स्वरा भास्कर जिसके चुनाव प्रचार में गईं वही हार गया: कई बड़े ब्रांड्स ने किया किनारा, छलका दर्द

स्वरा भास्कर (फाइल फोटो)

हमेशा अपनी बयानबाज़ी को लेकर सुर्खियाँ बटोरने वाली अभिनेत्री स्वरा भास्कर ने एक बार बयान देते हुए कहा है कि बॉलीवुड में मुख्यधारा के लोगों को किसी भी मुद्दे को लेकर बोलते हुए, अपनी राय रखते वक़्त उन्हें संवेदनशील होना चाहिए साथ ही उन्हें इसका भी ध्यान रखना चाहिए कि वे मुद्दे का प्रतिनिध्तिव कैसे करते हैं। भले यह अनुभव मेरा अपना नहीं भी हो तो इसका मतलब यह नहीं कि ऐसा गलत है। यही हमारी धार्मिक, जातिगत और लैंगिक पहचान के लिए भी सही है।

कुछ समय बाद स्वरा की एक नई फिल्म आने वाली है जोकि समलैंगिकता पर आधारित है। इस फिल्म में स्वरा भास्कर एक समलैंगिक के रोल में नज़र आएँगी। इस फिल्म में शबाना आज़मी के होने की भी बात कही जा रही है। अपनी इस फिल्म से पहले सुर्खियाँ बटोरने के लिए स्वरा ने एक बार फिर से राग अलापना शुरू कर दिया है। मगर इस बार उनके राग में एक ऐसा दर्द भी शामिल है जिसे समझने के लिए लोकसभा चुनाव में भाजपा को उखाड़ फेंकने का सपना देखने वाली स्वरा के जीवन की एक झलक देखनी पड़ेगी।

इसमें कोई दो राय नहीं कि कई मुद्दों पर मुखर होकर बोलने वाली स्वरा कभी झुकती नहीं हों लेकिन इसके चलते उन्हें कितनी बार मुसीबत का सामना करना पड़ता है।

स्वरा यहीं नहीं रुकीं, उन्होंने कहा कि एक सार्वजानिक जीवन में आपको इस बात का ख़याल रखना चाहिए कि आप जितना लोकप्रिय होते हैं उतना ही आप विनाशकारी नकारात्मकता का भी शिकार होते हैं, अगर हम चाहते हैं कि ऐसे लोग ज़िम्मेदारी से किसी भी मुद्दे पर अपनी बात मुखर होकर सबके बीच रखें तो यह ज़रूरी है कि उसे लोग भी सपोर्ट करें, इसके लिए ज़रूरी है कि हमें अपने समाज को ऐसा बनाना होगा जो किसी को जिम्मेवारी लेने के लिए कटघरे में खड़ा न करे।

अपना असल दुःख बयाँ करते हुए स्वरा ने कहा कि उन्हें 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान बेगुसराय में कन्हैया कुमार, एमपी में दिग्विजय सिंह, दिल्ली में आम आदमी पार्टी के राघव चढ्ढा और आतिशी मार्लेना और सीपीएम के अम्र राम के लिए प्रचार करने पर चार नामी गिरामी ब्रांड्स ने स्वरा भास्कर से नाता तोड़ दिया। इसके चलते हुए नुकसान पर अपना दुःख बयाँ करते हुए कहा कि मैं खुद को महान नहीं कह रही लेकिन इस सब के दौरान से गुज़र कर मैं इतना ज़रूर कह सकती हूँ कभी कभी अगर आप बड़ा रिस्क लेने की हिम्मत करते हैं तो उसका खामियाज़ा भी भुगतना पड़ता है क्योंकि अपनी राय रखने की एवज में शूट के दौरान कार पथराव भी हो सकता है। शायद यही वजह है कि हम देखते हैं कि क्यों सार्वजानिक जीवन में कोई भी व्यक्ति खुलकर किसी भी मुद्दे पर बोलने से क्यों बचता है।

यह किसी से छुपा नहीं है कि लोकसभा चुनाव में भाजपा को हटाने के लिए स्वरा भास्कर ने सारी हदें पार कर दी थीं, ट्विटर पर लोगों ने स्वरा को टारगेट करके पनौती तक लिख दिया था।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया