Sunday, September 29, 2024
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‘ये मेरा पुनर्जन्म है, कच्छ के भूकम्प में मैं मर गई थी’, बनासकांठा में 4 साल की दक्षा का दावा: फर्राटे से बोलती है हिंदी, बाकी परिवार को आती है सिर्फ गुजराती

ऑपइंडिया ने 4 साल की बच्ची दक्षा से भी बात की। दक्षा से जब भूकंप की घटना के बारे में पूछा गया तो उसने बताया, "मैं बालमंदिर में पढ़ने जाती थी। वहाँ से मैं अपनी बहनों के साथ खेलती हुई घर आ रही थी। तभी अचानक जमीन फटने लगी और ऊपर से छत मेरे सिर पर गिर गई और मेरी मौत हो गई।"

हिंदू धर्म में पुनर्जन्म की मान्यता है। हमारे शास्त्रों और पुराणों में भी पुनर्जन्म की बात की गई है। हाल-फिलहाल में भी कई ऐसे उदारहण सामने आए हैं, जहाँ लोगों ने खुद के पुनर्जन्म का दावा किया है। ऐसा ही एक मामला गुजरात के बनासकांठा से सामने आया है। बनासकांठा के एक अनपढ़ गुजराती परिवार में जन्मी बच्ची जन्म से ही हिंदी बोलती है, उसने अपने पुनर्जन्म का दावा भी किया है।

इस बच्ची का दावा है कि यह उसका पुनर्जन्म है और वह इससे 24 साल पहले कच्छ जिले के अंजार में रहती थी। बच्ची का दावा है कि भूकंप में उसकी और उसके परिवार की मौत हो गई थी। बनासकांठा की इस बच्ची का मामला अब सोशल मीडिया में छाया हुआ है। उसका वीडियो वायरल होने के बाद ऑपइंडिया सच्चाई जानने के लिए बनासकांठा के खासा गाँव तक पहुँच गया। ऑपइंडिया ने बच्ची के पिता जेताजी ठाकोर और बच्ची दक्षा से भी बात की। बातचीत के दौरान बच्ची ने कई हैरान करने वाली बातें बताईं। उसे पुनर्जन्म की कहानियाँ भी याद थीं।

बच्ची के पिता- दक्षा हमेशा हिंदी में करती है बात

ऑपइंडिया ने सबसे पहले खासा गाँव के सरपंच से संपर्क किया। उन्होंने भी इस घटना के बारे में कुछ जानकारी दी है। उन्होंने कहा, “प्रकृति हमें कभी-कभी वाकई हैरान कर देती है। जिस लड़की के पुनर्जन्म का दावा सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, वह हमारे परिवार की ही है। बच्ची ने जो कहा है, वह काफी हद तक सच भी है।”

ऑपइंडिया सरपंच के ज़रिए बच्ची के परिवार तक पहुँचा। लड़की के पिता जेताजी ठाकोर ने हमें दक्षा के बचपन के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि वे खासा गाँव के वलजीभाई पटेल के खेत में मज़दूरी करते हैं। उनके तीन बच्चे हैं। उनका एक बेटा और दो बेटियाँ हैं।

बच्ची के पिता जेठाजी ठाकोर

उन्होंने बताया कि जबसे उनकी छोटी बेटी दक्षा ने जब से बोलना सीखा है, तब से वह हिंदी में ही बात करती है। वह अपनी बहनों से भी हिंदी में ही बात करती है। उसे गुजराती भाषा बोलने में दिक्कत होती है। उसे कुछ कहना भी होता तो वह हिंदी में ही बोलती है। जैसे, “मां मुझे पानी दे”। दक्षा के के माता-पिता अनपढ़ हैं। उनकी माँ गीताबेन को भी हिंदी का कोई ज्ञान नहीं है।

