Friday, November 22, 2024
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सिर्फ तीन महीने में ही साढ़े पांच लाभार्थियों के साथ सफलता के नये मापदंड लिख रहा ‘आयुष्मान भारत”

अब तक लगभग 3,000,000 लाभार्थियों के लिए ई-कार्ड जारी कर दिए गए हैं। इस योजना के अंतर्गत आने वाले अस्पतालों की सूची में आधे से ज्यादा का निजी अस्पताल होना यह बताता है कि ये योजना सिर्फ सरकारी अस्पतालों तक ही सीमित नहीं है।

केद्र सरकार ने शुक्रवार को आयुष्मान भारत को लेकर आंकड़े पेश किये। लोकसभा में प्रश्नों के लिखित जवाब देते हुए केंद्रीय स्वास्थ मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने बताया कि आयुष्मान भारत योजना के तहत अब तक साढ़े पांच लाख मरीजों को अस्पतालों में भर्ती कराया जा चुका है। उड़ीसा, तेलंगाना और दिल्ली की राज्य सरकारों ने अभी तक अपने-अपने राज्यों में आयुष्मान भारत के क्रियान्वयन के लिए एमओयू पर दस्तखत नहीं किये हैं। जगत प्रकाश नड्डा ने विशेष जानकारी देते हुए बताया;

“16 दिसंबर 2018 की स्थिति के अनुसार प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) के तहत अस्पतालों में मरीजों के भर्ती होने के कुल 5,52,649 मामले दर्ज किये गये। लाभार्थियों को अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद 4,21,474 मामलों में बीमा राशि के दावे स्वीकृत किये जा चुके हैं। अब तक आयुष्मान भारत योजना के तहत 548.11 करोड़ रुपये की दावा राशि जारी की गयी है। अभी तक ओडिशा, तेलंगाना और दिल्ली की सरकारों ने पीएमजेएवाई के क्रियान्वयन के लिए एमओयू पर दस्तखत नहीं किये हैं। मेघालय, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, पंजाब और केरल ने आयुष्मान योजना के लिए एमओयू पर दस्तखत किये हैं, लेकिन 16 दिसंबर तक की स्थिति के अनुसार इन्हें अपने राज्यों में लागू नहीं किया है।”

बता दें कि केंद्रीय स्वस्थ मंत्री नड्डा ने प्रसून बनर्जी और छोटे लाल के प्रश्नों के जवाब में इन आंकड़ों का जिक्र किया। इन पर गौर करने से यह पता चलता है कि समय के साथ केंद्र सरकार की इस ड्रीम परियोजना को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ रही है और लोग इसका लाभ उठा रहे हैं। अब तक लगभग 3,000,000 लाभार्थियों के लिए ई-कार्ड जारी कर दिए गए हैं जिस से इन सभी को गुणवत्तापूर्ण स्वस्थ सेवाएँ मिलेंगी। सरकार ने अपने बयान में अधिक जानकारी देते हुए कहा;

“अभी तक 16,000 अस्पतालों को इस योजना से जोड़ा जा चुका है और इन में से 55 प्रतिशत निजी अस्पताल हैं।”

याद होना चाहिए कि आयुष्मान भारत को लेकर सरकार को काफी आलोचना का सामना भी करना पड़ा था। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने इसे एक जुमला बताया था। तमाम आलोचनाओं के बावजूद प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना यानि आयुष्मान भारत की सफलता से यह पता चलता है कि जैसे-जैसे लोगों में इस योजना को लेकर जागरूकता बढ़ रही है, वैसे-वैसे लाभार्थियों की संख्या भी बढ़ रही है। इस योजना के अंतर्गत आने वाले अस्पतालों की सूची में आधे से ज्यादा का निजी अस्पताल होना यह बताता है कि ये योजना सिर्फ सरकारी अस्पतालों तक ही सीमित नहीं है। किसी भी जन कल्याणकारी योजना का जब तक अच्छे से प्रचार-प्रसार नही किया जाये और जनता तक उसकी पूरी जानकारी नहीं पहुंचाई जाये, तब तक उस योजना के सफल होने की उम्मीद नहीं रहती। अब जब लोग आयुष्मान भारत को अपना रहे हैं तब ये कहा जा सकता है कि सरकार की इस महत्वकांक्षी परियोजना के सही असर दिखने शुरू हो गए हैं। यह एक लॉन्ग टर्म प्लान के आधार पर काम कर रहा है और अभी कई राज्यों में लागू भी नहीं हो पाया है।

ज्ञात हो कि आयुष्मान भारत योजना का लक्ष्य खासकर निम्न और निम्न मध्यम वर्ग के परिवारों को महंगे मेडिकल बिल से निजात दिलाना है। इस योजना के दायरे में गरीब, वंचित ग्रामीण परिवार और शहरी श्रमिकों की पेशेवर श्रेणियों को रखा गया है। सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत प्रत्येक परिवार को सालाना पांच लाख रुपये की कवरेज दी जाती है और वे सरकारी या निजी अस्पताल में कैशलेस इलाज करा सकते हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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