‘IS आतंकी तो नमाज भी नहीं पढ़ते, मेरे साथ धोखा हुआ… मैं तो खलीफा के हिसाब से जीने के लिए ज्वाइन की थी’
"हम अफगानिस्तान यह सोचकर आए थे कि 'खलीफा' के हिसाब से इस्लामी जीवन जी सकेंगे। लेकिन जब हम यहाँ पहुँचे, तो हमने महसूस किया कि लोग नमाज पढ़ने तक के…