शुरू में दक्षा हिंदी बोलती थी, लेकिन परिवार ने उस पर ध्यान नहीं दिया। जब दक्षा डेढ़ साल की हुई तो वह हिंदी में बात करने लगी, ”मेरी मम्मी कहाँ है… मेरा बिस्तर कहाँ है… मेरे पापा कहाँ है।” दक्षा के माता पिता को पहले उन्हें लगा कि लड़की कुछ शरारत कर रही है। दक्षा को बिना स्कूल गए, बिना किसी तरह के मोबाइल-टीवी, सिनेमा या सोशल मीडिया देखे हिंदी अच्छी तरह से आती है।

ऑपइंडिया ने जब दक्षा के पिता से घटना की शुरुआत के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि शुरू में परिवार ने दक्षा पर ध्यान नहीं दिया। लेकिन समय के साथ वह समझदार और बड़े लोगों की तरह की तरह बात करने लगी। 6 महीने पहले उसने अचानक अपने पिता को बताया कि यह उसका दूसरा जन्म है।

उसने अपने पिता को बताया कि पिछले जन्म में वह अंजार में रहती थी और उसका नाम प्रिंजल था। उसके माता-पिता भी अंजार में ही रहते थे। उसने अपने पिता को बताया कि भूकंप के दौरान छत गिरने से उसकी मौत हो गई। यह बताने के बाद उसके पिता और परिवार समेत गाँव के लोग हैरान रह गए।

दक्षा का परिवार

लड़की के पिता ने बताया, “चार साल की बच्ची को अंजार के बारे में क्या मालूम? उसे तो अपने खुद के जिले के बारे में भी नहीं पता। फिर भी वह अंजार और भूकंप के बारे में बात कर रही है। उसे यह भी पता है कि 24 साल पहले कच्छ में भूकंप आया था और उसमें ही उसकी मौत हो गई थी।”

दक्षा ने कहा- मैं वापस अंजार नहीं जाना चाहती

ऑपइंडिया ने 4 साल की बच्ची दक्षा से भी बात की। दक्षा से जब भूकंप की घटना के बारे में पूछा गया तो उसने बताया, “मैं बालमंदिर में पढ़ने जाती थी। वहाँ से मैं अपनी बहनों के साथ खेलती हुई घर आ रही थी। तभी अचानक जमीन फटने लगी और ऊपर से छत मेरे सिर पर गिर गई और मेरी मौत हो गई।”

दक्षा ने साथ ही में यह भी बताया कि इस भूकंप में उसके माता-पिता की भी मौत हो गई थी। वह अपने परिवार के सदस्यों का नाम नहीं बता पाई, लेकिन उसने बताया कि जब वह अंजार में रहती थी तो उसका नाम प्रिंजल था। बच्ची ने अंजार के परिवार के बारे में भी बताया।

बच्ची दक्षा

बच्ची ने बताया कि अंजार में उसके पिता केक बनाने वाली फैक्ट्री यानी बेकरी में काम करते थे और वे लाल कपड़े पहनते थे। उसकी माँ फूलों वाली साड़ी पहनती थीं और कभी-कभी वे ड्रेस भी पहनती थीं। अंजार में उनका एक बड़ा घर था। उसके माता-पिता उनसे बहुत प्यार करते थे। बच्ची ने बताया वह तीन भाई बहन थे। इनमें सबसे बड़ा भाई था, उसके बाद एक बेटी और दक्ष (प्रिंजल) सबसे छोटी थी। हालाँकि, दक्षा अब दोबारा अंजार नहीं जाना चाहती। वह अपने भाई-बहनों और माता-पिता के साथ यहीं रहना चाहती है।

