का समय हो चुका है।” वीडियो में देखा जा सकता है कि सैकड़ों लोग बिरयानी के लिए पंक्ति बना कर खड़े हैं। 

https://twitter.com/TOIDelhi/status/1333283917063876608?ref_src=twsrc%5Etfw

वीडियो पर कुछ ही समय में काफी प्रतिक्रियाएँ सामने आई क्योंकि इस नज़ारे ने शाहीन बाग़ की यादें ताज़ा कर दी, जब पिछले साल दिसंबर महीने में तमाम इस्लामी सीएए और एनआरसी के तथाकथित ‘विरोध’ में धरने पर बैठे थे। नेटिज़न्स ने दिल्ली की सीमाओं पर जारी ‘किसानों’ के विरोध-प्रदर्शन और शाहीन बाग में हुए विरोध-प्रदर्शन के बीच समानताएँ स्थापित करनी शुरू कर दी।    

किसानों के लिए बिरयानी ने दिलाई शाहीन बाग़ के धरने की याद

इस वीडियो पर प्रतिक्रिया देते हुए तमाम नेटिज़न्स ने विचार प्रकट किया कि किसानों का विरोध, शाहीन बाग़ प्रदर्शन का सीज़न-2 है। एक सोशल मीडिया यूज़र ने इस विरोध प्रदर्शन का ज़िक्र करते हुए लिखा, “कुदरती बिरयानी, पिंचर प्रोटेस्ट की अपार सफलता के बाद पेश है भारत की सबसे बड़ी नौटंकी का दूसरा सीज़न, शाहीनबाग़ 2। जिसकी थीम है, “कुदरती बिरयानी किसानों का विरोध-प्रदर्शन।”

https://twitter.com/Krishna41411481/status/1333367972434300928?ref_src=twsrc%5Etfw

एक सोशल मीडिया यूज़र ने लिखा कि ‘नए दौर के प्रदर्शनकारियों’ के लिए मुख्य भोजन बन गया है।

https://twitter.com/ramindesai/status/1333305639016099841?ref_src=twsrc%5Etfw

वहीं एक ट्विटर यूज़र ने आरोप लगाते हुए कहा कि कट्टरपंथी इस्लामी संगठन, वामपंथी दल, आम आदमी पार्टी और कॉन्ग्रेस जिन्होंने शाहीन बाग़ ‘विरोध-प्रदर्शन’ को बढ़ावा दिया वही इस तथाकथित किसान आंदोलन के पीछे हैं। 

https://twitter.com/NeerajK35713705/status/1333342918082396160?ref_src=twsrc%5Etfw

मिहिर झा नाम के ट्विटर यूज़र को ऐसा लगा, “जब बिरयानी ब्रिगेड सड़कों पर आई” तभी “किसान आंदोलन का शाहीन बाग़ करण पूरा हो गया था” 

https://twitter.com/MihirkJha/status/1333292633343414272?ref_src=twsrc%5Etfw

शाहीन बाग़ प्रदर्शन को मिली थी भरपूर फंडिंग और समर्थन (और बिरयानी भी)

ऑपइंडिया की ग्राउंड रिपोर्ट ने इस मुद्दे का ज़िक्र किया ही था कि शाहीन बाग़ में धरने पर बैठे प्रदर्शनकारियों और सहयोगियों के बीच बिरयानी बाँटी जा रही है। बिरयानी के साथ-साथ पानी की बोतल, फलों का रस और खाने की चीज़ें भी बाँटी गई थीं। अगर इतने से बात स्पष्ट नहीं होती है तो वहाँ पर एक म्यूज़िक सिस्टम भी लगा हुआ था, जिसका प्रतिदिन का किराया आठ से दस हज़ार रुपए था। इसके अलावा वहाँ पर लगाए गए टेंट का प्रतिदिन का किराया लगभग दस से तीस हज़ार रुपए के बीच था। दिन के वक्त में वहाँ पर 200 से 300 लोग हमेशा ही बैठे रहते थे, जिन्हें मुफ्त चाय-नाश्ता और भोजन दिया जाता था। यानी इस तरह के विरोध-प्रदर्शन का प्रतिदिन खर्च लगभग दस लाख रुपए था। 

इतना ही नहीं भाजपा आईटी सेल के मुखिया अमित मालवीय ने एक वीडियो भी साझा किया था जिसमें साफ़ देखा जा सकता था कि प्रदर्शन करने वाली महिलाओं को 500 से लेकर 700 रुपए तक दिए जा रहे थे। जो व्यक्ति वीडियो में नज़र आया था उसका यहाँ तक कहना था कि यह लोग शिफ्ट में काम करते थे, जिससे वहाँ भीड़ कम नज़र नहीं आए। महिलाओं को अपने खाली वक्त में वहाँ बैठने के लिए प्रोत्साहित किया जाता था। व्यक्ति ने यह भी बताया कि प्रदर्शन करने वालों के प्रबंधित रूप से ‘ड्यूटी के घंटे’ तय होते थे, उसके मुताबिक़ शाहीन बाग़ धरना-प्रदर्शन स्थानीय लोगों के लिए आमदनी का ज़रिया से बढ़ कर कुछ नहीं था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार शाहीन बाग़ धरने में शामिल होने वाली तमाम महिलाएँ किसानों के विरोध प्रदर्शन में भी शामिल होने पहुँची थीं। किसान यूनियन के नेताओं का दावा है कि इस विरोध-प्रदर्शन में लगभग 3 लाख किसान हिस्सा ले रहे हैं।     

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया