Thursday, November 21, 2024
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कोहरे और धुंध में फँसी दिल्ली वालों की साँसें: पंजाब के मात्र 3 जिलों में 1 सप्ताह में पराली जलाने की 3700 घटनाएँ, NASA ने जारी की तस्वीरें

वायु प्रदूषण के कारण लोगों की सेहत पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। शिकागो विश्वविद्यालय (ई.पी.आई.सी.) के ऊर्जा नीति संस्थान द्वारा जून में जारी वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक (AQLI) के अनुसार, प्रदूषण के कारण दिल्लीवासियों का जीवन अवधि 10 साल तक घट जाती है।

पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने के कारण दिल्ली में धुंध और कोहरा बढ़ने लगा है और यहाँ की हवा जहरीली होती जा रही है। अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी ‘नासा’ (NASA) ने उपग्रह से ली गई तस्वीरों को साझा किया है, जिनमें पंजाब और हरियाणा के कुछ हिस्सों में पराली जलाए जाने के कारण उन इलाकों में लाल रंग के निशान बने हैं।

इन तस्वीरों में पूर्वी पाकिस्तान से पूर्वी उत्तर प्रदेश तक सिंधु-गंगा के मैदान के विशाल क्षेत्रों में धुंध की एक परत दिखाई दे रही है। धुंध की यह परत पराली जलाए जाने के कारण बनी है।इसके कारण दिल्ली की हवा जहरीली बन गई है और वायु की गुणवत्ता लगातार खराब होती जा रही है।

विशेषज्ञों का कहना है कि पंजाब में खेत में आग लगाने की वजह से दिल्ली में हवा की गुणवत्ता खराब हो गई है। पराली जलाने के कारण पीएम 2.5 का प्रदूषण में हिस्सेदारी बढ़कर 26 प्रतिशत हो गई है, जो इस साल का सबसे ज्यादा है। मंगलवार (1 अक्टूबर 2022) को राष्ट्रीय राजधानी में सुबह AQI का स्तर 429 था, जो कि गंभीर श्रेणी में आता है। हालाँकि, बाद में थोड़ा सुधार देखा गया।

दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के एक विश्लेषण के अनुसार, पंजाब और हरियाणा में 1 नवम्बर से 15 नवम्बर के बीच पराली  जलाए जाने की घटनाएँ चरम पर होती हैं। इस दौरान राजधानी दिल्ली की हवा में सांस लेना मुश्किल होता है। पिछले हफ्ते वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने कहा कि इस साल पंजाब में पराली जलाने की बढ़ती घटनाएँ ‘गंभीर चिंता का विषय’ हैं।

पंजाब के तरनतारन, अमृतसर और गुरदासपुर में 15 सितंबर से 22 अक्टूबर के बीच रिपोर्ट की गई लगभग 3,700 घटनाओं में से 60 प्रतिशत पराली जलाने की घटनाएँ हुईं। लुधियाना स्थित पंजाब रिमोट सेंसिंग सेंटर ने बताया कि तरनतारन में पराली जलाने की 1,034 घटनाएँ दर्ज की गईं। अमृतसर में पराली जलाने की 895, गुरदासपुर में 324, पटियाला में 246, कपूरथला में 214, फिरोजपुर में 187, जालंधर में 169 और लुधियाना एवं अन्य जिलों में 131 घटनाएँ हुईं।

स्काईमेट वेदर के उपाध्यक्ष महेश पलावत ने कहा कि हवा की धीमी गति और रात में कम तापमान के कारण प्रदूषकों का संचय हो रहा है। पश्चिमी विक्षोभ के कारण 4 नवंबर से नमी की मात्रा बढ़ने तथा हवा की गति और कम होने के कारण अगले दो-तीन दिनों के बीच दिल्ली की वायु गुणवत्ता बहुत खराब श्रेणी में बनी रहेगी।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, वायु की खराब गुणवत्ता के कारण दिल्ली में रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य पर घातक प्रभाव पड़ता है। इसके कारण लोगों के श्वसन तंत्र, फेफड़ों, आँख और मस्तिष्क आदि में संक्रमण होने का खतरा रहता है। शिकागो विश्वविद्यालय (ई.पी.आई.सी.) के ऊर्जा नीति संस्थान द्वारा जून में जारी वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक (AQLI) के अनुसार, प्रदूषण के कारण दिल्लीवासियों का जीवन अवधि 10 साल तक घट जाती है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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