भगवान ने भेजा है मुझे- दक्षा

ऑपइंडिया से बात करते हुए दक्षा ने बताया कि अब वह दोबारा अंजार नहीं जाना चाहती। उसने बताया, ”मुझे अंजार में डर लगता है। भगवान श्रीराम ने मुझे मना कर दिया है। श्रीराम ने कहा है कि अगर तुम वापस आओगी तो मैं तुम्हें दोबारा जन्म नहीं दूंगा। इसलिए अब मैं अंजार नहीं जाऊँगी। अगर फिर से भूकंप आया तो भगवान मुझे वापस नहीं भेजेंगे। भगवान ने मुझे यहाँ भेजा है और अब उन्होंने कहा है कि वे दोबारा जन्म नहीं देंगे।”

दक्षा की उम्र 4 साल है, वह अशिक्षित परिवार से है, बिना स्कूल गए, बिना किसी तरह का मोबाइल-टीवी सिनेमा या सोशल मीडिया मीडिया देखे, बच्ची का हिंदी बोलना और सभी पुनर्जन्मों के बारे में बात करना अब एक पहेली है। लेकिन बच्ची जिस तरह से बात कर रही है, वह विज्ञान के लिए भी एक पहेली हो सकती है।

फिलहाल दक्षा अंग्रेजी मीडियम में पढ़ाई कर रही है और उसका सपना सेना में भर्ती होकर दुश्मनों से लड़ना है। ऑपइंडिया से बात करते हुए दक्षा ने कहा कि वह अंग्रेजी में शिक्षा प्राप्त करना चाहती है और दुश्मनों को खत्म करने के लिए सैनिक बनना चाहती है। उसके पिता ने भी बच्ची के भविष्य के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि बच्ची अपनी उम्र से ज्यादा समझदार और परिपक्व है। इसलिए उसे पढाएंगे और उसके सपने को पूरा करने की कोशिश करेंगे।

क्या कहते हैं मनोचिकित्सक?

पुनर्जन्म संभव है या नहीं, इस पर पहले भी कई बार बहस उठ चुकी है और इसके आगे भविष्य में जारी रहने की भी उम्मीद है। चूंकि हिंदू धर्म विज्ञान पर आधारित है, हमारा दर्शन वैदिक विज्ञान और गणित पर आधारित है, इसलिए पुनर्जन्म के विषय को सिरे से नकारना एक भूल होगी।

लड़की से बात करने के बाद ऑपइंडिया ने भावनगर के मनोचिकित्सक डॉ हितेश पटेलिया से बात की। मनोचिकित्सक ने हमें बताया,”पुनर्जन्म का सिद्धांत गलत और निरर्थक नहीं है। इस लड़की के आसपास कोई हिंदी भाषी माहौल नहीं है, कोई टीवी या मोबाइल नहीं है फिर भी वह हिंदी बोलती है, यह पुनर्जन्म का संकेत है। इसलिए बनासकांठा के मजदूर परिवार के बच्चे के पुनर्जन्म का दावा सही भी हो सकता है।”

उन्होंने आगे कहा, “डॉ. ब्रेन वाइज का जन्म 1944 में अमेरिका में हुआ था। उन्होंने पुनर्जन्म पर कई शोध भी किए हैं और उसमें सफलता भी पाई है। इसलिए पुनर्जन्म को मनोविज्ञान में भी माना जाता है। पुनर्जन्म की कुछ घटनाएँ अचेतन मन में जीवित हो सकती हैं, जो कभी-कभी याद आती हैं। इस लड़की के मामले में भी ऐसा ही हुआ है। भगवद गीता में भी पुनर्जन्म को अकाट्य सिद्धांत माना गया है। इसलिए यह पुनर्जन्म का मामला हो सकता है।”

गौरतलब है कि 26 जनवरी, 2001 को कच्छ में भयानक भूकंप आया था। इस भूकंप ने गुजरात समेत पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। इस आपदा में हजारों लोग मारे गए थे। चली गई थी। पूरे के पूरे गाँव जमीन में समा जाने की खबरें आई थीं। यह इतनी भयानक घटना थी कि आज भी गुजरात उस घाव को भर नहीं पाया है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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