कल एनआईए ने देश में एक बड़ा आतंकी हमला करने की साजिश का भंडाफोड़ कर के आतंकी मंसूबों पर पानी फेर दिया। दरअसल कल एनआईए ने दिल्ली के सीलमपुर और उत्तर प्रदेश में अमरोहा, लखनऊ और हापुर सहित 17 स्थानों पर मैराथन छापेमारी की जिसमे दुनिया के सबसे खूंखार आतंकवादी संगठन आईएसआईएस (इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया) के माँड्यूल हरकत उल हर्ब ए इस्लाम का पर्दाफाश करते हुए 10 आतंकवादियों को गिरफ्तार किया। गिरफ्तार हुए आतंकियों में एक मौलवी, व्यापारी और कॉलेज विद्यार्थी शामिल हैं। इनमे से आधे यानी पांच आतंकियों को यूपी के अमरोहा जिले से गिरफ्तार किया गया। एनआईए के महानिरीक्षक आलोक मित्तल ने इस बड़ी कारवाई के बारे में जानकारी देते हुए बताया;
“10 संदिग्ध आतंकियों को गिरफ्तार किया गया है। वो सभी आतंकी हमले की साजिश रचने के उन्नत चरण में थे। sआठ ही हमने जो चीजें जब्त की है उसमे देश में बने राकेट लांचर और 12 पिस्तौल शामिल हैं। उनकी योजना 100 से ज्यादा बम तैयार करने की थी जिसका आतंकी हमलों में इस्तेमाल किया जा सके।”
एनआईए के अहम खुलासे के मुताबिक़ ये आतंकी कुछ प्रसिद्ध व्यक्तियों और नेताओं को भी निशाना बनाना चाहते थे। बरामद की गई चीजों में बड़ी संख्या में विस्फोटक, एक देसी रॉकेट लॉंचर, 100 मोबाइल फोन और 135 सिम कार्ड शामिल है। एनआईए के आईजी आलोक मित्तल ने आगे बताया कि ये आतंकी किसी बड़े फिदायीन हमले को अंजाम देने की फिराक में थे। इस कारवाई में एनआईए के साथ-साथ यूपी का आतंक निरोधक दस्ता (एसटीएफ) भी शामिल था। एनआइएकई दिनों से इस समूह पर नजर रख रही थी। देश की सुरक्षा एजेंसियां इस खुलासे को लेकर भी हैरान है कि आखिर इतने खतरनाक मॉड्यूल का निर्माण चार से पांच महीनों में ही कैसे हो गया।
इस कारवाई के साथ ही आईएस द्वारा देश में आतंक का नेटवर्क फ़ैलाने के लिए नए तरीकों के इन्तेमाल करने की बात चली है। बताया जाता है कि सभी गिरफ्तार आतंकी कश्मी में अपने किसी ऐसे साथी के संपर्क में थे जो जेल में बंद था। इस से यह पता चलता है कि आईएस भारत के जेलों में बंद मुस्लिम युवकों को बरगला कर अपने मकसद में इस्तेमाल करने की साजिश रच रहा है। इसके लिए इस्लामिक स्टेट कह्मिर के आतंकवादियों और कट्टर मुस्लिम अपराधियों का भी इस्तेमाल कर रहा है। एनआईए के अधिकारीयों के मुताबिक़ ये आतंकी किसी भीड़भाड वाले इलाके में हमले करना चाहते थे। ऐसे में इस बात को लेकर पुलिस सतर्क हो गई कि कहीं इनका निशाना कुम्भ तो नहीं था क्योंकि आने वाले दिनों में सबसे ज्यादा भीड़ वहीं जुटने वाली है। सएसपी एटीएस विनोद कुमार सिंह के साथ एक टीम कुंभ पर आतंकी हमले से जुड़ी पूछताछ के लिए एनआईए के साथ दिल्ली में कैंप कर रही है।
बताया जाता है कि गंग के गठन के लिए लिए सोशल मीडिया का भी इस्तेमाल किया गया। विदेशी आकाओं ने फेसबुक पर कट्टर किस्म के विडियो भेज कर इन युवाओं का ब्रेन-वाश किया। ये भी खुलासा हुआ है कि संगठन के लोग आपस में बातचीत के लिए व्हाट्सएप, टेलीग्राम और फेसबुक का प्रयोग करते थे। विदेशी आकाओं ने इन्हें वीडियो द्वारा ही बम बनाने और आतंकी हमलों को अंजाम देने का प्रशिक्षण दिया था। पकड़े गए आतंकियों में ये लोग शामिल हैं;
मुफ़्ती सुहैल- ये अमरोहा का निवासी है। एनआईए के मुताबिक़ इस मॉड्यूल का मास्टरमाइंड यही था। एक एक मदरसे में मुफ़्ती के रूप में काम करता है। वो सुहैल ही था जो सबसे पहले विदेशी आका के संपर्क में आता था और फिर इसने अपने अन्य साथियों को भी उसके संपर्क में आने के लिए प्रेरित किया।
अनस युनुस- दिल्ली के जाफराबाद का रहने वाला अनस नोएडा के एमिटी यूनिवर्सिटी में सिविल इंजीनियरिंग का छात्र है। एनआईए के महानिरीक्षक आलोक मित्तल के मुताबिक़ उसने गैंग के प्रयोग के लिए बिजली के सामान, अलार्म घड़ी और बैटरी आदि की खरीद में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
रशीद ज़फ़र- जाफराबाद का रहे वाला 23 वर्षीय रशीद एक कपड़ा व्यापारी है। उसके एक दोस्त की सिम कार्ड्स और मोबाइल फोन के दूकान है। एनआईए के मुताबिक़ इसी ने 135 सिम कार्ड की व्यवस्था की थी।
सईद और रईस- ये दोनों भाई अमरोहा के सैदपुर इम्मा से हैं और एक वेल्डिंग की दुकान चलाते हैं। एजेंसी के अनुसार इन्ही भाइयों के दुकान में बरामद रॉकेट लांचर का निर्माण किया गया था। इन दोनों ने इसके अलावा आईइडी और पाइप बम तैयार करने के लिए भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री, गन पाउडर (लगभग 25 किलो) इत्यादि की खरीद की थी जिसका इस्तेमाल आतंकी हमलों के लिए किया जाना था।
जुबैर मलिक और ज़ैद मलिक- जाफराबाद के ही रहने वाले ये दोनों भाई दिल्ली विश्वविद्यालय में बी.ए के अंतिम वर्षीय छात्र हैं। इन दोनों ने अपने घर से ही करीं साथ लाख के मूल्य के सोने की चोरी कर के बाजार में बेचा था ताकि आतंकी गतिविधियों के लिए धन जुटाया जा सके।
साकिब इफ्तेखार- हापुड़ निवासी इफ्देखार इस्लामिक मौलवी है। वह जामा मस्जिद, बक्सर में इमाम के रूप में काम करता है। हथियारों की खरीद में ये मास्टरमाइंड सुहैल का सहायक था।
मोहम्मद इरशाद- 27 वर्षीय इरशाद अमरोहा में ऑटो-रिक्शा चालाक है। आतंकी गतिवियों में शामिल चीजों और बम बनाने की सामग्रियों को रखने के लिए इसने ठिकाने की व्यवस्था की थी।
मोहम्मद आज़म- दिल्ली में गशी मेंडू का रहने वाला आज़म दिल्ली के सीलमपुर में दवाओं का चलाता है। एनआईए के अधिकारीयों ने कहा कि इसने हथियारों की व्यवस्था करने में मास्टरमाइंड की मदद की थी।